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Triyuginarayan Mandir: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर हिंदू धर्म का एक पवित्र स्थल है, जहां भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. मान्यता है कि यहां आज भी अग्नि की अखंड ज्योति प्रज्वलित है, जिसके समक्ष शिव-पार्वती विवाह के पवित्र बंधन में बंधे थे. यह मंदिर समुद्र तल से 6,400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
पुराणों के अनुसार, इस दिव्य विवाह के दौरान भगवान विष्णु ने समस्त व्यवस्थाओं की देखरेख की थी, और स्वयं ब्रह्मा ने इस विवाह में मुख्य पुजारी की भूमिका निभाई थी. यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर में जल रही अग्नि की राख को पवित्र मानते हैं और इसे अपने साथ ले जाते हैं, जिससे उन्हें वैवाहिक सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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मंदिर के चारों ओर चार पवित्र कुंड स्थित हैं—रुद्र कुंड, विष्णु कुंड, ब्रह्म कुंड और सरस्वती कुंड, जिनका विशेष धार्मिक महत्व है. यह मंदिर पत्थर और लकड़ी से बना हुआ है, जिसकी दीवारों पर हिंदू पौराणिक कथाओं से संबंधित सुंदर नक्काशी की गई है. मंदिर में भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी, सीता-राम और कुबेर की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं. यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और वास्तुशिल्पीय सुंदरता भी अद्वितीय है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करती है.
Triyuginarayan Mandir. अखंड धूनी एक शाश्वत अग्नि है, जो त्रियुगीनारायण मंदिर में सदियों से निरंतर जल रही है. मान्यता है कि यह अग्नि स्वयं ब्रह्मा द्वारा प्रज्वलित की गई थी और इसका उपयोग भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह में किया गया था. यह पवित्र अग्नि 900 वर्षों से लगातार जल रही है और श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक बनी हुई है.
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