गुस्से में शिवराज, नपेंगे अफसर
यदि आपको लग रहा है कि शिवराज के तेज़तर्रार तेवर का दौर अब चला गया है, तो आप गलत हैं। शिवराज की इंटेलिजेंस ने रिपोर्ट दी है कि प्रशासनिक मशीनरी में लेतलाली फिर से पनपने लगी है। इसलिए अब शिवराज का गुस्सा भी बढ़ने लगा है। बीते दिनों बदहाल सड़क को लेकर हुई बैठक में सीएम के सख्त तेवर लौट आए थे। रूटीन बैठकों में शिवराज अब फील्ड अफसरों की खबर लेने लगे हैं। आने वाले दिनों में शिवराज जिलों के दौरे शुरू करने वाले हैं। इसमें वे प्रशासनिक बैठकें भी लेंगे। ज़ाहिर है, फिर से शिवराज के तीखे तेवर दिखाई देंगे। लिहाज़ा जिलों और संभागों में पदस्थ फील्ड के अफसरों को अब सचेत होना जरूरी हो जाएगा।

मंत्री का निजी कॉल सेंटर
अपने सरकारी बंगले पर ज़रूरत से ज्यादा स्टाफ लगाने का आरोप झेल रहे ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को उनके सलाहकारों ने एक तरकीब सुझा दी है। तरकीब यह है कि बंगले पर कॉल सेंटर खोल दिया जाए, जिससे यहां तैनात एक्स्ट्रा स्टाफ को एडजस्ट किया जा सके। फिलहाल यह तरकीब पाइप लाइन में ही है लेकिन इसे ज़ोर-शोर से ऐलान करके लागू करने की तैयारी है। इससे मंत्रीजी की समस्याओं के निराकरण के प्रति गंभीरता का प्रदर्शन भी हो सकेगा। यानी सांप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटेगी। लेकिन सवाल ये खड़े होंगे कि इसके लिए बाकायदा बिजली कंपनियों ने अलग-अलग कॉल सेंटर पहले से ही खोल रखे हैं तो अलग से कॉल सेंटर की ज़रूरत क्यों? वॉट्स एप, मोबाइल एप के ज़रिए भी शिकायत पहले से ही सुनी जा रही हैं। क्या मंत्रीजी को अपने महकमे की इस व्यवस्था पर भरोसा नहीं है? ऐसे में किफायत बरतने के दौर में मंत्रीजी पर फिज़ूलखर्ची के आरोप नहीं लगेंगे?

ससुराल साधने चली साध्वी !
बीते दिनों उमा भारती ने जबलपुर के मामले में ट्वीट करके दो नेताओं के ससुराल पक्ष का खुलकर पैरवी की। उमा ने बताया कि दोनों परिवार किस तरह पुराने जनसंघी रहे हैं। इन परिवारों को केवल दो दिग्गज नेताओं की ससुराल की वजह से बीजेपी में तरजीह नहीं मिल रही है, बल्कि लंबे अर्से से इन परिवारों की बीजेपी के प्रति जुड़ाव और कर्मठता की वजह से तरजीह मिली है। दरअसल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का ससुराल पक्ष जबलपुर में निवास करता है। पिछले दिनों दोनों परिवारों के सदस्यों को बीजेपी में पद दिया गया है। इसके पीछे ससुराल को तवज्जो देने की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। उमा भारती ने अपने बड़े होने का धर्म निभाते हुए दोनों नेताओं पर लग रहे आरोपों का ज़ोरदार जवाब दिया। दरअसल, उमा भारती का उस वक्त से ही इन परिवारों में घरेलू नाता है, जब ये साधारण परिवार थे, किसी नेता की ससुराल नहीं।

अचानक सफर में चमके शिवराज
बात उस वक्त की है जब राजगढ़ में हो रही बीजेपी प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक चल रही थी। बैठक लंबी खिंच गई और देर रात तक चलने की आशंका देखते हुए हैलीकॉप्टर लौटा दिया गया। सीएम के सड़क मार्ग से लौटने के लिए आनन-फानन काफिले की तैयारी की गई। ये सब अचानक तय हुआ और सीएम वीडी शर्मा को साथ लेकर भोपाल चल पड़े। हैरानी तब हुई जब राह में पड़ने वाले गांव और शहर वालों ने पलक पांवड़े बिछा दिए। वे हार-फूल लेकर सड़क पर ही खड़े हो गए। जगह-जगह सीएम का स्वागत किया गया। जहां लोग स्वागत के लिए खड़े दिखाई दिए वहां सीएम रुके और उनकी भावनाओं का सम्मान रखा। काफिले में चलने वाले अफसरों को भी हैरानी हुई कि सड़क मार्ग से अचानक जाने की खबर ग्रामीणों को कैसे लगी। जहां-जहां स्वागत हुआ उस इलाके के कांग्रेस नेता अब शिवराज के सिर खुजला रहे हैं।

पीसीसी चीफ कक्ष में दिग्गजों का दम
बीते कुछ दिनों से प्रदेश कांग्रेस दफ्तर के अध्यक्ष कक्ष में गहमा गहमी बढ़ रही है। पीसीसी चीफ कमलनाथ तो यहां यदाकदा ही आते हैं। लेकिन रौनक अफरोज़ करके रखते हैं उनके प्रबल समर्थक। शुरूआत में सज्जन सिंह वर्मा ने यहां लगातार बैठकें करके सक्रियता का उदाहरण पेश किया। चर्चाएं शुरू हो गईं कि सज्जन सिंह वर्मा को कमलनाथ ने बैठने को कहा है। इसके बाद नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने यहां डेरा जमाना शुरू कर दिया है। प्रजापति भी कमलनाथ खेमे के सिपहसालार हैं। अब चर्चाएं छिड़ गई है कि पीसीसी चीफ का कैबीन कांग्रेसी दिग्गजों की पीसीसी चीफ के लिए दावेदारी की जगह बन गया है। सुना तो ये भी है कि दूसरे दिग्गज भी यहां लगातार बैठक का प्लान तैयार कर रहे हैं।

विभागीय मंत्री को फंसा रहा अफसर
अब चर्चा राजधानी भोपाल के एक ऐसे अफसर की जिसने बीजेपी के विधायक-सांसदों की तबादले की सिफारिशों को ही ताक पर रख दिया। ये सिफारिशें प्रभारी मंत्री समेत राजधानी के विधायक-सांसद की तरफ से की गईं थीं। प्रॉपर चैनल में काम होने के बाद जब अफसर के आखिरी दस्तखत का वक्त आया तो 60 से 70 फीसदी नाम काट दिए गए। इससे भोपाल के दिग्गज विधायक और सांसद गंभीर रूप से नाराज़ चल रहे हैं। खबर तो ये है कि जब अफसर से पूछा गया तो उन्होंने अपने विभाग के मंत्री की तरफ इशारा कर दिया। इससे विभागीय मंत्री के साथ भोपाल के दिग्गज विधायकों और प्रभारी मंत्री से रिश्ते खराब होने की आशंका बन गई है। मामला संगठन और सीएम तक पहुंचाया जा रहा है। लेकिन इससे ये सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि जिले का एक अदना सा अफसर ऐसी हिमाकत कैसे कर सकता है? जानकारी के लिए बता दें कि अफसर पढ़ने-पढ़ाने वाले महकमे से आता है।

दिग्गी की मीटिंग के क्या है राज़
दिग्विजय सिंह ने शनिवार को अचानक पीसीसी पहुंचकर सबको चौंका दिया है। अब तक दिग्गी राजा के पीसीसी पहुंचने से पहले सूचना पहुंचती थी। इस बार ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने सीधे टॉप फ्लोर पर पहुंचकर चंद्रप्रभाष शेखर को बुलवाया और चर्चा शुरू की। इस ताकीद के साथ की अभी कोई अंदर नहीं आएगा। ये कमराबंद मुलाकात करीब एक घंटा चली। इससे पहले भी दिग्विजय सिंह ने दो बार शेखर को अपने बंगले पर बुलाकर अकेले में चर्चा कर चुके हैं। ये मुलाकातें और चर्चाएं टॉप सीक्रेट अंदाज़ में होती हैं। ये अंदाज़ ही ज़ाहिर करता है कि कुछ ना कुछ पक ज़रूर रहा है। क्योंकि सियासी जानकार ये बात बेहतर जानते हैं कि राजा फिज़ूल ही कुछ नहीं करते हैं।

दुमछल्ला…
ग्वालियर इलाके के एक कांग्रेसी विधायक इन दिनों सक्रियता के मापदंड पर नदारद हैं। पार्टी से मिले कार्यक्रमों में भी गैरहाज़िर रहते हैं। बीते दिनों दो दफा हुए विरोध प्रदर्शन में वे पूरी तरह गायब रहे। यही नहीं, कमलनाथ द्वारा सौंपे कार्यक्रम भी उन्होंने अब तक नहीं निपटाए हैं। ग्वालियर में इन विधायकजी की निष्क्रियता के मायने निकाले जाने लाज़िमी है।

(संदीप भम्मरकर की कलम से)