पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। महुआ फूल की बम्फर आवक हुई तो कारोबारियों ने कीमत गिरा दिया. वहीं शराबबंदी की आशंका के बीच स्टॉकिस्ट भी पीछे हट गए है. ऐसे में मुख्यमंत्री की पहल पर वन विभाग ने महुआ की बंपर खरीदी की है. इसका असर यह हुआ कि 18 हजार संग्राहक परिवार के अलावा देवभोग परिक्षेत्र के 80 महिला समूह के1000 महिलाओं ने जमकर मुनाफा कमाया है.

अच्छे किस्म के महुआ फूल के संग्रहण के लिए देवभोग परिक्षेत्र जाना जाता है. इस साल से पहले तक संग्राहकों का नफा नुकसान महुआ से जुड़े कारोबारी करते थे, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कारगर नीति से वनांचल में रहने वाले संग्राहक परिवार के चेहरे पर महुआ फूल की सुनहरे चमक देखने को मिल रही है. वन विभाग ने पहली बार एमएसपी दर पर 8 हजार क्विंटल महुआ की खरीदी की है. संग्राहकों को 3300 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर भुगतान किया है. वह भी ऐसे समय मे जब व्यापारी राष्ट्रीय बाजार में महुआ फूल के गिरे कीमतों के हवाला देकर 26 रुपए में भी खरीदी करने के लिए तैयार नहीं थे.

देवभोग परिक्षेत्र में 12 लघु वनोपज समितियां हैं. इन समितियों के अधीन 80 महिला समूह के 1000 सदस्य काम कर रही हैं. इन्ही समूह के माध्यम से वन विभाग ने 3300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से एक माह के भीतर 7 हजार क्विंटल यानी 2 करोड़ 31 लाख रुपए महुआ फूल की खरीदी की है. वन मण्डल स्तर पर 9596.98 क्विंटल की खरीदी की गई है.

महुवा से 15 लाख का कमीशन

महुवा की खरीदी में महिला समूह की भागीदारी को ध्यान में रखा गया. ग्राम स्तर पर महिला समूहों के माध्यम से खरीदी हुई,फिर 7 से 8 समूह के बीच मे एक हाठ बाजार प्रभारी समूह बनाया गया, जो ग्राम स्तर पर हुई खरीदी की सफाई व ग्रेडिंग कर सीधे वन धन केंद्र प्रभारी समुँह के सुपुर्द करती है. वन धन केंद्र प्रभारी समूह अच्छे से सफाई, भराई के बाद उसे कोल्ड स्टॉरेज के लिए रवाना करती है. इस पूरी प्रक्रिया में महिला समूहों को मेहनताना, कमीशन के साथ काम मे लगे प्रेरक, प्रबंधक व एग्जीकेटिव पर प्रति क्विंटल 200 रुपये सरकार अतरिक्त खर्च कर रही है.

गुठली में गच्चा खा गए

पिछली बार वन विभाग लघुवनोपज समिति के माध्यम से चार ( चिरौंजी) गुठली बी ग्रेड की रिकॉर्ड खरीदी की गई थी. आवक घटते ही बाजार में इसकी कीमत अप्रेल माह से ही उछाल ले लिया. मार्च के अंतिम सप्ताह में इसकी खरीदी शुरू हुई तो कीमत 120 रुपए से ज्यादा थी, जबकि सरकारी खरीदी में गुठलु की एमएसपी दर 115 रु प्रति किलो व 11 रुपये बोनस की है. बोनस की परवाह किये बगैर संग्राहक ज्यादा कीमत पर व्यापारियों को देना शुरू कर दिये. एमएसपी से ज्यादा खरीदी पर सरकारी दबाव भी बनाया गया. फसल कम थी लिहाजा कारोबारी झुकने के बजाए कीमत 150 रुपये तक बढ़ा कर 90 फीसदी उत्पादन खरीद लिए. पिछले साल देवभोग परिक्षेत्र में ढाई हजार क्विंटल गुठलु की खरीदी हुई थी, इस बार 239.36 क्विंटल का आंकड़ा बड़ी मुश्किल से पहुंच पाया.

15.49 करोड़ के लघुवनोपज खरीदी का लक्ष्य

डीएफओ मयंक अग्रवाल ने बताया कि सरकार की मंशा है कि ग्रामीण अंचलों में वनोपज संग्रहण के माध्यम से उचित कीमत दिलाकर ग्रामीण व महिला स्वसहायता समूह के प्रत्येक सदस्यों के जीवन स्तर ऊंचा उठाने में वन विभाग सहभागी बने. वन मण्डल में 64 प्रकार के लघुवनोपज के लिए 54240 क्विंटल का लक्ष्य रखा गया है. जिले में अब तक 13512.11 क्विंटल वनोपज संग्रहण किया जा सका है, जिसमें 4531 संग्राहकों को 4 करोड़ 78 लाख का पारिश्रमिक भुगतान भी किया गया है.