मनेंद्रगढ़ DFO मनीष कश्यप की अभिनव पहल

Tourist Attraction in Chhattisgarh: मनेंद्रगढ़ वनमंडल में स्थित गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क (Gondwana Marine Fossil Park) एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है. यहाँ 29 करोड़ वर्ष पुराने समुद्री जीवाश्म मिले है. देश में ऐसे सिर्फ चार और जगह समुद्री जीवाश्म मिले है पर मनेंद्रगढ़ का मरीन फॉसिल पार्क इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा समुद्री जीवाश्म पार्क है. यह जीवाश्म हसदेव नदी के किनारे लगभग 1 km के क्षेत्र में फैला हुआ है. (Gondwana Marine Fossil Park)

इसे राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा भी प्राप्त है. इसकी खोज 1954 में भूवैज्ञानिक एसके घोष ने कोयला खनन के दौरान की थी. यहां से द्विपटली (बायवेल्व) जीव, गैस्ट्रोपॉड, ब्रैकियोपॉड, क्रिनॉइड और ब्रायोजोआ जैसे प्राचीन समुद्री जीवों के जीवाश्म मिले हैं. इसके चलते यह देशभर के शोधार्थी और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इसकी पुष्टि 2015 में बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ़ पैलेंटोलॉजी, लखनऊ के द्वारा भी की गई है. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह क्षेत्र पर्मियन युग के समय समुद्र में डूबा हुआ था, ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ा, जिससे समुद्री जीव चट्टानों में दब गए और लाखों वर्षों में जीवाश्म के रूप में बदल गए, जो बाद में जलस्तर घटने से उभरकर उपर आ गए.यह पार्क गोंडवाना महाद्वीप के भूगर्भीय इतिहास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है.तब से वनविभाग इस क्षेत्र को संरक्षित करते आ रहा है.
वर्तमान में वनविभाग इस क्षेत्र को गुजरात और झारखंड के डायनासोर फॉसिल पार्क के तर्ज पे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रहा है. हसदेव नदी के किनारे प्राकृतिक हार्ड ग्रेनाइट रॉक्स को काट के प्राचीन जीवजंतुओ की कला कृतियां बनायी जा रही है जो लोगो को आकर्षित कर रही है.
बड़े पत्थरों को तराश के ज़मीन, पानी और एम्फीबियन के अब तक 30 प्राचीन जानवरों की मूर्तियाँ बनायी जा चुकी है.इसको देख के पर्यटक समझ सकेंगे की पृथ्वी में पहले किस तरह के विशालकाय जानवर हुआ करते थे जहाँ इंसान का रह पाना संभव नहीं था.इस तरह का यह छत्तीसगढ़ में पहला रॉक गार्डन होगा.
इसके अलावा इंटरप्रिटेशन सेंटर भी बनाया गया है जहाँ पर्यटक फॉसिल के पत्थर को देख सकेंगे और फॉसिल बनने की प्रक्रिया को भी पेंटिंग के माध्यम से जान सकेंगे. 450 करोड़ साल पहले पृथ्वी कैसे बना और अब तक उसमे क्या बदलाव हुए उसे भी जान सकेंगे.कैक्टस गार्डन और बम्बू सेटम भी विकसित किया जा रहा है.लोग हसदेव नदी में ही बम्बू राफ्टिंग का भी आनंद उठा सकेंगे.इस फॉसिल पार्क में नेचर ट्रेल का भी पर्यटक लुत्फ उठा सकेंगे. देश के दूसरे फॉसिल पार्क में अब तक इस तरह के फैसिलिटी नहीं है. सरगुजा संभाग में अब तक ज्यादातर पर्यटक मैनपाट को ही देखने आते है.
वन विभाग का यह अभिनव पहल गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क को छत्तीसगढ़ के बड़े पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलायेगा.