प्रमोद निर्मल, मोहला-मानपुर। मोहला-मानपुर जिले में शाला भवनों का अभाव एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जिसके चलते जिले के आदिवासी नौनिहालों की शिक्षा खासी प्रभावित हो रही है। जिले में कुल 55 तथा आदिवासी बाहुल्य मानपुर विकासखंड में 19 स्कूलें ऐसी हैं, जिनके भवन जर्जर हैं। ये स्कूलें सालों से या तो जर्जर शाला भवनों में ही, या फिर सामुदायिक भवनों, ग्रामीणों के कच्चे मकानों, रंगमंचों, यहां तक कि पंचायत के कचरा शेड में किसी अप्रिय घटना की आशंका के बीच संचालित हो रही हैं। जिम्मेदार प्रशासन इस पर अब तक गंभीर नजर नहीं आया, लेकिन मासूम बच्चों की जिंदगी से जुड़े इस अहम मसले पर शिक्षा समिति के सभापति देवानंद कौशिक ने संज्ञान लेकर व्यवस्था को सुधारने की पहल की है।

राजस्थान में हुई हृदय विदारक घटना से लें सबक

शाला भवनों की जर्जरता और इससे हो रही दिक्कतों पर जनपद पंचायत मानपुर के उपाध्यक्ष और शिक्षा समिति के पदेन सभापति देवानंद कौशिक ने गंभीरता दिखाई है। उन्होंने विशेषकर मानपुर विकासखंड के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय विकासखंड शिक्षा अधिकारी समेत कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र प्रेषित किया है। पत्र में बीते दिनों राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल भवन ढहने से 7 बच्चों की मौत और 35 बच्चों के घायल होने की हृदयविदारक घटना का हवाला देते हुए, यहां की जर्जर शाला भवनों में संचालित स्कूलों को जल्द विस्थापित करने की मांग की गई है।

जिला भर में 55, मानपुर ब्लॉक में 19 स्कूल जर्जर

जानकारी के मुताबिक आदिवासी बहुल मानपुर ब्लॉक में 19, तो वहीं जिले भर में कुल 55 स्कूल जर्जर हैं। शिक्षा सभापति देवानंद कौशिक द्वारा भेजे गए पत्र की पुष्टि करते हुए जानकारी दी गई कि जिले के मानपुर विकासखंड में बहुत से शाला भवन जर्जर स्थिति में हैं और जर्जर भवनों में ही अथवा अन्य अनुपयुक्त जगहों में अध्यापन कार्य संचालित किया जा रहा है। चूंकि भवन अति जर्जर स्थिति में हैं एवं क्षेत्र में अतिवृष्टि के कारण जर्जर भवनों के ढहने की भी प्रबल संभावना है, अतिवृष्टि के दौरान विकासखंड मानपुर में अतिजर्जर शाला भवनों में स्कूल संचालन से मन में किसी अप्रिय घटना की संभावना का एक भय बना हुआ है। निकट भविष्य में किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचने के लिए एहतियात के तौर पर जर्जर शाला भवनों से अध्ययन-अध्यापन कार्य को विस्थापित करने की महती आवश्यकता महसूस हो रही है। तत्संबंध में उचित और त्वरित कार्रवाई के लिए प्रस्ताव अनुशंसा सहित उन्होंने संप्रेषित किया है। सीधे तौर पर उन्होंने प्रशासन से जर्जर शाला भवनों में संचालित स्कूलों को विस्थापित करने के लिए पत्र लिखा है।

सिर्फ जानकारी भेजते रह गए अफसर, गंभीर कार्रवाई नहीं

इधर मानपुर विकासखंड शिक्षा अधिकारी ए. आर. कौर ने शिक्षा समिति सभापति का पत्र प्राप्त होने की पुष्टि करते हुए कहा है कि जर्जर शाला भवनों के संबंध में नवीन शाला भवन व जरूरत के मुताबिक अतिरिक्त भवन निर्माण के लिए जिला शिक्षा अधिकारी दफ्तर में स्टीमेट के साथ जानकारी भेजी गई है।

लल्लूराम डॉट कॉम लगातार उठा रहा है मुद्दा, शिक्षा समिति सभापति ने लिया संज्ञान

औंधी तहसील क्षेत्र के आलकन्हार में स्कूल वर्षों से रंगमंच में चल रही है। बालेर में कचरा संग्रहण केंद्र में तथा घोड़ाझरी में सामुदायिक शाला संचालन हो रहा है। हुरेली में तो सामुदायिक भवन के साथ-साथ जर्जर, गंभीर क्षतिग्रस्त पुराने भवन में शाला लगाने की मजबूरी है। कचरा संग्रहण केंद्र में पाठशाला का मुद्दा हो या नौनिहालों की पंगु शिक्षा व्यवस्था के अन्य पहलू, लल्लूराम डॉट कॉम ने खबर के जरिए जर्जर और अनुपयुक्त भवनों के भरोसे आदिवासी नौनिहालों की त्रासदीपूर्ण शिक्षा व्यवस्था के मुद्दे को खबर के जरिए प्रमुखता से उठाया।

यह समस्या यहां एक या दो साल की नहीं बल्कि इससे कहीं ज्यादा पुरानी है। जितनी पुरानी है, उतने समय में तमाम प्रभावित स्कूलों को नया भवन बनाकर दिया जा सकता था। लेकिन अफसर अभी भी “प्रयास कर रहे हैं” कहकर मामले से पल्ला झाड़ने से बाज नहीं आ रहे। क्या ये राजस्थान की घटना छत्तीसगढ़ के आदिवासी वनांचल में घटित होने का इंतजार कर रहे हैं? क्षेत्रवासियों के बीच ये बड़ा और कड़ा सवाल उठना लाजमी है।

बहरहाल, शिक्षा समिति सभापति देवानंद ने हमारी खबरों और स्वयं के आकलन से जुड़ी प्रशासनिक कारगुजारियों से परे इस मसले पर संज्ञान लिया है। अब देखना यह होगा कि उनकी यह पहल प्रशासन की नींद खोल पाती है या नहीं।