भारत में कई बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाओं की मदद भी ली जाती है. आयुर्वेद में ऐसी कई औषधियां हैं, जो आपकी सेहत को फायदे पहुंचाने का काम करती हैं. इन्हीं में से एक है त्रिफला. त्रिफला एक ऐसा हर्बल पाउडर है, जिसे तीन अलग-अलग तरह के फलों का उपयोग करके बनाया जाता है. आंवला, हरड़ और बहेड़ा तीनों को बराबर मात्रा में मिला कर बना चूर्ण है. यह आयुर्वेद के खजाने का एक ऐसा रत्न है जो डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से आपकी अनेकों बीमारियों को ठीक कर देता है. यह कॉन्स्टिपेशन, डायबिटीज, आंख से जुड़ी समस्याओं, हाई ब्लड प्रेशर में बेहद कारगर है.

कब्ज से राहत दिलाने में उपयोगी

त्रिफला को ज्यादातर लोग इस रूप में जानते हैं कि हरड़, बहेड़ा और आंवला को पीसकर पाउडर बनाया गया मिश्रण त्रिफला चूर्ण कहलाता है और यह पेट की सफाई या कब्ज से राहत दिलाने में उपयोगी होता है. 100 ग्राम सख्त, 200 ग्राम बहेड़ा और 400 ग्राम आंवला को अलग-अलग पीसकर तीन बार छलनी से छान लें और फिर इस प्रकार तैयार चूर्ण को अन्य मौसमी सामग्री के साथ प्रतिदिन मिला दे. इसका नियमित रूप से सुबह सेवन करें, तो शरीर से किसी भी प्रकार की बीमारी दूर रहती है. Read More – कम ही लोगों को नसीब होता है इन फलों का स्वाद, मार्केट में नहीं गली-मोहल्लों में बिकते हैं ये Fruit …

त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर लें

त्रिफला पाचन और भूख को बढ़ाने वाला और लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करने वाला है. मोटापा कम करने के लिए त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर ले. त्रिफला चूर्ण पानी में उबालकर, शहद मिलाकर पीने से चरबी कम होती है. त्रिफला का सेवन मूत्र-संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में बहुत लाभकारी है. Read More – 45वां जन्मदिन मना रही हैं Rani Mukherjee : पैदा होते ही एक दूसरे बच्चे से ‘एक्सचेंज’ हो गई थीं रानी, ढूंढने के लिए मां को करनी पड़ी थी मशक्कत …

चार माह में ही निष्प्रभावी हो जाता, नमी से बचाव जरूरी

त्रिफला चूर्ण चार महीने बाद निष्प्रभावी हो जाता है और गांठ बनने लगती है, इसलिए तैयार त्रिफला चूर्ण को बाजार से खरीदने के बजाय सीमित मात्रा में मिक्सर में पीसकर घर पर ही तैयार करें और नमी से बचाएं. इसका सेवन करने के बाद, आपको एक या दो बार ढीले मल का अनुभव हो सकता है. अधिक सुविधा के लिए इस मिश्रण को रात को एक कटोरी में घोलकर सुबह 5 से 7 बजे के बीच सेवन करें.