अमेरिका में रविवार सुबह राजनीतिक गलियारों में हलचल तब बढ़ गई जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने “Truth platform” पर एक चौंकाने वाला ऐलान किया. उन्होंने दावा किया कि हर अमेरिकी नागरिक को 2,000 डॉलर यानी लगभग 1.7 लाख रुपए का डिविडेंड दिया जाएगा. उनका कहना है कि यह राशि टैक्स कटौती नहीं, बल्कि टैरिफ से जुटाई गई कमाई से आएगी.

ट्रम्प ने अपनी पोस्ट में टैरिफ विरोधियों पर निशाना साधते हुए लिखा, “टैरिफ के विरोधी लोग मूर्ख हैं. हमारी नीतियों से अमेरिका ज्यादा अमीर, सुरक्षित और सम्मानित हुआ है.” यह बयान ऐसे समय में आया है जब अदालतें और अर्थशास्त्री उनकी नीति को लेकर सवाल उठा रहे हैं.
कैसे मिलेगा डिविडेंड? ट्रम्प ने नहीं दी स्पष्ट जानकारी
ट्रम्प का कहना है कि विदेशी आयात पर लगाए गए टैरिफ ने अरबों डॉलर का राजस्व दिया है और इसी से “अमेरिकन डिविडेंड” योजना चलाई जाएगी. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि राशि कब, कैसे और किन लोगों को दी जाएगी. क्या यह सीधे बैंक खातों में जाएगी या टैक्स रिबेट के रूप में आएगी, इस पर भी कोई जानकारी नहीं दी.
वित्त विशेषज्ञ मानते हैं कि यह ऐलान 2024 चुनावों के दौरान किए गए उनके टैक्स बोनस वाले वादे का ही विस्तार है.
कोर्ट ने टैरिफ नीति को बताया असंवैधानिक, पर ट्रम्प अड़े
कुछ दिन पहले अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रम्प की टैरिफ नीति को “संवैधानिक रूप से गलत” बताया था. जस्टिस सोनिया सोतोमेयर ने कहा था कि टैरिफ लगाने का अधिकार संसद के पास है, राष्ट्रपति के पास नहीं. इसके बावजूद ट्रम्प ने कोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि “दूसरे देश हम पर टैरिफ लगा सकते हैं, पर अमेरिका नहीं?”
अप्रैल 2025 के टैरिफ से शुरू हुआ विवाद
ट्रम्प ने अप्रैल 2025 में चीन, भारत, मेक्सिको और कनाडा जैसे देशों पर 10 से 50 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाए थे. उनका कहना था कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है और इसे IEEPA कानून के तहत लागू किया गया.
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल जॉन सावर ने चेतावनी दी थी कि इन टैरिफ को हटाना देश की आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचा सकता है.
भारत पर 50% टैरिफ, तेल खरीद पर ‘पेनल्टी’ भी शामिल
भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ में 25 प्रतिशत ‘रेसीप्रोकल टैरिफ’ और 25 प्रतिशत रूस से तेल खरीदने पर पेनल्टी शामिल है. ट्रम्प का दावा है कि भारत के तेल सौदे रूस को यूक्रेन युद्ध में मदद देते हैं.
ट्रेजरी सेक्रेटरी का बड़ा बयान
ट्रम्प के ऐलान के बाद अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने कहा कि ऐसी किसी योजना पर चर्चा ही नहीं हुई है. उनका कहना है कि अगर योजना लागू भी हुई, तो यह डायरेक्ट कैश ट्रांसफर नहीं, बल्कि टैक्स रिलीफ के रूप में हो सकती है.
सरकार का मौजूदा फोकस 38 ट्रिलियन डॉलर के राष्ट्रीय कर्ज को कम करने पर है.
38 ट्रिलियन डॉलर का राष्ट्रीय कर्ज
अमेरिका का कुल कर्ज 38 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो देश की GDP से 120 प्रतिशत ज्यादा है. केवल ब्याज भुगतान पर ही सरकार को हर साल 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने पड़ते हैं. कर्ज का 70 प्रतिशत हिस्सा घरेलू संस्थाओं के पास है, जबकि जापान सबसे बड़ा विदेशी लेनदार है.
टैरिफ पॉलिसी पर गहराती बहस
ट्रम्प समर्थक कहते हैं कि टैरिफ से अमेरिकी उद्योगों को मजबूती मिल रही है, जबकि विरोधियों का तर्क है कि इससे रोजमर्रा की चीजें महंगी हो रही हैं और आम लोगों पर बोझ बढ़ रहा है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह ऐलान ट्रम्प का चुनावी कदम है, ताकि मतदाताओं को यह संदेश मिल सके कि “टैरिफ का फायदा सीधे आपकी जेब में आएगा.”
वादा या चुनावी रणनीति?
ट्रम्प के 1.7 लाख रुपए डिविडेंड वाले वादे पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. क्या यह योजना सच में लागू होगी या यह 2026 चुनावों के लिए किया गया एक पॉपुलिस्ट कदम है, यह आने वाला समय बताएगा.
फिलहाल अमेरिकी जनता इंतजार कर रही है क्योंकि अगर यह वादा पूरा हुआ, तो यह अमेरिकी आर्थिक राजनीति की दिशा बदल सकता है.
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