पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में कांग्रेस की सरकार में 7 महीने पहले “स्वच्छ भारत मिशन” के तहत करोड़ों रुपये की सायकलें खरीदी गई थी। लेकिन अब तक इनका उपयोग कैसे करना है, संचालन किनके द्वारा होना है, यह नहीं बताया गया है, जिसके चलते अब तक सायकलों का उपयोग नहीं हो पाया है, बल्कि कबाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं।
बता दें, जिला पंचायत ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत वित्तीय वर्ष 2023 में 303 ग्राम पंचायत में 521 ट्राय सायकल खरीदी के लिए 2 करोड़ 83 लाख 95024 रूपेय का बजट ग्राम पंचायतों के खाते में डाल दिया। 19 मई 2023 को पत्र जारी कर कैसे खरीदी किया जाना है, उसके नियम कायदे भी भेज दिए। जिले के 150 से भी ज्यादा पंचायत में 300 ट्राय सायकल की सप्लाई भी कर दी गई। लेकिन संचालन कैसे होना है, किससे कराया जाना है यह आज भी पंचायत के लिए पहेली बना हुआ है।
कुछ ट्राय सायकलें कचरे के ढेर में पड़ी हैं, तो कुछ गोदाम में बंद पड़े पड़े धूल खा रही हैं। कही खुले में पड़े जंग लग गए तो कइयो के पार्ट्स गायब हो चुके हैं। इस मामले में ज्यादातर पंचायतों के सरपंचों ने कहा- कैसे संचालन होना है, हमे पता नहीं। बाड़ीगांव सरपंच निरंजन नेताम, धौराकोट सरपंच ओंकार सिन्हा,सितलीजोर सरपंच ऋतुराज सोम,गाड़ाघाट सरपंच प्रतिनिधि नाकोराम सोम ने योजना से 2-2 सायकल मिलना तो स्वीकार किया पर इसके संचालन प्रक्रिया से अनभिज्ञता जाहिर की है।
चेक नही देने वालों को दी गई पंचायत जांच की धमकी
आदेश पत्र के मुताबिक खरीदी के सारे अधिकार पंचायतों को दिए गए थे, पर यह केवल फाइलों में था। अक्टूबर माह में राजधानी से ट्रक में भर-भर कर ट्राय सायकल चयनित पंचायतों को भेजे गए। तब तक पंचायतों को यह भी नहीं पता था, कि यह किसने और क्यों भेजा। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में राशि की उगाही के लिए जब जिला पंचायतों से पंचायत सचिवों को कॉल जाने लगे तब मद का पता चला। सप्लाई पा चुके पंचायतों को एसपी सायकल इंटरप्राइज के नाम चेक काटने कहा गया। जो खरीदी का विरोध करते उन्हे अपने कार्यकाल के अन्य आर्थिक मामलों के जांच के लिए तैयार रहने की धमकी दी जाती।
मामला पूर्ववर्ती सरकार में मनमानी करने वाले अफसरों से जुड़े हैं, जो अब भी अपनी कुर्सी में जमे हुए हैं। लिहाजा, सरपंच सचिव खुल कर सामने नही आ रहे। लेकिन ज्यादातर ने पंचायत के अधिकार का हनन कर खरीदी की बात कह रहे हैं।
परीक्षण समिति की भूमिका कागज़ों में, भारी कमीशन खोरी की आशंका
पड़ताल में हमने कई सायकल ऐसे देखे जिसे बगैर लोड के 10 कदम भी चलाना मुश्किल था। किसी के चेन टूटे थे, तो कुछ के मडगाड के बोल्ट खिसके मिले। नियम से फर्म को भुगतान के पहले परीक्षण समिति से गुणवत्ता सत्यापन कराया जाना था। इसपर सरपंचो ने किसी भी गुणवत्ता जांच से इंकार किया।
CSID के पोर्टल में कई फर्म पंजीकृत थे, पर जिले से केवल एक फर्म से जिला पंचायत ने खरीदी किया। सप्लाई लिए गए सायकल की बाजार में कीमत अधिकतम 30 हजार है, पर इसे गुणवत्ता युक्त बता कर 54 हजार प्रति सायकल भुगतान किया गया।
प्रावधान के मुताबिक, जेम पोर्टल में पंजीकृत नही है, अथवा 3 लाख से कम की खरीदी करना है, तो पंचायत किसी भी तीन फर्म का कोटेशन मंगवा कर खरीदी एवम भंडरान अधिनियम का पालन कर स्वतंत्र रूप से भी खरीदी कर सकता था। लेकिन जिला पंचायत ने ऐसा होने नही दिया। इसलिए मामले में भारी भ्रष्टाचार की आशंका है। खरीदी के बाद कचरा प्रबंधन का शुरू न होना भी केवल खरीददारी कर जिम्मेदारी खत्म करने का प्रमाण दे रहा है।
ई मानक से पंजीकृत फर्म से अब तक लगभग 150 ट्राय सायकल की हुई खरीदी : जिला समन्वयक
मामले में योजना की सारी गतिविधि संभाल रहे, स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक परवेज हनिफ ने बताया कि, सीएसआईडी से निर्धारित गुणवत्ता और ई-मानक पंजी पर पंजीकृत फर्म से खरीदी की जानी थी। शासन द्वारा निर्धारित फर्म से ही खरीदी हुई है। जिन पंचायतों में कचरा प्रबंधन शेड निर्माण हुआ है उन्ही के लिए प्राथमिकता से भेजा गया है, फिलहाल लगभग 150 ट्राय सायकल की ही खरीदी हुई है। 100 गांव में कचरा प्रबंधन के लिए समूह का गठन किया जा चुका है। चूंकि फर्म का पंजीयन एक साल के लिए होता है, नए पंजीयन के बाद बचत फर्मों के लिए खरीदी होगी।
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