रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के साहित्य एवं भाषा-अध्ययनशाला विभाग में आज से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत हो गई है. भाषा, साहित्य और भाषाविज्ञान विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ के विभिन क्षेत्रों से बड़ी संख्या में प्राध्यापक, शोधार्थी और छात्र-छात्राएँ शामिल हुए. संगोष्ठी का शुभारंभ साहित्यकार राजेन्द्र मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर और कुलपति डॉ. के. एल. वर्मा ने किया. शुभारंभ सत्र में साहित्यकार डॉ. राजेंद्र मिश्र ने कहा, कि भाषा हमारे अस्तित्व का अपरिहार्य हिस्सा है और इसका गहरा संबंध नागरिकता से होता है. रमेश नैयर ने आज की पत्रकारिता की भाषा को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भाषा का सही प्रयोग पत्रकारिता के लिए जरूरी है. जब तक भाषायी शुद्धता की ओर ध्यान नहीं दिया जाएगा तब तक भाषा का सौंदर्य और प्रभाव दोनों की कल्पना करना मुश्किल है. कुलपति डॉ. केशरी लाल वर्मा ने भाषा, साहित्य अध्ययनशाला की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस विभाग की गौरवशाली परंपरा को साथ लेकर काम करने वाले विद्वान किसी न किसी रूप में विभाग का नाम रोशन कर रहे हैं. भाषा का संबंध ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र से है और बिना भाषा के समाज की कल्पना करना असंभव है.

समारोह के प्रमथ सत्र की अध्यक्षता डॉ. रामजी भारती ने कही, जबकि विषय विशेज्ञय के तौर पर डॉ. चितरंजन कर और डॉ. सैय्यद रब्बानी मौजूद रहें. डॉ. भारती ने अंग्रेजी साहित्य पर बातचीत की. वहीं डॉ. चितरंजन कर ने बताया कि भाषा मनुष्यता के लिए कितनी अहम है. उन्होंने कहा जो शब्दों का धनी है वहीं मूल्यवान है. डॉ. रब्बानी ने हिंदी के बदलते परिवेश पर बात की. इस दौरान प्राध्यापकों और शोधार्थियों ने शोध-पत्र भी पढ़े. वहीं समोरह के दूसरे सत्र में बतौर विशेष अतिथि छत्तीसगढ़ी सिनेमा के सुपर स्टार पद्मश्री अनुज शर्मा शामिल हुए. दूसरे सत्र में अध्यक्षता डॉ. राजेश दुबे ने की. वहीं विषय विशेषज्ञ के तौर पर डॉ. सुधीर शर्मा मौजूद रहें.

पूर्व मिलन छात्र समारोह 22 सितंबर को
संगोष्ठी की आयोजक डॉ. शैल शर्मा ने कहा, कि दो दिनों तक आयोजित इस समारोह में हिंदी की वर्तमान दशा और दिशा पर चिंतन किया जा रहा. वहीं डॉ. प्रवीण शर्मा ने बताया कि दो दिनों के इस सत्र में सौ से अधिक शोध-पत्र आए हैं. बड़ी संख्या में शोध-पत्र पढ़े जा रहे हैं. दूसरे दिन रविवार को पूर्व छात्रों का मिलन समारोह कार्यक्रम है. संगोष्ठी में हिंदी साहित्य भाषाविज्ञान का वर्तमान परिदृश्य, हिंदी साहित्य का वर्तमान, हिंदी सिनेमा, छत्तीसगढ़ में हिंदी साहित्य एवं साहित्यकार, छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी साहित्यकार एवं साहित्य, अँगरेज़ी साहित्य पर चिंतन और मंथन किया जा रहा है.