नई दिल्ली। 13 मई को राजधानी दिल्ली के मुंडका स्थित एक इमारत में भीषण आग लगी, जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई. इन मौतों में ऑस्ट्रेलिया से आए पिता और बेटे की जोड़ी भी शामिल है. पिता और बेटे दोनों ही मोटिवेशनल स्पीकर थे. इनकी पहचान 62 वर्षीय कैलाश ज्ञानी और उनके बेटे 37 वर्षीय अमित ज्ञानी के रूप में हुई है. दोनों कोफे इम्पैक्स प्राइवेट लिमिटेड के मोटिवेशनल प्रोग्राम के लिए खास तौर पर आए थे.

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पिता और बेटे के शव की पहचान उनके गहनों से हुई

पुलिस उपायुक्त (बाहरी जिला) समीर शर्मा ने बताया कि वे दोनों 13 मई को प्रोग्राम में मोटिवेशनल स्पीच देने के लिए ऑस्ट्रेलिया से आए थे. इस घटना में उनकी भी मौत हो गई है. कोफे इम्पैक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में लगभग 50 महिलाओं समेत लगभग 100 कर्मचारी थे, जो सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक 9 घंटे की वर्क शिफ्ट में काम करते थे. वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिता और बेटे के शव की शिनाख्त सोने की चेन और उनके पहने हुए गहनों से की गई है. अभी डीएनए सैंपलिंग के जरिए पुष्टि होना बाकी है. समीर शर्मा ने कहा कि उनके एक भाई डीएनए सैंपल देने आज ऑस्ट्रेलिया से आ रहे हैं.

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लाइसेंस रद्द होने के बाद भी चल रही थीं औद्योगिक गतिविधियां

वहीं दिल्ली के मुंडका स्थित जिस इमारत में आग लगने से 27 लोगों की मौत हुई, वहां औद्योगिक गतिविधियां नहीं की जा सकती थीं. इस फैक्ट्री का लाइसेंस रद्द किया जा चुका था. हैरानी की बात यह है कि लाइसेंस रद्द होने के बाद भी इस इमारत में औद्योगिक गतिविधियां जारी रहीं. आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली के मुंडका में लगी भीषण आग और उसमें 27 लोगों की मौत के लिए भाजपा शासित एमसीडी को जिम्मेदार ठहराया है. आप के मुताबिक, 2016 में एमसीडी ने सभी नियमों को ताक पर रखते हुए फैक्ट्री को लाइसेंस जारी किया. कुछ महीनों बाद लोगों द्वारा शिकायत मिलने पर भाजपा एमसीडी को लाइसेंस रद्द करना पड़ा, लेकिन चोरी-छिपे अंदर सभी काम चलते रहे.

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इमारत के मालिक समेत 3 लोग गिरफ्तार

मुंडका अग्निकांड मामले में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने रविवार को कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान इमारत के मालिक मनीष लाकड़ा और कोफे इम्पैक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक फर्म के मालिक हरीश गोयल और वरुण गोयल के रूप में हुई है. अब तक 27 शवों में से केवल 8 की ही पहचान हो पाई है. मृतकों की पहचान तानिया भूषण, मोहिनी पाल, यशोदा देवी, रंजू देवी, विशाल, दृष्टि, कैलाश ज्ञानी और अमित ज्ञानी के रूप में हुई है. अधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर शव इस हद तक जल गए थे कि यह भी पता लगाना मुश्किल था कि जले हुए शरीर पुरुष के हैं या महिला के. हालांकि, घटना के दो दिन बाद चिकित्सकों ने पाया है कि 27 मृतकों में से 14 महिलाएं और 3 पुरुष थे. अज्ञात शवों को मंगोलपुरी स्थित संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के मॉर्चुरी में रखवाया गया है.

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