अभिषेक मिश्रा, धमतरी. छत्तीसगढ़ में 2023 के विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं और इसका परिणाम भी अब सामने आ चुका हैं. 2018 के उलट 2023 में भाजपा फिर से सत्ता में वापस हो चुकी है और इसके लिए प्रदेशभर में जश्न भी मनाया जा रहा है, लेकिन अगर धमतरी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां 2023 में कांग्रेस के प्रत्याशी ओंकार साहू ने जीत हासिल की है.
धमतरी के चुनावी इतिहास को देखें और उसके परिणामों को देखें तो इस चुनाव परिणाम के बाद भी धमतरी के लोगों में निराशा ही हाथ आई है. इसका कारण इस चुनाव के परिणाम में तो है ही, लेकिन सन 2000 से लेकर 2023 तक जो पांच विधानसभा चुनाव हुए हैं, उनके परिणाम भी निराशाजनक रहे हैं. इसके पीछे बड़ा कारण है धमतरी के चुनावी इतिहास में यह लगातार पांचवीं बार हुआ है कि जिस पार्टी की सत्ता प्रदेश में आकर बैठी है उस पार्टी का विधायक धमतरी विधानसभा को नहीं मिल सका है. यही कारण है कि अब तक यहां का विकास ठीक से नहीं हो पाया है.
धमतरी में अगर विकास के नहीं होने के आरोप लगते हैं तो आम जनता के मन में फिर से वही बात आती है कि जिस पार्टी की सत्ता होती है उसका विधायक नहीं मिल पाता और इसी कारण धमतरी का विकास भी नहीं हो पाता.
जानिए धमतरी विधानसभा का इतिहास
धमतरी के इतिहास की बात करें तो सन 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य बना तब यहां पर कांग्रेस की सत्ता थी और अजीत जोगी पहले मुख्यमंत्री बने, उसी समय यहां के विधायक कांग्रेस के हर्षद मेहता थे. वर्ष 2003 में चुनाव के बाद भाजपा सत्ता में आई और इंदर चोपड़ा भाजपा के यहां से विधायक चुने गए, लेकिन 2008 के चुनाव में फिर से भाजपा सत्ता में आई और कांग्रेस के गुरमुख सिंह होरा विधायक बने. 2013 में भाजपा सत्ता में लौटी और फिर से गुरमुख सिंह होरा विधायक बने. 2018 में सरकार बदली कांग्रेस सत्ता में आई लेकिन धमतरी की विधायक भाजपा की रंजना साहू बन गई. अब 2023 में फिर से छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बन रही है और इधर धमतरी के विधायक कांग्रेस के ओंकार साहू बन गए हैं. इन परिणामों के बाद धमतरी के लोगों का एक ही कहना है कि जब तक सत्ताधारी दल का विधायक ना मिले तब तक कहीं ना कहीं विकास अपनी गति से नहीं हो पाता, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है.
लोगों ने कहा – विकास के लिए तरसना ही पड़ेगा
धमतरी का इसे भाग्य कहें या दुर्भाग्य कहें, जनता के मन में निराशा स्पष्ट नजर आती है. हमने धमतरी के जागरूक बुद्धिजीवी वर्ग से बातचीत करने की कोशिश की तो सभी का आकलन और विश्लेषण यही कहता है कि जब तक सरकार किसी की भी बने, लेकिन जिसकी जिस पार्टी की सरकार बने उसका ही अगर विधायक मिले तो कहीं ना कहीं धमतरी विकास के रास्ते पर आगे बढ़ेगा. जब तक ऐसा नहीं हो पाएगा तब तक लोगों को विकास के लिए तरसना ही पड़ेगा.
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