बीजेपी में टिकट कटने का खौफ
बीजेपी ने इस बार जीत को लेकर कमर कस ली है। इसके लिए किसी भी तरह की रिस्क नहीं उठाई जाएगी। चुनावी सर्वे रिपोर्ट संगठन मंत्रियों की बैठक से मिले फीडबैक में यह भी तैयारी कर ली गई है कि जिनकी टिकट कट रही है उन्हें खास जवाबदारी दी जाएगी। यही नहीं, खाली बैठे तजुर्बेकार नेताओं को भी चुनावी तैयारी में लगाकर उनका असंतोष दूर करने की रणनीति भी बना ली गई है। संघ से मिले फीडबैक के बाद पार्टी ने इस नई रणनीति पर काम करेगी। दरअसल, पीढ़ी बदल का दौर शुरू होने के बाद कई नेताओं के चेहरे पर निराशा आ रही थी, सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कई महत्वपूर्ण नेता टिप्पणियां करके भड़ास निकाल रहे थे। यह बदलाव चुनावी रिस्क में नहीं बदल जाए। इसलिए अब आने वाले दौर में बीजेपी पुरानों को साधने की रणनीति पर तैयारी शुरू कर रही है। हालांकि यह सारी कवायद भितरघात और असंतोष दूर करने के लिए है, लेकिन कुछ विधायक यह चर्चा भी करने लगे हैं कि टिकट के अलावा दूसरी जिम्मेदारी क्या असंतोष खत्म कर पाएगी?

रास्ता तय पर पड़ाव में कंफ्यूजन
राहुल गांधी की पदयात्रा की एमपी में एंट्री को लेकर कांग्रेस वैसी ही तैयारी में जुटी है, जैसी आप दीपावली में जुटे थे। यात्रा की कमान खुद कमलनाथ ने थाम रखी है, और उन्होंने हर इलाके के लिए अलग-अलग नेताओं की जिम्मेदारी दी है। लेकिन इन प्रभारी नेताओं के बीच भारी कन्फ्यूजन की स्थिति है। दरअसल, प्रदेश के दूसरे इलाके के नेता यात्रा के दौरान अपना योगदान देने के लिए कमलनाथ से एप्रोच करते हैं, और ग्रीन सिग्नल देने के बाद कमलनाथ संबंधित प्रभारी से संपर्क करते हैं। इससे रोजाना यात्रा के दौरान होने वाली गतिविधियों में जोड़-घटाना होने लगा है। अहम बात यह है कि जिस इलाके से यात्रा नहीं गुजर रही है, उन इलाकों के दिग्गज अपनी मौजूदगी जाहिर करने के लिए भरसक जुगाड़ में जुट गए हैं। इसकी तैयारी को लेकर कांग्रेस नेता पदयात्रा का तजुर्बा भी कर आए हैं। इसलिए जिस इलाके से यात्रा गुजर रही है, वहां का विशाल शक्ति प्रदर्शन का माहौल बनने की संभावना है। वैसे, पूरी यात्रा का फाइनल मिनिट टू मिनिट प्रोग्राम अभी तैयार होना बाकी है।

थाना प्रभारियों की बन रही कुंडली
इंदौर के एक टीआई की करतूत से प्रदेश भर के तिकड़मी थाना प्रभारियों की बन आई है। उस टीआई को लेकर सीधे सीएम शिवराज ने बैठक के दौरान कंमेंट किया था कि कौन है ये जो लोगों को परेशान कर रहा है। इसके बाद संबंधित टीआई पर कार्यवाही तो हुई, लेकिन अधिकारियों ने सतर्कता बरतते हुए प्रदेश के तिकड़मी थाना प्रभारियों की लिस्ट बनाने के निर्देश दे दिए हैं। लिस्ट में वे टीआई होंगे, जिनके आलीशान बंगले हैं, परिवार के लोगों के कारोबार बढ़ते जा रहे हैं। लिस्ट में ऐसे टीआई और अफसर भी शामिल होंगे, जिनके खिलाफ वसूली और भ्रष्टाचार की शिकायतें की गई हैं। चूंकि चुनावी साल शुरू हो चुका है, इसलिए इस लिस्ट के बाद सरकार बड़े पैमाने पर कार्यवाही भी कर सकती है। लिहाज़ा थाना प्रभारी और तिकड़मी पुलिस अफसरों पर आने वाले वक्त में शनि की दृष्टि पड़ने की संभावनाएं भी बनने लगी हैं।

मेयरों के आलाकमान, पार्टी की फजीहत
बीजेपी हो या कांग्रेस इन दिनों अपने मेयरों की वजह से परेशानी झेल रहे हैं। दरअसल, कोई भी स्थानीय नेता भोपाल पहुंचकर अपने मेयर की नजरअंदाज़ी की बातें कर रहा है। ऐसा नहीं है कि यह केवल कांग्रेस में ही यह समस्या है, बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय में भी इसी तरह का माहौल है। इसकी वजह यह है कि मेयर गुटबाज़ी को थामने में असमर्थ साबित हो रहे हैं। दरअसल, अधिकांश मेयर के अपने आलाकमान हैं। जो स्थानीय स्तर पर अपना प्रभाव रखते हैं। नए मेयर पार्टी की बजाय अपने नेता के प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश ज्यादा कर रहे हैं। इसकी वजह से दूसरे गुटों में नाराज़गी आ रही है। स्थानीय स्तर पर यह नाराज़गी साधने के लिए लोकल लीडर की मदद लेने की बजाय सीधे भोपाल आकर शिकायतें की जा रही हैं। अब प्रदेश पार्टी मुख्यालयों की मजबूरी है कि उन्हें पूरा वक्त देकर नाराज़गी सुनना ही पड़ रहा है।

खुलने लगी पिछले छापे की फाइलें
अय्यारों ने खबर दी है कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पड़े आयकर विभाग के छापों से जुड़ी फाइलों पर से पिछले हफ्ते ही धूल झड़ाई गई है। इसका संबंध दीपावली की साफ सफाई से कतई नहीं है। सूत्र बताते हैं कि आने वाले वक्त में कुछ बड़ा होने वाला है, जिसकी ज़मीन तैयार करने के लिए फाइलों में दर्ज फाइंडिंग्स का इस्तेमाल किया जाना है। सूत्र बताते हैं कि अलग-अलग ठिकानों पर पड़े छापों में कुछ गणित मेल खा रहे हैं. जिसके इस्तेमाल के लिए सही वक्त का इंतज़ार किया जा रहा था। अब इन फाइलों की दोबारा नजर डाली जा रही है तो अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है कि शायद सही वक्त का इंतज़ार अब खत्म हो रहा है। बहरहाल, अब वक्त आगे होने वाली गतिविधि के इंतज़ार का है। देखना है, नई बोतल में पुरानी शराब परोसी जाएगी या फिर पुरानी शराब की बोतल से नए ठिकानों तक पहुंचा जाएगा।

दुमछल्ला…
पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने हुक्का लाउंज को फिर शुरू करने का फैसला सुनाया तो जितनी खुशी हुक्का बार के मालिकों को हुई, उससे ज्यादा खुश थाना प्रभारियों को हुई है। जाहिर बात है, ये अब्दुल्ला बेगानी शादी में दीवाने नहीं होते हैं। जब तक शादी में कोई रिश्तेदारी या ताल्लुकात नहीं हो, थाना प्रभारी खुश नहीं हो सकते हैं। हर महीने खुशी में बढ़ोतरी का संकेत मिलना दीपावली के तोहफे से कम नहीं है।

(संदीप भम्मरकर की कलम से)

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