Tripura Bhairavi Jayanti 2025: मां त्रिपुर भैरवी, दश महाविद्याओं में पंचम स्थान रखने वाली उग्र, तेजस्विनी और अत्यंत कृपालु शक्ति स्वरूपिणी देवी. कहा जाता है कि मां का यह रूप साधक के भीतर की बाधाओं को नष्ट कर, उसे साहस, स्थिरता और असाधारण ऊर्जा प्रदान करता है. इसी देवी की जयंती इस वर्ष 4 दिसंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी, जब देशभर में श्रद्धालु विशेष विधि-विधान से माता की उपासना कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे.
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पूजा विधि
त्रिपुर भैरवी जयंती पर सुबह ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर लाल वस्त्र धारण करने का महत्व बताया गया है. मां को लाल पुष्प, सिंदूर, धूप-दीप, काले तिल और गूगल की धूप अर्पित की जाती है. साधक यदि भैरवी बीज मंत्र का जाप करता है तो उसकी साधना कई गुना फलप्रद मानी जाती है. यह मान्यता भी है कि इस दिन मां भैरवी को गुड़-चने का भोग विशेष रूप से प्रिय होता है.
किन लोगों को करनी चाहिए आराधना?
जिन्हें बार-बार असफलता का सामना करना पड़ रहा हो. जिनके जीवन में डर, अस्थिरता और मानसिक उलझनें बढ़ गई हों. कोर्ट-कचहरी, नौकरी या बिज़नेस में रुकावटें आ रही हों. जो नकारात्मक शक्तियों, बुरी नजर या बाधा दोष से परेशान हों. विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोगों के लिए भी मां की साधना अत्यंत शुभ मानी गई है.
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भारत में कहां है मां त्रिपुर भैरवी का प्रसिद्ध मंदिर?
त्रिपुर भैरवी का प्रमुख मंदिर त्रिकूट पर्वत, देवघर (झारखंड) में स्थित माना जाता है. जहां मां भैरवी को भैरव नाथ के साथ शक्ति स्वरूप में पूजा जाता है. इसके अलावा त्रिपुर सुंदरी शाक्त पीठ (त्रिपुरा) में भी मां भैरवी का रूप अत्यंत पूजनीय है.
कौन से कष्ट दूर होते हैं? (Tripura Bhairavi Jayanti 2025)
मान्यता है कि मां त्रिपुर भैरवी की कृपा से अचानक आने वाले संकट, भय और बाधाएं दूर होती हैं. आर्थिक अड़चनें कम होती हैं. आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है. घर-परिवार की कलह शांत होती है. साधक को अदृश्य नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है.
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