सनस्क्रीन विज्ञापनों को लेकर दो प्रमुख ब्रांडों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है. हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) के एक विज्ञापन में बदलाव की मांग को लेकर होनासा कंज्यूमर ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, होनासा ने आरोप लगाया है कि एचयूएल का विज्ञापन अपमानजनक है. इसके साथ ही, उन्होंने अदालत से इस विज्ञापन को हटाने या उसमें संशोधन करने के लिए हस्तक्षेप की अपील की है. उल्लेखनीय है कि होनासा कंज्यूमर, ब्यूटी और पर्सनल केयर ब्रांड मामाअर्थ की मूल कंपनी है.

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क्या है मामला

हिंदुस्तान यूनिलीवर के लैक्मे ब्रांड के एक विज्ञापन पर आरोप लगाया गया है कि उसका “ऑनलाइन बेस्टसेलर” सनस्क्रीन अपने एसपीएफ के बारे में गलत जानकारी दे रहा है, जिससे त्वचा पर दाग-धब्बे उत्पन्न हो सकते हैं. एसपीएफ का अर्थ सन प्रोटेक्शन फैक्टर है, और इसी पर होनासा कंज्यूमर को आपत्ति है. होनासा कंज्यूमर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने दिल्ली हाईकोर्ट में कंपनी की दलीलें प्रस्तुत कीं और एचयूएल द्वारा किए गए कथित अपमानजनक और झूठे विज्ञापनों से राहत की मांग की.

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कोर्ट ने क्या कहा

न्यायमूर्ति अमित बंसल की एकल-न्यायाधीश पीठ ने यह टिप्पणी की कि प्रारंभिक दृष्टि में विज्ञापन अपमानजनक प्रतीत होते हैं. फिर भी, हिंदुस्तान यूनिलीवर को अपनी दलीलें प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है. इसके बाद, होनासा कंज्यूमर ने अगली सुनवाई तक हिंदुस्तान यूनिलीवर को समाचार पत्रों, होर्डिंग्स या सोशल मीडिया पर ऐसे विज्ञापनों के प्रकाशन से रोकने के लिए अदालत से हस्तक्षेप की मांग की, लेकिन न्यायमूर्ति बंसल ने इस याचिका को स्वीकार नहीं किया.

होनासा कंज्यूमर की को-फाउंडर को आपत्ति

यह विवाद तब उत्पन्न हुआ जब होनासा कंज्यूमर की सह-संस्थापक गजल अलघ ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से अपनी आपत्ति व्यक्त की. अलघ ने एचयूएल के लैक्मे उत्पाद को सन प्रोटेक्शन फैक्टर मानकों को अपनाने के लिए बधाई दी. उल्लेखनीय है कि सन प्रोटेक्शन फैक्टर का पालन पहले से ही होनासा के ब्रांड द डर्मा कंपनी द्वारा किया जा रहा है. एसपीएफ, या सन प्रोटेक्शन फैक्टर, यह दर्शाता है कि एक सनस्क्रीन हानिकारक यूवीबी किरणों से त्वचा की कितनी प्रभावी सुरक्षा करता है.