रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का राजकीय पशु वनभैंसा दुर्लभ एवं संकटग्रस्त वन्यजीवों में शामिल है. इस दृष्टि से छत्तीसगढ़ राज्य के वनभैंसों का विशेष महत्व है और उनके संरक्षण, संवर्धन के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं. इसी बीच मंगलवार 18 अगस्त को दो वनभसियों ने दो स्वस्थ्य बच्चों नर और मादा को जन्म दिया है. एक ने सुबह 8 बजे मादा बच्चा और दूसरे ने रात 9 बजे नर बच्चे को जन्म दिया है. जच्चा-बच्चा दोनों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और जरूरी दवाईयाँ, पोषक आहार उपलब्ध कराया गया है.

उदंती-सीतानदी टायगर रिजर्व में वर्तमान में 10 वनभैंसे हैं जिसमें 9 नर एवं 1 मादा वनभैंसा है. इसके अलावा नर वनभैंसों के संबंध में वाईल्ड लाईफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के साथ आयोजित गवर्निंग कौंसिल की चौंथी बैठक जो कि सितंबर 2009 में आयोजित की गयी. जिसमें वन विभाग और डब्ल्यूटीआई के साथ-साथ IUCN के दो वैज्ञानिकों ने भी भाग लिया था. उन्होंने बैठक में सलाह दिया था कि जंगल में स्वंतत्ररूप से विचरण कर रहे नर वनभैंसो एवं पालतू मादा वनभैंसी के कॉस से उत्पन्न हुए बच्चों में भी वनभैंसों के जीन है, जिन्हें भी संरक्षित करने की जरूरत है.

इसी कड़ी में वनभैंसा जुगाड़ और जांगड़ा गांव के दो मादा भैंसी से कॉस, उत्पन्न हुए मादा वनभैंसियों की पहचान की गयी थी. बाद में ये दोनों राजा नाम के वनभैंसे से भी कॉस हुई और उनसे दो मादा पड़िया का जन्म हुआ. पिछले वर्ष इन्हें उनके बच्चे सहित लाकर उदन्ती के पृथक बाड़े में रखा गया और हीट में आने पर मोहन नाम के नर वनभैंसे से प्रजनन कराया गया.