PWD का रंगीन मिजाज़ ‘लॉयन’
भोपाल में रहने वाले बड़े अफसरों के घरों के सफाई-पुताई-चुनाई का काम देखने वाले अधिकारी की इन दिनों भोपाल के पीडब्ल्यूडी से लेकर एलीट क्लास की सोशल गैलरियों में खूब चर्चाएं हैं। साहब गाने का शौक भी रखते हैं, लेकिन मस्ताने के शौक की वजह से इन दिनों सोशल किरकिरी से जूझ रहे हैं। हुआ यूं कि भोपाल में कलेक्टर रहते हुए एक साहब ने मतदाता जागरूकता अभियान के लिए एक रैली का आयोजन किया। इसके व्यवस्थित आयोजन के लिए एक वॉट्स एप ग्रुप बनाया गया। ग्रुप में राजधानी का एलीट क्लास महिला-पुरुष शामिल किए गए। आयोजन खत्म होने के बाद कलेक्टर साहब ने ग्रुप छोड़ दिया, चंद रोज़ बाद उनका तबादला भी हो गया। लेकिन ग्रुप जिंदा रहा और इसका जिम्मा रंगीन मिजाज़ लॉयन ने संभाल लिया। सोशल वर्क की सालाना मेंबरशिप का हवाला देकर 12-12 हजार रुपए की राशि इकट्ठा की गई। मेल-मुलाकात और मीटिंग के बहाने  रंगीन पार्टियों के सिलसिले शुरू हुए। इधर, एलीट क्लास के साथ बढ़ रहे ताल्लुकातों ने रंगीन मिजाज़ लॉयन के हौंसले बुलंद कर दिए। लेकिन उस दिन के रंगीन जश्न में सबके होश फाख्ता हो गए जब लॉयन ने भरी सभा में कह दिया कि – ‘शहर की और खूबसूरत महिलाओं को जोड़िये ताकि समूह की रंगीनियत बनी रहे।’ इसके बाद पार्टी जल्द खत्म हो गई। अब साहब के ‘लॉयन’ बनने से पहले ही ग्रुप से सदस्यों ने किनारा करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। अब रंगीन मिजाजी की वजह से लॉयन के मंसूबों पर पानी फिर गया।
बड़े अस्पताल की कलह में उलझे रसूखदार
कलह पारिवारिक है, घोर पारिवारिक। लेकिन इसमें शहर के कई रसूखदार उलझ रहे हैं। दरअसल, इस अस्पताल को बड़ा बनाने में इन्हीं रसूखदारों का कुछ ना कुछ योगदान ज़रूर है। जितना इस अस्पताल का नाम है, उतना ही इसका विवादों से रिश्ता भी है। ये अस्पताल कभी ताल, कभी व्यापमं और कभी पार्टनरों के नाम पर सुर्खियां बटोरता रहता है। यही वजह है कि हर विवाद या उलझन के बाद एक प्रभावशाली शख्स का नाम अस्पताल के पार्टनरों में जुड़ जाता था। बीते दिनों इस परिवार के कर्ताधर्ता के निधन के बाद परिवार में कलह मची। नतीजे में परिवार के कई रिश्तेदार अस्पताल में हिस्सेदारी से बाहर हो गए। मुश्किल उनकी हो गई है, जो बाहर हुए रिश्तेदारों के ज़रिए अस्पताल में पार्टनर बने थे। पुराने शहर में सीएसपी रहे (अब रिटायर) एक सज्जन नए मालिक की हुज्जत के शिकार हो चुके हैं। सुनाई दे रहा है कि कई और रसूखदार हैं जो अस्पताल में दावा करने पहुंचे ज़रूर लेकिन बाहर निकले बेआबरू होकर।
 
दिल जीत रहा वॉट्स एप ऑर्डर का अंदाज
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाकर मंत्री बनने वालों के लिए कांग्रेस के गलियारों में जो चर्चाएं होती हैं, होती रहें। लेकिन बीजेपी के आला नेताओं के बीच उन्होंने अच्छी पैठ जमा ली है। बीजेपी में आला दर्जे के नेता भी इन नेताओं की कार्यशैली के कायल नजर आ रहे हैं। इन मंत्रियों को कुछ काम दे दो, मिनिटों में निपटारा होता है। सूबे एक आला नेता को सिंधिया खेमे के मंत्री के साथ कार में चंद मिनिटों का सफर करने का मौका मिला तो मंत्रीजी ने फोन पर निर्देश दिए और वॉट्स एप पर ऑर्डर की कॉपी बुलवा ली। इतना तेज़ काम देखकर नेताजी भी कायल हो गए। आमतौर पर बीजेपी के मंत्रियों के मामले में ऐसे तजुर्बे कम ही होते हैं। हालांकि चंद नेता ऐसे भी हैं, जो झट से काम पूरा करके बाकायदा सूचना देते हैं। सिंधिया खेमे के सारे मंत्रियों ने काम में इस तरह की तेजी दिखाकर बीजेपी के नेताओं का भरोसा ही नहीं दिल भी जीत रहे हैं। इससे रिश्तों में मज़बूती भी आ रही है। अब कांग्रेस के नेता भले ही कुछ बोलते रहें, बीजेपी में मजबूत हो रहे ये रिश्ते चुनाव के दौरान परेशानियां खड़ी कर सकते हैं।
एक चैक के फेर में 200 से ज्यादा अंदर
एमपी पुलिस के किस्सों में एक किस्सा और जोड़ लीजिए। मामला एक चैक की क्लोनिंग का है। चैक सूबे के रसूखदार बिल्डर की कंपनी से जुड़ा था, इसलिए पुलिस ने वो कर दिखाया जो हमेशा सुनाया जाने वाला गज़ब का किस्सा बनने जा रहा है। बिल्डकॉन के एक चैक के क्लोन होने का खुलासा हुआ तो तुरंत पुलिस को सूचना दे दी गई। मामले में अब तक जांच चल रही है चंद हफ्ते में पुलिस ने ताबड़ तेजी दिखाई।  देश भर में धरपकड़ शुरू हो गई जो अब तक जारी है। हैरान करने वाली बात ये है कि एक चैक की क्लोनिंग के आरोप में अब तक 200 लोगों को जेल में डाल दिया गया है। चैक क्लोनिंग के आरोप में एक के बाद एक आ रही आमद से जेल प्रबंधन की आंखें भी फटी की फटी रह गई हैं। जेल प्रबंधन हैरान हैं कि मामले के बारे में पूछने वालों को क्या जवाब दें। हालांकि एक रास्ता तलाशा गया कि जेल की टुटपुंजिया खबरों में जेल अधिकारी उलझाए रखते हैं। लेकिन असल कहानी से कभी पर्दा उठाने की बात ही नहीं करते। मामला हाई प्रोफाइल शख्सियत से जुड़ा है। फिलहाल ये शेर गौर फरमाइए… एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का, सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का।
‘फायर’ नहीं ‘फ्लॉवर’ बनाएगा पीएचक्यू
महिला दिवस आने वाला है। पीएचक्यू ने भी तैयारी शुरू कर दी है। इस बार महिला दिवस पर महिलाओं के तनाव को कम करने पर फोकस किया जा रहा है। इसलिए पुलिस महकमे ने तैयारी की है एक खास कार्यक्रम की, जिसका नाम रखा गया है फुलवारी। फुलवारी का आयोजन किसी पर्यटन स्थल का चयन किया जा रहा है, जिसमें हसीन वादियों में महिला पुलिस कर्मियों को तनाव कम करने की तरकीबें सिखाई जाएंगी। हालांकि जब भी पुलिस के लिए कोई वेलफेयर की प्लानिंग होती है तो बात पुलिसकर्मियों पर काम के बोझ, सेहत और उनके तनाव को कम करने से शुरू होती है और दूर तलक जाकर तनाव पर ही आकर खत्म हो जाती है। जिन महिलाओं के साहस, शौर्य और जज्बे की तारीफ मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा करते नहीं अघाते हैं। उन महिला कर्मियों को ‘फायर’ की बजाय फ्लॉवर बनाने की तरकीब थोड़ी अजीब लगती है। देखना यह है कि गोद में बच्चा लेकर फील्ड ड्यूटी पर जाने वाली लेडी कॉप्स को फुलवारी कितना कूल करती हैं।
दुमछल्ला…
मिर्ची है तो कांग्रेस की। क्योंकि कुछ भी कहते हैं तो लगती बीजेपी को है। लेकिन पिछले दिनों बीजेपी सरकार में नंबर दो यानी होम मिनिस्टर के घर पर भी यही मिर्ची देखी गई। कांग्रेस में जिले के ही नेताजी ने हिमालय जाने का इशारा किया तो फिर होम मिनिस्टर से गलबहियां कर ली। फिर कांग्रेस में ऊपर से दखल हुआ तो दोबारा हिमालय जाने की सलाह देने वाले नेताजी के हाथों से मिठाई खाते हुए फोटो सामने आ गईं। कुछ लोग कह रहे हैं कि पांचों उंगलियां घी में, दोनों हाथों में लड्डू और खीर खाने जैसी कहावतें मिर्ची को लेकर ही बनी है।
 
(संदीप भम्मरकर की कलम से)