संजीव शर्मा, कोंडागांव। सालों से पैर दर्द, घुटनों दर्द, कमर और पीठ में दर्द से परेशान लोगों के लिए खरियार रोड से कोंडागांव आए सुरेंद्र मिश्रा और कमलेश मिश्रा एक तरह से भगवान बनकर आए हैं. पिता और पुत्र विरासत में मिले बेलन और चकरी के सहारे बिना किसी चीर-फाड़ के उपचार कर रहे हैं.

कोंडागांव के विकास नगर स्थित दर्जी भवन में पिता-पुत्र तीन दिनों के दौरान 150 से अधिक पीड़ितों का उपचार कर चुके हैं. उपचार कराने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें इस उपाय से काफी राहत मिली है. 53 वर्ष सुरेंद्र मिश्रा और उनके 29 वर्षीय पुत्र कमलेश मिश्रा बताते हैं कि प्रियंका दहिया और गोपाल दहिया के निमंत्रण पर वे राजा खरियार से कोंडगाांव आए हैं.

उन्होंने बताया कि बेलन-चकरी से उपचार करने वाले हम सातवीं पीढ़ी के हैं. सुरेन्द्र मित्रा ने बताया उन्हें उनके दादा विश्वनाथ मिश्रा ने शीशम की लकड़ी का बेलन और चकरी दिया था, जो 150 साल से हमारे पूर्वजों के पास है. उसी बेलन और चकरी से हम लोगों का उपचार करते हैं. अब तक 6 लाख लोगों का इस पद्वति से उपचार कर चुके हैं.

महाभारत काल में उपचार का उल्लेख

सुरेंद्र मिश्रा बताते हैं कि महाभारत युद्ध के समय घायलों के दर्द का उपचार भी ऐसे ही किया जाता था. इस लिहाज से उपचार की यह पद्धति 5 हजार साल पुरानी हैं, जो आज जानकारी के अभाव से विलुप्त होती जा रही है. सुरेंद्र मिश्रा को कोंडागांव आमंत्रित करने वाली प्रियंका दहिया बताती हैं कि उनका पैर नहीं मुड़ता था, घुटना में दर्द महसूस होता था. इसी तरह की तकलीफ का सामना गोपाल दहिया, गोमती भट्टाचार्य, रीना श्रीवास्तव भी कर रहे थे. उपचार के बाद उनका कहना था कि लगभग 75 प्रतिशत राहत महसूस हुई है. काफी आराम मिला है.

उपचार पद्धति को बचाने की अपील

सुरेन्द्र मिश्रा और कमलेश मिश्रा बताते हैं कि उपचार के नाम पर हम महज 200 रुपए शुल्क ले रहे हैं, जो हमारे आने-जाने और रहने-खाने पर खर्च होता है. इसके अलावा कोई अन्य शुल्क नहीं लेते हैं. इसके साथ ही वे सरकार से उपचार की पांच हजार साल प्राचीन पद्धति को बचाने की अपील करते हैं.