रायपुुर। साइंस कॉलेज मैदान में 27 दिसम्बर से आयोजित हो रहे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेने बेलारूस, युगांडा, श्रीलंका और मालदीव देश सहित 23 राज्यों के आदिवासी नृत्य दल रायपुर पहुंच गये है. देर रात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद साइंस कॉलेज मैदान पहुँचें. उन्होंने तैयारियों का जायजा लिया. मैदान में मौजूद मेहमान कलाकारों से उन्होंने बातचीत भी की. इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत भी साथ थे.
युगांडा के जनजातीय कलाकारों का दल पहुंचा रायपुर
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेने के लिए पूर्वी आफ्रिका के युगांडा देश के छह जनजातीय कलाकारों का दल रायपुर पहुंच गया है। दल प्रमुख श्री अकेलो केली ने बताया कि युगांडा में जन्मदिन के अवसर पर विशेष नृत्य का आयोजन होता है। युगांडा के कलाकारों द्वारा उनके देश में होने वाला छह प्रकार के नृत्य प्रस्तुत करेंगे। जिसमें अम्बागुबु, उडुंगु, ओरगेजे, बकसिम्बा, लरकरका, अमरम्बा नामक नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। युगांडा के कलाकारों ने आज अपने नृत्य का प्रदर्शन करके भी दिखाया। वे सभी कलाकार बहुत खुश नजर आ रहे थे और लोगों के साथ फोटो भी खिचंवा रहे थे।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह महोत्सव अब अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव का रूप ले लिया है। तीन दिवसीय इस नृत्य महोत्सव में देश के 25 राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के साथ ही 6 देशों के लगभग 1350 से अधिक प्रतिभागी अपनी जनजातीय कला संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। इस महोत्सव में 39 जनजातीय प्रतिभागी दल 4 विभिन्न विधाओं में 43 से अधिक नृत्य शैलियों का प्रदर्शन करेंगे। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आंध्रप्रदेश के 40 कलाकार भाग लेंगे। ये कलाकार चार अलग-अलग दल में आंध्रप्रदेश के प्रसिद्ध पारंपरिक दिम्सा नृत्य, कोम्मू नृत्य, लंबाड़ा नृत्य और चेंचू नृत्य की प्रस्तुति देंगे। साथ ही उत्तराखण्ड, अरूणाचल प्रदेश, हिमांचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिसा, गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, जम्मू, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडू आदि राज्यों के लोक कलाकार महोत्सव में भाग लेने रायपुर पहंुच चुके है।
सात हजार किलोमीटर दूर बेलारुस से पहुँचे विदेशी कलाकार
लोक नृत्य की छटा बिखेरने बेलारूस के कलाकार आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंच गए हैं. लगभग सात हजार किलोमीटर की दूरी तय कर 10 सदस्यीय कलाकार दल राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेने पहली बार छत्तीसगढ़ पहुंचा है. उनके नृत्य दल ने कनाडा, ग्रीस, अल्जीरिया, इस्पेन, जर्मनी, इटली, रशिया सहित कई देशों में प्रस्तुति दी है. नृत्य दल की सदस्य एलीसा ने बताया कि छत्तीसगढ़ की मेहमान नवाजी और यहां मिले अपनेपन और देखभाल से कलाकार बहुत प्रभावित हैं. बेलारूस और छत्तीसगढ़ की संस्कृति आवभगत में समान है. बेलारूस की तुलना में यहां का खाना थोड़ा तीखा है पर उन्हें स्वादिष्ट लगा. कलाकार दल ने यहां के खान-पान की तारीफ करते हुए खुद बेलारूशिन पेनकेक बनाकर सबको खिलाने की इच्छा भी जाहिर की. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेने के लिए उनका दल बहुत उत्साहित है.
सुश्री एलीसा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में वे राष्ट्रीय लोक नृत्य ‘लेवोनिखा’ प्रस्तुत करेंगे. ‘लेवोनिखा’ के माध्यम से दर्शक राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य समारोह में बेलारूस की सांस्कृतिक लोक कला को संगीत और नृत्य के माध्यम से देख सकेंगे। यह नृत्य प्रेम का प्रतीक है जो उत्सव, विवाह संस्कार में खुशी जाहिर करने के लिए किया जाता है। नृत्य प्रस्तुति के समय कलाकार एक विशेष कपड़ा हाथों में लिए रहते हैं. यह कपड़ा बेलेरूशियम लीनन से बनाया जाता है, जिसमें हाथ से कढ़ाई की जाती है. इसे विदाई के समय सुरक्षा और प्रेम के प्रतीक स्वरूप प्रियजनों को दिया जाता है. कपड़े में लाल रंग से गोलाई लिए आकृतियां बनाई जाती है. इसमें गोल आकृति जीवन चक्र और लाल रंग सुरक्षा का प्रतीक होता है. उन्होंने बताया कि उनके नृत्य दल के कलाकार गृहणी, स्कूली छात्र, इंजीनियर, कोरियोग्राफर भी हैं। बेलारूस में उनके नृत्य दल में तीन साल से लेकर 70 साल तक के आयु के कलाकार शामिल हैं.
राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव में भाग लेने श्रीलंका का दल पहुंचा रायपुर
अपनी कला का प्रदर्शन करने श्रीलंका का 12 सदस्यीय दल आज रायपुर पहुंच गया है. श्रीलंका दल के सदस्यों ने रायपुर पहुंचने पर खुशी जाहिर की और कहा कि यहां आकर बहुत अच्छा महसूस हो रहा है. यहां का मौसम श्रीलंका जैसा ही है. यहां के लोग और श्रीलंका के निवासियों का रंग-रूप, कद-काठी लगभग समान ही है। वेशभूषा भी मिलता-जुलता है. छत्तीसगढ़ के समान ही श्रीलंका में भी धान और चाय का उत्पादन बहुतायत से होता है। यहां पहुंचने पर बहुत अच्छा आवभगत हुआ.
श्रीलंका के दल प्रमुख उमा श्रीधरन ने बताया कि उनका निवास स्थान मध्य श्रीलंका में है और उनकी भाषा तमिल है. सत्य साईं कलालयम नाम की उनकी संस्था है. इसी संस्था के 12 कलाकार रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में अपनी कला का प्रदर्शन करने आए है। श्रीलंका में अगस्त में महीने में भगवान बुद्ध के पूजा के अवसर पर विशेष नृत्य किया जाता है. श्रीलंका का राष्ट्रीय त्यौहार पैराहरा है. श्रीधरन ने बताया कि श्रीलंका के कलाकारों द्वारा चार प्रकार के नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा. जिसमें पॉट डान्स जिसमें गांवों की महिलाएं घड़ा में पानी लेकर पनीहारिन की तरह जाते हुए डान्स करती है. हारर्वेस्टिंग डान्स खेती-किसानी के समय किसानों द्वारा की जाती है. स्वार्ड एण्ड रबान डान्स जुलाई के महीने में विशेष पूजा के समय की जाती है. पीकाक एवं शॉल डान्स श्रीलंका में किए जाने वाला मयूर नृत्य है.