
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले संयुक्त सत्र में संसद को संबोधित किया. इस भाषण में उन्होंने कई महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें विदेशी व्यापार नीति, स्वतंत्रता भाषण और टैरिफ के संबंध में उनके दृष्टिकोण शामिल थे. ट्रंप ने विशेष रूप से भारत, चीन, कनाडा और मेक्सिको का उल्लेख करते हुए इन देशों द्वारा अमेरिका पर लगाए गए उच्च टैरिफ की आलोचना की. उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल की मुख्य प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका प्रशासन अमेरिका की सुरक्षा और आर्थिक विकास को प्राथमिकता देगा.
ट्रंप ने कहा कि भारत, चीन, कनाडा, मेक्सिको, ब्राजील और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने लंबे समय से अमेरिका के खिलाफ अत्यधिक टैरिफ लगाए हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ये देश अमेरिका पर अनुचित कर लगाते हैं, जबकि अमेरिका इन देशों से अपेक्षाकृत कम टैरिफ वसूलता है. ट्रंप ने यह उल्लेख किया कि भारत हमसे 100 प्रतिशत टैरिफ लेता है, जिसे उन्होंने “अत्यधिक और अनुचित” करार दिया. उनका मानना है कि यह व्यापारिक असंतुलन अमेरिका के लिए अनुकूल नहीं है, और इसे सुधारना अत्यंत आवश्यक है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें उन्होंने बताया कि भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ 2 अप्रैल, 2025 से लागू होंगे. ट्रंप ने इस नीति को अमेरिकी अर्थव्यवस्था में “निष्पक्षता और संतुलन” लाने का एक प्रयास बताया. उन्होंने अपने संबोधन में चीन का भी उल्लेख किया और कहा कि वे इसे पहले 1 अप्रैल से लागू करना चाहते थे, लेकिन ‘अप्रैल फूल’ के कारण इसे 2 अप्रैल से लागू करने का निर्णय लिया. ट्रंप ने कहा कि ये शुल्क अमेरिका को फिर से समृद्ध और महान बनाने के लिए हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह स्पष्ट किया कि “जो भी टैरिफ अन्य देश हम पर लगाएंगे, हम भी उनके खिलाफ समान टैरिफ लागू करेंगे. कई दशकों से अन्य देशों ने हमारे खिलाफ टैरिफ का उपयोग किया है, और अब हमें भी उनके खिलाफ टैरिफ लगाने का समय आ गया है. औसतन, यूरोपीय संघ, चीन, ब्राजील, भारत और कई अन्य देश हमसे अधिक टैरिफ वसूलते हैं, जो अत्यंत अन्यायपूर्ण है. भारत हमारे खिलाफ 100 प्रतिशत टैरिफ लगाता है, जो अमेरिका के लिए उचित नहीं है और कभी भी ऐसा नहीं रहा है.”
ट्रंप ने कहा कि “हमने पहले ऐसा नहीं किया, लेकिन अब अमेरिका को प्राथमिकता देने का समय आ गया है.” उन्होंने यह भी बताया कि यह निर्णय अमेरिकी किसानों, निर्माताओं और श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए लिया गया है, जो लंबे समय से असंतुलित व्यापार नीतियों का सामना कर रहे हैं.
इस घोषणा के तहत, इन टैरिफ का उद्देश्य उन देशों के खिलाफ कार्रवाई करना है जो अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाते हैं, जबकि अमेरिका उनकी वस्तुओं पर कम या कोई शुल्क नहीं लगाता. ट्रंप ने भारत और चीन का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि इन देशों की व्यापार नीतियां अमेरिकी बाजारों के लिए “अनुचित” रही हैं. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह नीति वैश्विक व्यापार में एक नया अध्याय शुरू कर सकती है, जिसका प्रभाव वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और कीमतों पर पड़ेगा.
व्यापारिक संबंधों पर गहरा असर
इस घोषणा का भारत और चीन के साथ अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है. भारत अमेरिका का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक सहयोगी है, और ट्रंप का मानना है कि भारत पहले से ही कुछ अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाता है. उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के दौरान इस मुद्दे को उठाया और इसे “प्रतिस्पर्धात्मक” बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस निर्णय से तात्कालिक रूप से कीमतों में वृद्धि हो सकती है, लेकिन ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिकी उद्योगों को लाभ होगा और व्यापार घाटा कम होगा. हालांकि, वैश्विक बाजारों में इस घोषणा के बाद अनिश्चितता बढ़ गई है, और कई देश इस नीति के प्रति अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार कर रहे हैं.
ट्रंप के इस निर्णय के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें अब भारत और चीन की प्रतिक्रियाओं पर केंद्रित हैं. क्या यह कदम व्यापार युद्ध को और बढ़ाएगा?
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