बागपत. फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर उससे आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का जाल वेस्ट यूपी में फैला हुआ है. पुलिस को बुलंदशहर और गाजियाबाद के फर्जी कागजात मिले हैं तो शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर के आधार भी फर्जीवाड़ा करके बनाए जाने की जानकारी मिली है. पुलिस को फर्जी आधार कार्ड से पासपोर्ट भी बनवाए जाने की जानकारी मिली है, जिनका पता लगाया जा रहा है.

बागपत में कोर्ट रोड पर अधिवक्ता के दानिश जन सेवा केंद्र से यह पूरा फर्जीवाड़ा चल रहा था. इससे जुड़े गिरोह के सदस्य अन्य जिलों में मौजूद हैं और वह अपने जिलों से फर्जी आधार कार्ड बनवाने वालों को बागपत में दानिश जन सेवा केंद्र पर भेजते थे. यहां दानिश व उसका भाई मोहसीन पहले फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाते थे और उससे ताहिर, साहिल व विशाल संग मिलकर फर्जी आधार कार्ड बनाए गए.

इसके लिए एक जन्म प्रमाण पत्र व आधार कार्ड के दो हजार रुपये तक वसूलते थे. पिछले कई साल से यह फर्जीवाड़ा चल रहा है और इस तरह सैकड़ों फर्जी आधार कार्ड अभी तक बनाए गए हैं. एसपी अर्पित विजयवर्गीय के अनुसार यह गिरोह केवल बागपत तक सीमित नहीं था, बल्कि आसपास के काफी जिलों से इनके पास लोग आकर फर्जी आधार कार्ड बनवाते थे. जिनके कागजात भी बरामद किए गए हैं और अब उन सभी की छानबीन की जाएगी, जिनके इन लोगों ने आधार कार्ड बनाए हैं.

फर्जी आधार से बना पासपोर्ट

एसपी के अनुसार जब 18 वर्ष से कम उम्र के किसी का आधार कार्ड बनवाया जाता है तो उसके लिए माता-पिता का आधार कार्ड और उस 18 वर्ष से कम उम्र वाले के जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत होती है. इस तरह यह फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाते हुए पूरी जानकारी माता-पिता के आधार कार्ड के अनुसार सही डालते थे. इसके बाद फर्जी जन्म प्रमाण पत्र से आधार कार्ड बनवा देते थे और उस आधार कार्ड को किसी जगह इस्तेमाल किया जाए तो वह पकड़े नहीं जा सकें. यह माना जा रहा है कि उन आधार कार्ड से पासपोर्ट भी बनवाए गए हैं, जिसकी जांच की जा रही है.

यह भी पढ़ें: आगरा में रसगुल्ले को लेकर खूनी संघर्ष, दोनों पक्षों के आधा दर्जन लोग घायल

जन सेवा केंद्र चलाने वाला दानिश ही अधिवक्ता है. जिसपर पिछले साल निकाय चुनाव के समय फर्जी आधार कार्ड बनाकर वोट बनाने का आरोप लगा था और वहां पुलिस ने छापा मारकर काफी सामग्री बरामद की थी. इसके बाद भी पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी. इसके अलावा उसपर कई अन्य मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें किसी में वह गिरफ्तार नहीं हुआ. वह अधिवक्ता बनकर पुलिस पर दबाव बनाता था और मुकदमे दर्ज होने के बाद भी कोतवाली में घूमता था. एसपी अर्पित विजयवर्गीय ने बताया कि इसका पता कराया जा रहा है कि अधिवक्ता अन्य कोई व्यवसाय अपने नाम से कर सकता है या नहीं, ऐसा है तो उसके खिलाफ बार काउंसिल को पत्र लिखा जाएगा.