राकेश चतुर्वेदी,भोपाल। मध्य प्रदेश के आदिवासियों को कोरोना की तीसरी लहर से सबसे अधिक खतरा है. क्योंकि जहां पीएम मोदी से लेकर सीएम शिवराज का फोकस है, वहीं वैक्सीनेशन अभियान पिछड़ा है. आदिवासी जिलों में सबसे कम वैक्सीनेशन हुआ. कम वैक्सीनेशन होने से आदिवासी इलाकों में तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है. आदिवासियों पर राजनीति फुल, लेकिन वैक्सीनेशन गुल है.
कई आदिवासी जिलों में वैक्सीनेशन पिछड़ा
आदिवासी जिलों में कोरोना वैक्सीनेशन के आंकड़े आंख खोलने वाले हैं. अलीराजपुर जिले में सिर्फ 56.36% लोगों को सेकंड डोज लगा. बड़वानी जिले में सिर्फ 58.82% लोगों को सेंकड डोज लगा. झाबुआ में सिर्फ 62.22% लोगों को सेकंड डोज लगा. अनूपपुर जिले में 68.69% सेकंड डोज लगा. सीधी और धार जिले में भी वैक्सीनेशन पिछड़ा है.
BJP ने 17 साल में आदिवासियों का जीना किया दूभर
कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी का कहना है कि17 साल में आदिवासियों के लिए बीजेपी ने कुछ नहीं किया. जागरूकता, शिक्षा ,रोजगार की जगह बड़े-बड़े आडंबर और आयोजन किए जा रहे हैं. बीजेपी को चुनाव के टाइम आदिवासियों की याद आती है. 17 साल में आदिवासियों का जीना दूभर कर दिया. आदिवासी इलाकों में वैक्सीनेशन सबसे कम हुआ है.
सरकार का फोकस आदिवासी अंचलों पर
बीजेपी मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने कहा कि कांग्रेस ने काम कम किया, इसलिए आदिवासियों में जागरुकता कम है. 60-65 साल में काम किया होता, तो आज जागरुकता अधिक होती. कांग्रेस इस मामले में कतई न बोले. सरकार का फोकस आदिवासी अंचलों पर है. सबको वैक्सीन लगाई जाएगी.
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