नारायणपुर. नारायणपुर के आमदाई में माहौल पिछले 2 दिन से गरमाया हुआ है. आदिवासी अपने देवताओं के घर कहे जाने वाले आमदाई के एक पहाड़ को बचाने के लिए हजारों की संख्या में सड़कों पर उतरे हुए हैं.

जानकारी के अनुसार नारायणपुर के अलग-अलग इलाकों से बड़ी संख्या में लोग पदयात्रा करके निक्को जायसवाल कॉर्पोरेशन  फैक्ट्री (छोटेडोंगर) पहुंचे हैं. यहां पहुंचकर आदिवासियों ने रोड को घेर कर धरना शुरू कर दिया है.

बता दें कि इन आदिवासियों का कहना है कि निक्को जायसवाल कंपनी उनके आमदाई पहाड़ से लौह अयस्क निकाल रही है. जिसकी वजह से आदिवासियों में खासी नाराजगी है.

हालांकि, प्रशासन की ओर से कोई भी अधिकारी धरना स्थल पर अभी तक नहीं पहुंचे हैं. पुलिस के धरना स्थल पर न पहुंचने का कारण रास्ते में नक्सलियों का एंबुश होने का खतरा बताया जा रहा है.

जैव विविधता का घर है आमदाई और अबूझमाड़

नारायणपुर की आमदई की पहाड़ियां लगभग 32 किलोमीटर की लंबाई और 12 किलोमीटर की चौड़ाई में फैली हुई हैं.

यहां के लौह अयस्कों की खासियत ये है कि इनमें समृद्ध लौह तत्व यानी औसत एफई 67 प्रतिशत है, जिसे दुनिया के बेहतर लौह अयस्क में शुमार किया जाता है.

वहीं यहां दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु पाए जाते हैं. देश के राष्ट्रीय पक्षी मोर का उत्तम स्थान माना जाता है. इस क्षेत्र के राजपूत, धनोरा, छोटेडोंगर, आमदाई के पहाड़ों में बहुत अधिक संख्या में मोर के झुंड अक्सर देखे जाते हैं. दुर्लभ जीव जंतु जैसे अजगर, तेंदुआ, बाघ, हिरण, छोटा चीतल, भालू, पहाड़ी मैना, हड़ेल,पेंग्विन (साल) पशु पक्षियों का घर है.

आदिवासियों का मानना है कि अगर पहाड़ से ऐसे ही लौह अयस्क को निकालने का काम चलता रहा तो इन जीव-जंतुओंं की जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है. जो उन्हें मंजूर नहीं है.

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