धनबाद। देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया में नई सैंपलिंग व्यवस्था क्या आगे मैनेजमेंट पर भारी पड़ेगी? क्या उद्यमी और ट्रेडर्स आंदोलन को बड़ा करेंगे? कोल इंडिया की महत्वपूर्ण तीन इकाइयों बीसीसीएल, सीसीएल और ईसीएल में यह आंदोलन बड़ा हो गया है। सूचना के अनुसार तीनों कंपनियों में कोयला उठाव बंद हो गया है। इस वजह से कोयले का डिस्पैच ठप हो गया है। कोलवाशरियों में कई लाख टन से अधिक कोयले का डिस्पैच ठप हो गया है।

कारोबारी-प्रबंधन बिलकुल आमने-सामने, आगे क्या
कारोबारियों ने कहा है कि आगे वह कोयला नहीं उठाएंगे, अनुषंगी कंपनियां लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और मैनेजमेंट को रिपोर्ट भेज रही है। बता दें कि नई व्यवस्था के तहत संबंधित कोयला कंपनी उपभोक्ताओं की मौजूदगी में डिस्पैच किये जा रहे कोयले का नमूना लेगी और मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में जांच कराएगी, परिणाम जो भी आएगा, विक्रेता और खरीदार दोनों को मानना होगा। प्रारंभिक बिलिंग घोषित ग्रेड पर होगी और बाद में परिणाम के अनुसार आवश्यक डेबिट या क्रेडिट नोट जारी किए जाएंगे।
इस हालत में सैंपलिंग और रिजल्ट को वैध माना जाएगा
अगर खरीदार मौजूद नहीं रहता है, तो सैंपलिंग और रिजल्ट को वैध माना जाएगा। यदि कोई उपभोक्ता यह व्यवस्था स्वीकार नहीं करता है, तो वह थर्ड पार्टी सैंपलिंग का विकल्प भी चुन सकता है। लेकिन उपभोक्ता इसे स्वीकार नहीं कर रहे है। अब यह आंदोलन का रूप ले रहा है। उद्यमी और ट्रेडर नाराज है. उनका कहना है कि सैंपलिंग करने के बाद ही ग्रेड का निर्धारण हो। फिर वह अपनी जरूरत के हिसाब से कोयले की बुकिंग करेंगे। खैर, यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। देखना है आगे इस मामले में होता क्या है? पहली अक्टूबर से इस नियम को लागू कर दिया गया है।
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