रायपुर। शिक्षाकर्मियों की हड़ताल के खिलाफ सरकार ने अपने ब्रम्हास्त्र का इस्तेमाल किया है. हड़ताली शिक्षाकर्मियों को मिली धरना स्थल पर हड़ताल की अनुमति रद्द कर दी गई है. दरअसल 20 नवंबर से शिक्षाकर्मी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. हड़ताली शिक्षाकर्मी जिसके बाद उन्हें हड़ताल करने ईदगाह मैदान भेज दिया गया था. पिछले 11 दिनों से आंदोलन कर रहे शिक्षाकर्मियों को प्रशासन हड़ताल के लिए 2-2 दिन की अनुमति देता था. आज शिक्षाकर्मियों की हड़ताल की दो दिन की अनुमति खत्म हो रही है और प्रशासन हड़ताल करने की आगे अनुमति नहीं दे रहा है.
शिक्षाकर्मी संघ के नेताओं का कहना है कि प्रशासन ने अनुमति नहीं देने के पीछे 2 दिसंबर को मुस्लिम समाज का त्यौहार होने को वजह बता रहा है. लिहाजा हमने शहर के बाहर अनुमति दिए जाने की मांग की थी बावजूद प्रशासन हमें इसकी अनुमति नहीं दे रहा है.
संघ के नेताओं का कहना है कि हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार हमारे आंदोलन को कुचलने के लिए प्रशासन को आगे कर दी है. शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय के प्रांतीय संचालक केदार जैन का कहना है कि सरकार को आगे आकर पूरा गतिरोध समाप्त करने की पहल करनी चाहिए थी लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा हमारे आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है उसकी हम निंदा करते हैं.
उन्होंने कहा हमने दो दिन पहले ही लोकतांत्रिक तरीके से अनुमति मांगी थी. बकायदा लिखित में आवेदन दिया था. 2 दिसंबर को प्रदेश भर से शिक्षाकर्मी यहां पहुंच रहे हैं, हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे चाहे सरकार हमें अब जेल में डाल दे. हम भी चाहते हैं कि बच्चों को आगे पढ़ाई का नुकसान न हो लेकिन सरकार की मंशा ऐसी नहीं लग रही है.
इसके पहले आज शिक्षाकर्मियों की सरकार के साथ वार्ता थी लेकिन वह विफल हो गई है. अब प्रदेश भर के शिक्षाकर्मी 2 दिसंबर को राजधानी में इकट्ठा होंगे जहां महारैली के माध्यम से वे अपनी हुंकार भरेंगे. आपको बता दें कि प्रदेश में 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मी हैं.