राजस्थान. होली का त्योहार पूरे देश में धूम धाम से मनाया जाता है और होली के साजो सामान से पूरा बाजार भी सज चुका है. पिछले कुछ सालों से देखने में आ रहा है कि लोगों का रुझान हर्बल रंगों की तरफ ज्यादा बढ़ा हैं. चूंकि ये पूरी तरह से प्राकृतिक चीजों के इस्तेमाल से बनाए जाते हैं. इसलिए ये हमारी स्किन के लिए safe होते हैं. ऐसे में अलग अलग क्षेत्रों में कई महिला समूह इस काम को करते हैं और ताजे फल, फूल से हर्बल गुलाल तैयार करते हैं. इसी के चलते उदयपुर की आदिवासी क्षेत्र की महिलाएं इन दिनों हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हुई हैं.
उदयपुर में तैयार होने वाले इन हर्बल गुलाल की डिमांड हमेशा बनी रहती है. पिछले साल इन महिलाओं ने 100 क्विंटल हर्बल गुलाल बनाया था. महिलाओं के समूह की ओर से गुलाल तैयार करने के बाद इन हर्बल गुलाल का आधा किलो, 1 किलो के पैकेट तैयार होते हैं.
ऐसे बनता है गुलाल
जिस प्रकार गेहूं का आटा होता है जो बिल्कुल पाउडर जैसा होता है, उसी प्रकार मक्की का भी एक ऐसा ही आटा आता है उसे काम में लेते है. सबसे पहले जंगल से पलाश सहित अन्य अलग-अलग फूलों को तोड़कर लाते हैं. फूल कम पड़ जाए तो चुकंदर, मैथी, पालक भी उपयोग में लेते हैं. इनका उपयोग गुलाल में रंग लाने का कार्य करता है. सबसे पहले इन्हें देसी अंदाज में पिसते हैं, फिर गरम पानी में उबलते हैं. फिर छानकर पानी निकाल लेते हैं. फिर मक्की के आटे में मिलाकर 8-10 दिन तक सुखाते हैं. फिर उसे मशीन में पिसते हैं जिससे गुलाल तैयार हो जाती है.
आदिवासी अंचल की महिलाएं कर रही तैयार
उदयपुर शहर के आदिवासी अंचल में इन दिनों ग्रामीण महिला है हर्बल गुलाल तैयार कर रही है. यह हर्बल गुलाल पलाश , गुलाब, गेंदे के फूलों और पत्तियों से तैयार की जा रही है. विभिन्न रंगों के लिए अलग-अलग प्रकार के फूलों और पत्तियों का प्रयोग कर हर्बल गुलाल बनाई जा रही है. राजिविका मिशन के तहत महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से महिलाओं को हर्बल गुलाल बनाने का तरीका सिखाया जा रहा है. जिससे इनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं इन दिनों गुलाल बनाने में जुटी हुई है.
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