नोएडा। ट्विन टावर को आज आखिरकार गिरा दिया जाएगा. ट्विन टावर (Twin Tower) को ध्वस्त करने के लिए सारी तैारियां पूरी कर ली गई हैं. पुलिस ने नोएडा के सेक्टर 93A में सुपरटेक ट्विन टावर्स के आसपास के क्षेत्र को खाली करने की घोषणा कर दी है. यहां क्रेन भी आने लगी है.101 मीटर ऊंची इस इमारत को महज 9 सेकेंड में ध्वस्त कर दिया जाएगा.

डीसीपी सेंट्रल राजेश एस की ओर से मीडिया को दी गई जानकारी के मुताबिक मौके पर 560 पुलिस कर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग, 4 क्विक रिस्पांस टीम और NDRF टीम तैनात है. वहीं ट्रैफिक डायवर्जन पॉइंट भी सक्रिय है. दोपहर करीब 2.15 बजे विस्फोट से ठीक पहले नोएडा एक्सप्रेस-वे को बंद किया जाएगा. ब्लास्ट के आधे घंटे बाद ही धूल जमने के बाद इसे खोल दिया जाएगा. इंस्टेंट कमांड सेंटर में 7 सीसीटीवी कैमरे हैं. यातायात विशेषज्ञ हमारे साथ यहां सभी भीड़भाड़ वाले बिंदुओं पर निगरानी रखेंगे.

IIT-चेन्नई की टीम ने लगाया कंपन मापने का यंत्र

IIT-चेन्नई की टीम ट्विन टावर (Twin Tower) के आसपास कंपन मापने के लिए बीते गुरुवार को यंत्र लगा दिया था. इससे यह पता चलेगा कि अंतिम ब्लास्ट के दौरान कितना कंपन हुआ. एडिफिस इंजीनियरिंग के मुताबिक, पहले से किए गए विश्लेषण के मुताबिक ब्लास्ट के बाद इतना कंपन नहीं होगा, जिससे टावरों को कोई खतरा महसूस हो. ट्विन टावर को ध्वस्त करने के संबंध में गुरुवार को अंतिम बैठक हुई थी. जिसमें सभी स्टेकहोल्डर शामिल थे.

इमारत में 9 हजार से ज्यादा छेद

इस बहुमंजिली इमारत (Twin Tower) में 9 हजार 800 छेद किए गए हैं और हर छेद में 1.375 किलो बारूद डालकर विस्फोट किया जाएगा. ट्विन टावर के सामने की सड़क को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. यहां सिर्फ पुलिस, एडिफिस और जेट डिमोलिशन कंपनी के लोग ही आ-जा सकेंगे. टावर को ध्वस्त करने के लिए जो विस्फोटक लगाया गया है, उसमें 325 किलो सुपर पावर जैल, 63300 मीटर्स सोलर कार्ड, सॉफ्ट टयूब, जिलेटिन रॉड, 10990 नंबर सुप्रीम डिले नॉन इलेक्ट्रिक डेटोनेटर रैगिंग क्लास-6 और डिवीजन-2 शामिल है. चार इंस्टेंटएनोयस एक्सप्लोसिव डिवाइस का प्रयोग किया जाएगा. विस्फोटक लगाने का काम 60 लोगों ने किया है. करेंगे.

परिसर के 40 मीटर दायरे ना हों अन्य गतिविधियां

टावर के किसी भी पिलर में पांच से ज्यादा छेद नहीं किए गए हैं. किसी भी छेद में 1.375 किलो से ज्यादा विस्फोटक नहीं लगाया गया है. किसी भी दो पिलर में एक साथ विस्फोट भी नहीं किया जाएगा. टावर परिसर के 40 मीटर दायरे में किसी भी अन्य तरह की गतिविधि नहीं होनी चाहिए. विस्फोटक को करीब 100 किलोमीटर दूर पलवल स्थित मैगजीन से पुलिस की सुरक्षा में लाया गया था.

क्यों गिराया जा रहा ट्विन टावर ?

सबसे पहले तो हम आपको ये बता दें कि जिसे हम ट्विन टावर्स कह रहे हैं, उनमें से एक टावर का नाम सियान है और दूसरे का एपेक्स. ट्विन टावर को गिराने के पीछे का कारण पर्यावरण और नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है. एमराल्ड सोसायटी में जिस जगह पर टावर बनाया गया है, वो असल में पहले ग्रीन जोन था. इसमें घर खरीदने वालों को भी यही बताया गया कि ये ग्रीन जोन है. वर्तमान में इस सोसायटी में 660 परिवार रहते हैं. इन्हें धोखे में रखकर टावर बनाने का काम शुरू किया गया. ये सारी बातें इस ओर इशारा करती हैं कि नियमों को ठेंगा दिखाते हुए, ग्राहकों को धोखा देकर ये बिल्डिंग बनाई गई है.

सोसायटी के लोगों ने लड़ने की ठानी

जब टावर बनना शुरू हुआ तब आसपास की सोसायटी में रहने वाले अन्य परिवारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा. नतीजन साल 2009 में सोसायटी के लोगों ने बिल्डर खिलाफ लड़ाई लड़ने का फैसला लिया. साल 2010 में रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी की मदद से इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्विन टावर निर्माण के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टावर को गिराने का आदेश दिया. जिसके बाद सुपरटेक (निर्माण कंपनी) ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. यहां भी फैसला बिल्डर के खिलाफ आया और शीर्ष अदालत ने ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया।

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