दरभंगा। महात्मा गांधी के परपोते और सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी सोमवार को दरभंगा पहुंचे। यहां लोहिया चरण सिंह कॉलेज में आयोजित संवाद कार्यक्रम में उन्होंने बुद्धिजीवियों छात्र-छात्राओं और आम नागरिकों से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने बिहार की राजनीति प्रशासनिक प्रणाली और जनता की भागीदारी पर कई तीखे सवाल खड़े किए और वर्तमान हालात को लोकतंत्र के नाम पर ठगी बताया।

पंचायत कार्यालय में विवाद

तुषार गांधी ने बताया कि मोतिहारी में जब वे लोगों से संवाद करने पहुंचे, तो वहां के मुखिया ने उनसे दुर्व्यवहार किया और कहा कि पंचायत कार्यालय में राजनीतिक सभा नहीं हो सकती। तुषार ने कहा पंचायत कार्यालय जनता का होता है, न कि किसी एक व्यक्ति की जागीर। मुखिया की नाराज़गी के बाद उन्होंने पंचायत कार्यालय के बाहर संवाद आयोजित किया, जिसे ग्रामीणों ने भी समर्थन दिया।

नेताओं से सवाल पूछना चाहिए

तुषार गांधी ने सीधे तौर पर दिल्ली और पटना की सरकारों को घेरा। उन्होंने कहा कि नेता जाति और धर्म के नाम पर लोगों को बांटकर नफरत फैला रहे हैं ताकि सत्ता में बने रह सकें। बिहार में चुनाव फिर होने वाला है अब समय है जब जनता को नेताओं से सवाल पूछना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि 20 वर्षों से एक ही व्यक्ति सत्ता में है लेकिन प्रदेश की हालत जस की तस है। भाजपा उन्हें कठपुतली की तरह चला रही है।

तुषार गांधी ने पूछे ये 12 सवाल

संवाद के दौरान उन्होंने बिहार के विकास से जुड़े 12 महत्वपूर्ण सवाल भी उठाए:

बिहार के युवाओं को नौकरी क्यों नहीं मिलती?

हर प्रतियोगी परीक्षा में पेपर लीक क्यों होता है?

शिक्षा की हालत प्राथमिक स्कूलों से विश्वविद्यालय तक क्यों नहीं सुधरी?

पढ़ाई और नौकरी के लिए युवाओं को बाहर क्यों जाना पड़ता है?

उत्तर बिहार में हर साल बाढ़ और दक्षिण बिहार में सूखा क्यों आता है?

सरकारी अस्पतालों की हालत क्यों नहीं सुधर रही?

नर्सिंग होम लूट के अड्डे क्यों बन गए हैं?

सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार क्यों बढ़ रहा है?

कानून व्यवस्था में सुधार क्यों नहीं हो रहा?

किसानों की फसलें समर्थन मूल्य पर क्यों नहीं खरीदी जातीं?

खेती घाटे का सौदा क्यों बन गई है?

बिहार में नए उद्योग और कारखाने क्यों नहीं लग रहे?

अधिकार छीने जा रहे

तुषार गांधी ने कहा कि आज अभिव्यक्ति की आजा दी पर हमला हो रहा है। जो स्थिति कभी अंग्रेजों के दौर में थी, वही आज फिर से देखी जा रही है। सरकारें और राजनीतिक दल हमें फिर से गुलाम बनाने की कोशिश कर रहे हैं।