पुरूषोत्तम पात्र, गरियाबंद. छत्तीसगढ़ की चुनावी समर में एनसीपी ने बागी नेताओं को लपकना शुरू कर दिया है. मंगलवार को एक कांग्रेस नेता की पत्नी और दो भाजपा नेता ने एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) में प्रवेश कर लिया. चंद्रपुर के कांग्रेस नेता नोबेल वर्मा की पत्नी सुमन वर्मा, भाटापारा के मुरारी मिश्रा और बिंद्रानवागढ़ के बीजेपी नेता रामरतन मांझी ने एनसीपी का दामन थाम लिया है.
तीनों नेताओं के एनसीपी प्रवेश करने के बाद और बड़े नेता से संपर्क होने का दावा किया गया है. जानकारी के मुताबिक इन नेताओं को बुधवार को पार्टी प्रवेश कराकर प्रत्याशी घोषित किए जा सकते हैं.
बता दें कि एनसीपी ने उत्तर विधानसभा की सीट पर अब तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. उत्तर विधानसभा से नीलकंठ त्रिपाठी दावेदारी कर रहे हैं. एनसीपी ने बताया कि उत्तर विधानसभा से कुछ बागी नेता भी पार्टी प्रवेश करने वाले हैं. उसके बाद उत्तर विधानसभा की घोषणा की जाएगी. दक्षिण विधानसभा से नीरज सैनी ने आज पार्टी प्रवेश किया है जो बृजमोहन अग्रवाल के सामने लड़ सकते हैं.
सुमन वर्मा ने चंद्रपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. और यहां से उनका चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है. सुमन वर्मा के पति नोबेल वर्मा अभी कांग्रेस में हैं. नोबेल वर्मा ने कांग्रेस से टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन उनको टिकट नहीं मिला. नोबेल वर्मा 2008 में एनसीपी से विधायक चुने गए थे. उसके बाद 2013 विधानसभा के पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे. लेकिन उसको कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था.
वहीं मुरारी मिश्रा ने भाटापारा से टिकट नहीं मिलने से एनसीपी ज्वाइन किया है. दरचुरा निवासी मुरारी मिश्रा पूर्व जिला पंचायत सदस्य हैं. और इस बार भाटापारा से टिकट की दावेदारी की थी. लेकिन भाजपा ने एक बार फिर शिवरतन शर्मा पर विश्वास जताया है. इसके बाद से मुरारी मिश्रा नाराज चल रहे थे. उन्होंने भाजपा पर अनदेखी करने और पढ़े लिखे उम्मीदवार को नहीं चुनने का आरोप लगाया था. सोमवार को उन्होंने निर्दलीय नामांकन फार्म भी खरीद लिया है. एनसीपी ज्वाइन करने के बाद अभ मुरारी मिश्रा भाटापारा से एनसीपी के उम्मीदवार होंगे .
बिंद्रानवागढ़ से बीजेपी से टिकट नहीं मिलने से रामरतन मांझी ने भी एनसीपी की सदस्या ले ली है. एनसीपी ने रामरतन मांझी को बिंद्रानवागढ़ विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है.
भाजपा और कांग्रेस नेता के पत्नी के एनसीपी ज्वाइन करने के बाद अब देखना है कि विधानसभा चुनाव में जनता किसको चुनती है.