अयोध्या. राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर परिसर में एक ऐतिहासिक पहल की है. ट्रस्ट ने उस अस्थायी तंबू और सिंहासन को स्मारक रूप में संरक्षित करने का निर्णय लिया है, जहां भगवान रामलला सालों तक विराजमान रहे. यह वही स्थान है जहां 1949 से रामलला विराजे थे और जहां करीब 30 वर्षों तक उनकी पूजा होती रही.
ट्रस्ट का उद्देश्य इस स्मारक के जरिए श्रद्धालुओं और आने वाली पीढ़ियों को राम मंदिर आंदोलन की लंबी और संघर्षपूर्ण यात्रा से परिचित कराना है. मंदिर निर्माण समिति की बैठक में ये निर्णय लिया गया है. जिसमें ये भी तय हुआ है कि राम मंदिर परिसर के सभी निर्माण कार्य 30 जून तक पूरे कर लिए जाएंगे. निर्माण समिति के प्रमुख नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि यह स्मारक न सिर्फ एक आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि यह इतिहास को भी सहेजकर रखेगा, ताकि भविष्य में ऐसा संघर्ष दोहराया न जाए.
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2022 को हुई थी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
बता दें कि बीते 22 जनवरी 2022 करीब 500 वर्षों के संघर्ष के बाद भगवान रामलला अपने मंदिर में विराजित हुए. पांच शतकों के बाद रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ. जो कि हर सनातन धर्मावलंबियों के लिए एक भावुक और ऐतिहासिक क्षण था. इस पल के साक्षी रहे सनातनी आज अपने भाग्य पर इठलाते हैं. हो भी क्यों ना. इसके पीछे हमारे संतों का संघर्ष जो था. श्रद्धालुओं का संघर्ष था. जिसका परिणाम 500 वर्षों के बाद मिला.
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