नई दिल्ली। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित छत्तीसगढ़ के प्रख्यात हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल (89 वर्ष) का निधन आज रायपुर एम्स में हो गया। सांस लेने में कठिनाई के कारण उन्हें दो दिसंबर को रायपुर एम्स में भर्ती किया गया था। उन्हें वेंटिलेटर में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था, जहां मंगलवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा: ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।

लंबे समय से गंभीर था विनोद कुमार शुक्ल का स्वास्थ्य

एम्स प्रबंधन के अनुसार शुक्ल का स्वास्थ्य लंबे समय से गंभीर था; उन्हें इंटरस्टिशियल लंग डिजीज (IAD), गंभीर निमोनिया, टाइप-2 मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं के कारण 2 दिसंबर से एम्स में भर्ती किया गया था।

1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव में हुआ था जन्म

राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ में 1 जनवरी 1937 को जन्मे विनोद कुमार शुक्ल ने अपने साहित्यिक जीवन में हिंदी भाषा को न केवल समृद्ध किया, बल्कि उसे वैश्विक साहित्य के परिप्रेक्ष्य में भी स्थापित किया। उनके लेखन की खासियत सरल भाषा, गहरी संवेदनशीलता और प्रयोगधर्मी शैली रही। शुक्ल ने कवि, कथाकार और उपन्यासकार के रूप में हिंदी साहित्य में अनेक महत्वपूर्ण योगदान दिए।

उनकी प्रमुख रचनाओं में कविता संग्रह लगभग जयहिंद, वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह, सब कुछ होना बचा रहेगा शामिल हैं। उपन्यासों में नौकर की कमीज, दीवार में एक खिड़की रहती थी और खिलेगा तो देखेंगे उनके साहित्यिक कौशल की मिसाल हैं। उल्लेखनीय है कि नौकर की कमीज पर फिल्म भी बनाई गई थी, जबकि दीवार में एक खिड़की रहती थी को साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया।

विनोद कुमार शुक्ल को उनके जीवनकाल में अनेक सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए। इनमें गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रजा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, मातृभूमि पुरस्कार और साहित्य अकादमी सर्वोच्च सम्मान महत्तर सदस्य शामिल हैं। वर्ष 2024 में उन्हें 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया, और वे छत्तीसगढ़ राज्य के पहले लेखक बने जिन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुआ।

छत्तीसगढ़ और देशभर में उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राज्यपाल रामेन डेका, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और अन्य नेताओं ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।

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