Trump AI Policy: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए हल्के-फुल्के नियमों की नीति को लेकर Google, Meta, OpenAI और Anthropic जैसी दिग्गज टेक कंपनियों ने खुलकर समर्थन किया है. इन कंपनियों का कहना है कि AI पर सख्त नियम अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को खतरे में डाल सकते हैं, खासकर जब चीन तेजी से आगे बढ़ रहा हो.

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ट्रंप का ‘AI एक्शन प्लान’ क्या है?

जनवरी 2025 में कार्यभार संभालने के बाद से ट्रंप सरकार ने AI को लेकर सुरक्षा, डेटा प्राइवेसी और नौकरियों के नुकसान (जॉब लॉस) जैसे जोखिमों की तुलना में इसके विकास पर अधिक फोकस किया है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के AI से जुड़े कार्यकारी आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें शक्तिशाली AI मॉडल्स पर नियंत्रण के उपाय सुझाए गए थे.

अब ट्रंप प्रशासन एक AI एक्शन प्लान तैयार कर रहा है, जिसमें इंडस्ट्री से राय मांगी गई है. इस प्रस्ताव का उद्देश्य अमेरिका को AI में वैश्विक लीडर बनाए रखना है.

टेक कंपनियों की दलीलें

OpenAI (Microsoft समर्थित) ने चीन की DeepSeek कंपनी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह “राज्य-प्रायोजित और राज्य-नियंत्रित” मॉडल बना रही है, जो प्राइवेसी के लिए खतरा हैं.

OpenAI ने कहा कि उन्हें कॉपीराइटेड सामग्री पर “फेयर यूज़” के तहत अपने AI को ट्रेन करने की अनुमति मिलनी चाहिए.

“अगर हमें कंटेंट तक पहुंच नहीं मिलेगी, तो लोकतांत्रिक AI की जीत मुश्किल होगी,” OpenAI ने कहा.

Meta (Facebook की पेरेंट कंपनी) ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ओपन-सोर्स AI मॉडल अमेरिका की बढ़त के लिए जरूरी हैं.

Google ने राज्यों द्वारा अलग-अलग AI कानून बनाए जाने का विरोध किया और कहा कि AI के लिए बड़े स्तर पर ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश की जरूरत होगी.

वहीं, Ben Stiller और Cynthia Erivo जैसे हॉलीवुड सेलेब्रिटीज़ ने फेयर यूज़ के तर्क को खारिज किया और कहा कि AI को कॉपीराइट-प्रोटेक्टेड कंटेंट से दूर रखा जाना चाहिए.

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यूरोप की अलग राह

जहां अमेरिका AI के विकास को प्राथमिकता दे रहा है, वहीं यूरोपीय यूनियन (EU) ने 2024 में एक AI एक्ट पारित किया था, जो AI को नियंत्रित करने के लिए सख्त गाइडलाइन्स देता है.

हालांकि, अब EU भी निवेश और इनोवेशन पर ध्यान देने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वह अब भी Big Tech कंपनियों पर सख्ती बरत रहा है.

हाल ही में EU ने Google और Apple के खिलाफ दो बड़ी एंटीट्रस्ट कार्रवाइयों की घोषणा की.

  • Google पर आरोप है कि उसने Digital Markets Act का उल्लंघन किया है, और दोषी पाए जाने पर उसकी वैश्विक सालाना आय का 10% तक जुर्माना लगाया जा सकता है.
  • Apple को ‘गेटकीपर’ की भूमिका में अपनी सेवाओं को थर्ड-पार्टी ऐप्स व डिवाइसेज़ के साथ इंटरऑपरेबल बनाने का निर्देश दिया गया है.

Google और Apple की प्रतिक्रिया

Google और Apple दोनों ने EU के फैसलों की आलोचना की:

  • Apple: “इससे हमारे इनोवेशन की रफ्तार धीमी होगी और हमारी सेवाओं का फायदा दूसरी कंपनियों को मुफ्त में मिलेगा.”
  • Google: “इससे लोगों के लिए जरूरी जानकारी तक पहुंच मुश्किल होगी और यूरोपीय बिज़नेस को नुकसान होगा.”

अमेरिका बनाम यूरोप: दो अलग दृष्टिकोण

AI को लेकर अमेरिका और यूरोप का दृष्टिकोण बिल्कुल अलग दिख रहा है.

  • अमेरिका जहां रेगुलेशन में ढील देकर AI में तेजी से बढ़त लेना चाहता है,
  • वहीं यूरोप सख्त नियमों के जरिए टेक कंपनियों पर नियंत्रण बनाए रखना चाहता है.

भारत जैसे देशों के लिए यह समझना ज़रूरी है कि AI की वैश्विक नीति किस ओर बढ़ रही है — क्योंकि आगे चलकर इसका असर लोकल इनोवेशन, रोजगार और डिजिटल स्वतंत्रता पर पड़ेगा.

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