टोकियो. क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में ऐसा भी हो सकता है कि एक ट्रेन किसी एक शख्स को लेने और छोड़ने के लिए चलाई जा रही हो. ज्यादातर लोग इस बारे में सोच भी नहीं सकते कि सिर्फ एक शख्स के लिए भारी भरकम ट्रेन चलाई जा रही हो, लेकिन ये सच है.
जापान के एक छोटे से कस्बे में पिछले तीन सालो से एक ट्रेन एक बेहद खास पैसेंजर को लेने के लिए आती है औऱ उसे फिर शाम को उसके घर छोड़कर लौट जाती है. जापान के हाकाइडो शहर के बेहद छोटे कस्बे कामी शिराटाकी के रेलवे स्टेशन पर रोज सुबह सात बजे एक ट्रेन आती है एक बेहद प्यारी सी पैसेंजर को लेने और वापस ट्रेन फिर शाम को पांच बजे आती है उस पैसेंजर को छोड़ने.
दरअसल यहां रहने वाली एक लड़की काना के लिए हाकाइडो रेलवे कंपनी ये ट्रेन चलाती है. कामी शिराटाकी बेहद रिमोट कस्बा है. यहां न तो यात्री होते हैं और न ही लोग ट्रेन के सफर में यात्रा करने में दिलचस्पी लेते हैं. दरअसल यात्रियों की संख्या न होने और बेहद रिमोट होने के कारण रेल कंपनी ने इस कस्बे में रेल सेवा बंद करने का फैसला लिया लेकिन कंपनी ने गौर किया कि उनकी ट्रेन में एक यात्री है जो रोजाना सफर करती है वो है काना. बस ट्रेन कंपनी ने अपने कस्टमर की सुविधा का ख्याल रखते हुए फैसला लिया कि वह तब तक ट्रेन इस स्टेशन पर चलाएगी जब तक काना ग्रेजुएट नहीं हो जाती है. बस ये ट्रेन सिर्फ एक विशेष कस्टमर के लिए ही चलाई जा रही है. ट्रेन कंपनी के इस कदम से अभिभूत काना कहती हैं कि मेरे पास उस ट्रेन कंपनी को धन्यवाद कहने के लिए शब्द नहीं हैं. मैं बेहद आभारी हूं कि कंपनी सिर्फ मुझे लेने और छोड़ने के लिए ट्रेन चला रही है. इसके साथ ही मुझे बेहद अफसोस है कि कंपनी ये सेवा उस दिन बंद कर देगी जब मैं इस पर सफर करना बंद कर दूंगी. ये मेरे लिए वाकई बेहद तकलीफदेह होगा.
इतना ही ट्रेन कंपनी अपनी इस यात्री की सुविधा का कितना ख्याल रखती है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि ये ट्रेन काना के स्कूल के टाइम टेबल के मुताबिक चलती है. जिस भी दिन काना के स्कूल में छुट्टी होती है. ये ट्रेन भी छुट्टी पर होती है. जिस दिन काना का स्कूल ओपेन होता है ये ट्रेन भी उसी दिन चलती है. काना के स्कूल की टाइमिंग के मुताबिक ये ट्रेन अपनी टाइमिंग निर्धारित करती है.
जापान की इस रेल कंपनी की अपने कस्टमर की सुविधा का ख्याल रखने की इस प्रतिबद्धता का हर कोई कायल हो गया. आज जहां कंपनियां कस्टमर केयर के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर देती हैं वहीं सिर्फ एक कस्टमर की सुविधा का ख्याल रखते हुए करोड़ों की लागत वाली ट्रेन को रोजाना चलाना वाकई में काबिले तारीफ है. इस घटना की खबरें जैसे ही मीडिया में आई हर कोई काना के समर्पण औऱ ट्रेन कंपनी के कमिटमेंट की जमकर तारीफ कर रहा है. शायद यही वजह है कि दुनिया आज भी जापानियों के काम करने के तरीकों की कायल है.