नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा का शुक्रवार से शुरू हो रहे दो दिवसीय शीतकालीन सत्र हंगामेदार होने के आसार है. सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे को कठघरे में खड़े करने की रणनीति तैयार कर ली है. सत्ता पक्ष नौकरशाहों की कार्यशैली और उससे जनहित के कार्यों के प्रभावित होने की बात करते हुए एलजी व केंद्र पर हमलावर रहेगा, जबकि विपक्ष जनहित से जुड़ी समस्याओं पर सरकार से जवाब मांगेगा.
विपक्ष इस सत्र को दो की जगह 10 दिन तक चलाए जाने की मांग विधानसभा अध्यक्ष से करेगा. आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए आप विधायक केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर भी भाजपा को घेरेंगे. विधानसभा में एक बार फिर पक्ष और विपक्षी पार्टी के सदस्य आमने सामने होंगे.
सत्र की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है
वहीं वित्त मंत्री आतिशी द्वारा ही सदन में दिल्ली माल एवं सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2003 को पेश किया जा सकता है. बता दें कि दिल्ली सरकार ने दो दिवसीय सत्र बुलाया है. इस दौरान 15 और 18 दिसंबर को सदन की दो बैठकें होंगी. इस सत्र को विधानसभा के ‘शीतकालीन सत्र’ के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया है, बल्कि सातवीं विधानसभा के चौथे सत्र के चौथे भाग के रूप में सदन की ये बैठकें बुलाई गई हैं. कहा जा रहा है कि जरूरत पड़ने पर सत्र की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है.
दिल्ली सरकार में हैं 30 से ज्यादा विभाग
वहीं दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी का कहना है कि दिल्ली सरकार के 30 से ज्यादा महत्वपूर्ण विभाग हैं. एक दिन में ज्यादा से ज्यादा पांच सवाल ही लिए जाएंगे. ऐसे में दो दिन के सत्र में केवल 10 सवाल ही पूछे जा सकेंगे. सरकार के जितने विभाग हैं, उसके हिसाब से सरकार को कम से कम 10 दिन का सत्र तो बुलाना चाहिए था, ताकि सभी विभागों से संबंधित सवाल पूछे जा सकें.