कानपुर के गणेश शंकर विधार्थी मेडिकल कॉलेज (जीएसवीएम) के दो चिकित्सा शिक्षकों पर प्राइवेट प्रैक्टिस की गाज गिरी. जांच रिपोर्ट के आधार पर दोनों चिकित्सा शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है. वहीं, कानपुर के जेके कैंसर संस्थान के निदेशक पर टेंडर में लापरवाही के आरोप लगे. इसके अलावा सात डॉक्टोंर और दो सीएमओ भी कार्रवाई के घेरे में आ गए हैं.

जीएसवीएम के न्यूरो सर्जरी विभाग में डॉ. राघवेन्द्र गुप्ता सह आचार्य के पद एवं पैथोलॉजी विभाग में सहायक आचार्य के पद पर डॉ. स्वप्निल गुप्ता तैनात थे. दोनों डॉक्टर शासन के आदेशों की अवहेलना कर रहे थे. अफसरों को गुमराह कर रहे थे. प्राइवेट प्रैक्टिस न करने का दावा कर रहे थे. मामले की कानपुर मंडलायुक्त द्वारा जांच कराई गई. जिसमें कानपुर के न्यूरॉन हॉस्पिटल में प्राइवेट प्रैक्टिस करने की पुष्टि हुई. जिसके बाद दोनों को बर्खास्त कर दिया गया है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि दूर-दराज से आने वाले गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर रोगियों की सेवा के स्थान पर ये डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे थे, जो किसी भी रूप में क्षम्य नहीं है. ऐसे चिकित्सा शिक्षकों की विमाग में कोई आवश्यकता नहीं है, जो रोगियों की सेवा की बजाए उन्हें प्राइवेट नर्सिंग होम में भेज कर कमाई का साधन बनाते हैं.
इसे भी पढ़ें : लखनऊ विकास प्राधिकरण से 21 हजार फाइलें गायब, डेटा सेव करने के लिए निजी कंपनी को दी थी, नहीं मिली वापस
गैरहाजिर डॉक्टरों को नोटिस, बर्खास्तगी की तैयारी
सीतापुर के महमूदाबाद स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ऋतु रानी और बागपत जिला संयुक्त चिकित्सालय में एनस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. मोनू चौधरी लंबे समय से गैरहाजिर हैं. चिकित्सकों ने इन सबंध में कोई सूचना भी अधिकारियों को नहीं दी है. डिप्टी सीएम ने बिना बताए ड्यूटी से अनुपस्थित रहने वाले डॉक्टरों को एक माह की नोटिस देकर सेवा से बर्खास्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देशित किया है.
सात डॉक्टरों को आरोप पत्र, विभागीय कार्रवाई के आदेश
प्रदेश के सात और डॉक्टर कार्यवाही की जद में आ गए हैं. इन डॉक्टरों को आरोप पत्र देकर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देशित किया गया है. महोबा जिला चिकित्सालय के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. पवन साहू और झांसी के ट्रॉमा सेंटर मोठ के आर्थो सर्जन डॉ. देव प्रकाश सिंह पर प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप हैं. फतेहपुर (बिन्दकी) सीएचसी के डेंटल सर्जन डॉ. प्रदीप कुमार बिना विभागीय अनुमति विदेश यात्रा पर चले गए हैं. वहीं बिजनौर हल्दौर सीएचसी की डॉ. दिव्या गुप्ता बिना सूचना ड्यूटी से गायब हैं. हाथरस में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. राकेश कुमार अग्निहोत्री और बरेली मानसिक चिकित्सालय की डॉ. अनुराधा सिंह पर चिकित्सकीय कार्यों में रूचि न लिए जाने के आरोप हैं. उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना और पदीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही के आरोप हैं. संयुक्त राजकीय चिकित्सालय सिकन्दराबाद से 100 शैय्या संयुक्त राजकीय चिकित्सालय, डिबाई, बुलन्दशहर में स्थानान्तरण होने के बावजूद नवीन तैनाती स्थल में ज्वाइन न करने वाले हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कुमार को आरोप पत्र दिया गया है.
इसे भी पढ़ें : स्पा सेंटर में ‘दे दनादन’: महिलाओं और पुरुषों में जमकर चले लात-घूंसे, ये रही मारपीट की वजह
सीएमओ को कारण बताओ नोटिस
कानपुर नगर के जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमि के विरुद्ध विभिन्न अनियमितताएं करने एवं अन्य कई आरोपों के संबंध में अवगत कराते हुए कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा गया था. पत्र डॉ. हरिदत्त नेमि से बिन्दुवार शिथिल शासनिक नियन्त्रण एवं अन्य समस्त आरोपों के दृष्टिगत कारण पूछा गया है.
निदेशक और सीएमओ से स्पष्टीकरण तलब
फर्रुखाबाद के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अवनीन्द्र कुमार से स्पष्टीकरण तलब किया गया है. आरोप हैं कि सीएमओ ने गलत और पूर्वागृह से ग्रसित होकर शासन को गलत और दिग्भ्रमित रिपोर्ट पेश की. सीएमओ से स्पष्टीकरण मांगे जाने के निर्देश प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य को दिये गये है. वहीं, कानपुर स्थित जेके कैंसर संस्थान के निदेशक पर आउट सोर्स मैनपावर की निविदा में लापरवाही के आरोप लगे हैं. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बिड को निरस्त करते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को संस्थान के निदेशक से स्पष्टीकरण प्राप्त कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें