भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने ही बयान से पलट गए हैं। पहले उन्होंने जोर-शोर से दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को उन्होंने ‘मध्यस्थता’ कर सुलझाया, लेकिन अब कतर के दोहा में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ‘मैं यह नहीं कहना चाहता कि मैंने मध्यस्थता की, लेकिन मैंने जरूर मदद की।’ ट्रंप के इस यू-टर्न ने एक बार फिर उनकी कूटनीतिक भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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साथ ही ट्रंप ने दावा किया कि पाकिस्तान और भारत दोनों ‘बहुत खुश’ हैं और अब दोनों व्यापार पर बात कर रहे हैं। मगर इसी बातचीत के दौरान वह खुद ही उलझते दिखे। दरअसल इसके बाद उन्होंने कहा, ये लोग 1000 सालों से लड़ते आ रहे हैं, मैं नहीं जानता क्या मैं इसे सुलझा सकता हूं। यह काफी कठिन मामला है।

डोनाल्ड ट्रंप का दावा और राजनीति

बता दें कि, भारत और पाकिस्तान के बीच ‘संघर्ष विराम’ की सबसे पहले जानकारी डोनाल्ड ट्रंप ने ही दी थी। उन्होंने शनिवार शाम साढ़े पांच बजे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम हो गया है। उनका दावा था कि रात भर चली बातचीत में अमेरिका ने मध्यस्थता की। उन्होंने लिखा था, “यह अमेरिका की मध्यस्थता में ‘रात भर चली बातचीत’ के बाद हुआ।” उन्होंने इसके लिए भारत और पाकिस्तान को बधाई दी थी।

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ट्रंप के दावे को पहले भारत ने नकारा था

ट्रंप ने पहले दावे में कहा था कि अमेरिका ने दोनों देशों पर ट्रेड प्रेशर डाला और इसके बाद ही सीजफायर संभव हो पाया। उन्होंने कहा था कि ‘अब दोनों देश व्यापार की बात कर रहे हैं, युद्ध की नहीं।’

उनके इस पोस्ट के बाद ही भारत और पाकिस्तान ने संघर्ष विराम की घोषणा की। ट्रंप की इस घोषणा का भारत सरकार ने खंडन किया। सरकार का कहना था कि इस संघर्ष विराम में किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं है। सरकार ने कहा कि संघर्ष विराम का प्रस्ताव लेकर पाकिस्तान आया था।

गौरतलब है कि, भारत का विपक्ष ट्रंप का बयान आने के बाद से ही संसद का सत्र बुलाकर ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग कर रहा है। ट्रंप भी अपने पुराने बयान को कई बार दोहरा चुके हैं। यह पहली बार है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान में मध्यस्थता से इनकार किया है।

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