सत्यपाल सिंह, रायपुर। संस्कृति विभाग परिसर में करीब 4 साल से छत्तीसगढ़ी खान-पान को लेकर संचालित गढ़ कलेवा शुरुआती 6 महीने के संचालन के बाद से ही विवादों में रहा है. छत्तीसगढ़ी संस्कृति और खान-पान को बढ़ावा देने के उदेश्य शुरू किया गया गढ़ कलेवा कुछ समय में इतना मशहूर हो गया कि वहाँ लोगों की भीड़ उमड़ने लगी. संचालक मोनिषा समूह ने इसका नजायज फायदा उठाना शुरू किया और नियम और शर्तों से परे जाकर छत्तीसगढ़ी खान-पान से इतर अन्य व्यंजनों की बिक्री करने लगी. कांसे की बर्तन की जगह प्लास्टिक का उपयोग होने लगा, ग्राहकों से अच्छे व्यवहार नहीं होने की शिकायतें आने लगी. इन सबके बीच में जब मामला विभागीय अधिकारियों के बीच पहुँचा तो विवाद और बढ़ गया. गढ़ कलेवा संचालन समिति के सदस्य उचित शर्मा, वैभव पाण्डेय ने लिखित में शिकायत कर व्यवस्था सुधारने के लिए संस्कृति विभाग के संचालक को पत्र लिखा. व्यवस्था नहीं सुधरने की दिशा में सदस्यों ने गढ़ कलेवा संचालन समिति के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कुछ अधिकारियों के संरक्षण में संचालन चलते रहा. बाद में आरटीआई से खुलासा हुआ कि बीते चार साल से समूह से एक रुपये भी परिसर का किराया संस्कृति विभाग नहीं लिया है. इस मामले की शिकायत सत्ता बदलने के बाद नई सरकार के पास हुई. संस्कृति मंत्री जाँच के आदेश दिए. जाँच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी मिली. गड़बड़ी मिलने के बाद गढ़ कलेवा के लिए टेंडर जारी किया गया. टेंडर निकला ही था कि विभाग के अधिकारियों की आपसी खींचतान में फिर से मामला फँस गया.
इसी बीच गढ़ कलेवा संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारी संग्राध्यक्ष महंत घासीदास स्मारक संग्राहल की ओर से एक आदेश जारी कर दिया गया कि 31 अक्टूबर तक संचालक मोनिषा समूह को परिसर खाली करने को कह दिया गया. यह आदेश क्यों और किसके कहने पर निकाला गया इसकी जानकारी खुद अब विभाग के वरिष्ठ अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं. उधर आदेश निकलने के बाद से गढ़ कलेवा के बाहर बोर्ड लगा दिया गया कि गढ़ कलेवा बंद हो गया है, जबकि अभी बंद नहीं हुआ.
संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई आदेश या निर्देश विभाग के अधिकारियों को नहीं दिया है कि गढ़ कलेवा को बंद कर दिया जाए. अब सवाल यही उठ रहा है कि जब मंत्री ने कहा नहीं, वरिष्ठ अधिकारियों को पता नहीं तो फिर कैसे गढ़ कलेवा बंद होने की बात सामने आ गई है. इस पूरे घटना क्रम के बीच सोशल मीडिया में भी यह भ्रम फैल गया कि गढ़ कलेवा को बंद कर दिया गया है.
जब हमने इस पूरे मामले में संस्कृति विभाग के संचालक अनिल साहू से बात की तो उन्होंने खुद कुछ न कह कर उप संचालक राहूल सिंह बात करने को कहा. उप संचालक राहूल सिंह से बात की तो उन्होंने कहा गढ़ कलेवा को लेकर कुछ चीज़ें भ्रम की स्थिति है उसे दूर कर लिया गया. वर्तमान में जिस समूह की ओर से इसका संचालन किया जा रहा, उससे करार 30 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है. टेंडर निकला गया है इसलिए नये सिरे संचालन की प्रकिया पूरी होगी. फिलहाल गढ़ कलेवा का संचालन जारी है और यह नए सिरे प्रकिया पूरी होते तक चलेगा. हालाँकि उन्होंने आदेश के संबंध को स्पष्ट नहीं किया.