टाइगर को लेकर अफसरों के बीच ठनी
मामला भोपाल के रिहायशी इलाकों में टाइगर की तफरीह से जुड़ा है। वैसे, तो यह पूरा इलाका जंगल ही है, लेकिन यहां की सुरम्य वादियों में रसूखदारों ने फार्म हाउस और बंगले बना लिए, इसलिए अब केरवा जंगल का एक इलाका रिहायशी इलाका कहा जाने लगा है। दरअसल, बड़े अफसरान चाहते हैं कि यहां घूमने वाले टाइगर को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया जाए। जिससे यह इस इलाके में पसरा खौफ खत्म हो सके। फिलहाल यहां शाम होते ही राहें सुनसान हो जाती है। लोग घर के अंदर ही सिमट जाते हैं। लेकिन टाइगर की मॉनीटरिंग करने वाले आईएफएस लॉबी इस इलाके को टाइगर की टैरिटरी मानती है। इसलिए इसे शिफ्ट करने की बजाय केवल जंगल के अंदर ही खदेड़ने के विकल्प पर काम कर रही है। आलम यह है कि इसकी वजह से आईएएस वर्सेज़ आईएफएस के हालात बन गए हैं। एक अफसर ने तो इस मामले में शिफ्ट करने का दबाव बनाने वाली लॉबी को तीखे लहज़े में जवाब भी दे दिया है। फिलहाल तो जंग शुरू हुई है, आगे-आगे देखिए होता है क्या?

हुक्का लाउंज पर पाबंदी ने लगाई चपत
मुख्यमंत्री ने हुक्का लाउंज पर पाबंदी का आदेश जारी करके सरकार के लिए खूब वाहवाही बटोरी। लेकिन कुछ अफसर बुरी तरह निराश हो गए। दरअसल, इन अफसरों का ‘महीना’ खराब हो गया है। हर महीने तकरीबन 2 लाख रुपए की आमद पूरी तरह से बंद हो गई है। भोपाल के ही करीब 10 से ज्यादा थाने बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। चूंकि आदेश सीधे मुख्यमंत्री के हैं। इसलिए चोरी-छिपे कुछ तरकीब लगाने की कोशिश करने के रास्ते भी बंद हैं। अब दूसरे रास्ते तलाशे जा रहे हैं, ताकि तय हो चुका महीने का बजट बैलेंस हो सके। इसलिए अब भरपाई के लिए यदि चिल्लर बटोरने की कवायद होती दिखाई दे तो समझ जाइएगा कि इसके पीछे की वजह क्या है। फिलहाल तो सभी साहबों का चेहरे का नूर गायब है।

विधायकों की जांच बैठाने की कहानी
मामला ट्रेन में एक बर्थ के लिए झगड़े का है। मामले का इस तरह तूल पकड़ा कि झगड़ा छेड़छाड़ तक पहुंच गया। महिला से छेड़छाड़ की बात जुड़ते ही मामला इतना गंभीर हो गया कि पार्टी नेताओं को जवाब देते नहीं बन रहा है। छेड़छाड़ की बात से नकारने के लिए सीट को लेकर झगड़े की बात शुरू करें तो यहां भी विधायक कठघरे में खड़े होते हैं। ऐसा जवाब देने पर विधायकों की आम लोगों के साथ सेवा भावना की पोल खुल जाएगी। यह दोनों विधायक तो महिला से झगड़ा कर रहे थे और फरियादिया संभ्रांत घराने की महिला है और छोटे बच्चे के साथ यात्रा कर रही थी। ऐसे मामले में सभ्य व्यक्ति तो सद्भावना रखते हुए बर्थ छोड़ देता है। ये दोनों महाशय ने आखिर कैसा बर्ताव किया जो महिला को पुलिस थाने का दरवाजा खटखटाना पड़ा। मामला जब पार्टी नेताओं के सामने अटक गया तो पार्टी नेता ही दोनों से बोल पड़े कि क्या यह जवाब दें कि विधायक सीट के लिए झगड़ रहे थे। इसके बाद रणनीतिकारों ने हल निकाला कि मामला जांच के लिए डाल दिया जाए। चंद रोज बाद मीडिया किसी दूसरी बड़ी खबर पर फोकस हो जाएगा।

हर्ष फायरिंग को तलाश नहीं सकी पुलिस
हर्ष फायरिंग रोकने के लिए बड़ी कवायदें की जाती हैं। लेकिन दशहरे के दिन ये सारी तैयारियां काफूर नजर आती हैं। मंत्री और अफसरों के रिहायश वाला भोपाल का 74 बंगला इलाके में दशहरे की पूजा के बाद जब हर्ष फायरिंग की धांय-धांय शुरू हुई तो करीब ही रहने वाले कॉलोनी के लोगों ने डायल 100 को शिकायतें करनी शुरू कर दी। पुलिस की डायल 100 वैन खूब तफरीह करती रही, धांय-धांय की आवाज़ का पीछा करते हुए बंगले तक पहुंची लेकिन कोई कार्यवाही नहीं कर सकी। देर तक धांय-धांय होती रही, कॉलोनी में डायल-100 वैन का सायरन गूंजता रहा और डायल-100 के कॉल सेंटर पर शिकायती फोन घनघनाते भी रहे। ये तीनों सिलसिले देर रात तक बदस्तूर जारी रहे। किसी ने अब अपना काम और जिम्मेदारी के कर्तव्य पथ से मुंह नहीं मोड़ा। कॉलोनी के शिकायतकर्ता अपना काम करते रहे, डायल-100 का स्टाफ अपना और हर्ष फायर करने वाले अपना।

काम न आई साहबज़ादे की होशियारी
मंत्रीजी के एक साहबज़ादे के कॉल रिकॉर्डिंग चंद प्रभावशाली लोगों के फोन की खूब यात्रा कर रही है। लोग चटखारे लेकर इस वॉट्स एप कॉल पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग को सुनकर मौज कर रहे हैं। दरअसल, तबादला कराने के लिए ज़रूरतमंद शख्स ने साहबज़ादे से वॉट्स एप कॉल पर पूरी बातचीत की। लेकिन तीसरे फोन से ये पूरी बातचीत रिकॉर्ड कर ली। तबादले के लिए ली जाने वाले बड़ी रकम के साथ पूरा वाकया फोन पर रिकॉर्ड कर लिया गया। यह वाकया तो अपनी जगह है, जिसके चुनावी दौर में सियासी इस्तेमाल के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। भविष्य से जुड़ी बात से मज़ेदार बात यह है कि तबादले के लिए ज़रूरतमंद शख्स ने इसका रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल कर लिया है। यह रिकॉर्डिंग साहबज़ादे को भेजकर अपना तबादला मुफ्त में करवा लिया है। तबादला आदेश निकल चुका है और ज़रुरतमंद शख्स ने अपनी नई पोस्टिंग पर काम भी शुरू कर दिया है। कहा जाता है कि जब भाग्य खराब हो तो प्रभु भी साथ नहीं होते हैं। भले ही कितनी होशियारी दिखाई हो, दुनिया में हर होशियार का तोड़ घूम रहा है।

दुमछल्ला…
एक ज़माना था, जब मंत्री की कुर्सी के बाद विधानसभा में जीत पक्की समझी जाती थी। लालबत्ती और सुरक्षा गार्डों की तामझाम का वोटरों पर अपना असर होता था। बुंदेलखंड में रसूखदारों की अपनी ही तासीर है, मंत्री वाला तामझाम कई दफा वोटरों पर दबदबा बनाने में बड़ा काम करता है। लेकिन इसी तामझाम के चक्कर में बीजेपी में आ चुके एक नेताजी अब परेशान है। बुंदेलखंड की एक बड़ी सीट पर कांग्रेस ने इस कदर माहौल बनाया है कि नेताजी के माथे पर शिकन नजर आने लगी है। सुना है, कमलनाथ भी बहुत जल्द इस विधानसभा सीट का दौरा करने वाले हैं। इसके बाद नेताजी की तबीयत और ज्यादा खराब होने का डर है।

(संदीप भम्मरकर की कलम से)

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