जगदलपुर। सिलगेर में हुई घटना को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने निंदा करते हुए कहा कि इसे पुलिस टाल सकती थी. इसके साथ ही उन्होंने घटना की प्रशासनिक जांच पर एतराज जताते हुए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज से जांच कराने की बात कही है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने पत्रकार वार्ता में कहा कि पुलिस ने यह माना है कि क्रॉस फायरिंग में तीन लोगों की मौत हुई है. पुलिस का कहना है कि भीड़ की आड़ लेकर पहले नक्सलियों ने फायरिंग की है. उन्होंने इस पर शक जताते हुए कहा कि कुछ महीनों पहले भी नारायणपुर जिले के अमदई में भी हजारों की संख्या में आदिवासियों ने प्रदर्शन किया था. उस वक्त भी वहां कोई भी आदिवासी हथियार लेकर नहीं पहुंचा था.
नेताम ने कहा कि बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बीजापुर के बासागुड़ा सुरक्षाबल का मनोबल बढ़ाने पहुंचे हुए थे. इस दौरान उन्होंने पुलिस को सख्त कदम उठाने की छूट देते हुए कहा था कि असला की कमी नही होगी, उसकी कमी हम पूरी करेंगे. उसके बाद से ही पुलिस ड्रोन और निहत्थे लोगों पर हमला करना शुरू किया है.
अरविंद नेताम ने कहा कि घटना के दो दिनों के बाद जब आदिवासी समाज के प्रतिनिधि मौके पर के लिए जा रहे थे, तो उन्हें पुलिस ने रोक लिया. इस दौरान उन्होंने पुलिस के उच्च अधिकारियों से मौके पर जाने के लिए निवेदन किया, लेकिन उन्हें वहां जाने की इजाजत नही मिली. जाहिर है कि पुलिस इस घटनाक्रम के लीपापोती करने में लगी हुई थी.
उन्होंने कहा कि देश में पेसा कानून लागू है. पुलिस कैम्प स्थापित के लिए फर्जी ग्राम सभा का सहारा लिया गया है. पुलिस को विश्वास अर्जित करने के लिए अलग से एक विशेष अभियान चलाना चाहिए. इस घटना के बाद यह साफ हो गया है कि पुलिस और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी है. बस्तर के अधिकारी आश्वासन पूरा नहीं करते हैं, क्योंकि बस्तर के अधिकारी ऐसे मामलों को गम्भीरता से लेते ही नहीं है.
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नेताम ने कहा कि बस्तर के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को एक टीम बनाना चाहिए, जिससे बस्तर में हो रहे कामों का जमीनी स्तर में काम हो सके. इस मामले को लेकर राज्य सरकार और कांग्रेस पार्टी दोनों को चिंतन करना चाहिए. घटना को लेकर बस्तर के सभी जनप्रतिनिधियों को अपनी बात रखनी चाहिए. राज्य गृह मंत्री को तो बीजापुर आना चाहिए, इससे बहुत फर्क भी पड़ेगा है.
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