रोहित कश्यप, मुंगेली। जिले में खाद्य विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है, जहां एक राइस मिलर को लाभ पहुंचाने के लिए विभाग ने सारे नियम कानून को ताक में रखकर बाकायदा नियम विरुद्ध जाकर कस्टम मिलिंग का पंजीयन करा दिया. हैरानी की बात है कि यह राइस मिल नाम बदलकर 30 डिसमिल की जमीन पर दो राइस मिल का संचालन कर रहा है. आखिर यह कारनामा हुआ कैसे? यह बड़ा सवाल विभाग के ऊपर खड़ा हो रहा है.

बता दें कि मुंगेली में सारे कानून कायदों को किनारा रखकर व्यापारी को किस तरह का लाभ दिया जा रहा है, इसकी बानगी मुंगेली में देखने को मिली, जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. जानकारी के मुताबिक एक राइस मिल के उद्योग स्थापित करने के लिए 50 डिसमिल से एक एकड़ तक की भूमि की आवश्यकता होती है लेकिन हैरानी की बात यह है कि यहां 30 डिसमिल में दो राइस मिल संचालित किया जा रहा है.

नियम कानून को ताक में रखकर आखिर इन राइस मिलों का पंजीयन कैसे हुआ, यह अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है. लेकिन यह कारनामा किया है, मुंगेली जिले के बरेला गांव स्थित श्री शिवा राइस प्रोडक्ट व श्याम जी राइस इंडस्ट्रीज ने जो 30 डिसमिल के भूमि पर दोनों उद्योग संचालित है, जिसके संचालक राजेश अग्रवाल है.

राजेश अपने परिजनों के नाम बदलकर संचालक बनाते आ रहे है. जो खुद बताते हैं कि उनके 2 राइस मिल का पंजीयन हुआ है और वह 30 डिसमिल में उद्योग संचालित करते हैं. इससे पहले महिमा राइस मिल और दाल मिल भी इसी जगह पर संचालित किया जाता था, जो अब बन्द है. लेकिन उद्योग नीति में बन्द करने के भी नियम कानून है, जिसका लेखा-जोखा उद्योग विभाग के पास भी नहीं है. वहीं एक राइस मिल का प्रोडक्शन सर्टिफिकेट लिया गया है, लेकिन दूसरे का कोई अता-पता नहीं है. हालांकि उद्योग विभाग के प्रबंधक एमएल कुशरे ने विभागीय जांच की बात जरूर कही.

उद्योग नीति में राइस मिल के लिए क्षमता निर्धारित की जाती है लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि यह क्षमता का पालन क्या इन राइस मिलों में हो रहा है. यहां आप देखकर हैरान हो जाएंगे कि इतने बड़े पैमाने पर धान कैसे रखा जा रहा है, जहां रखने की कोई व्यवस्था नहीं है. साथ ही इस राइस मिल के भूसे सड़क में आ रहे है.

सबसे खास बात की वर्तमान में सरकार की महत्वाकांक्षी धान समर्थन मूल्य योजना के तहत इन दोनों राइस मिल का पंजीयन हुआ है, जबकि पंजीयन के लिए उद्योग विभाग से प्रोडक्शन सर्टिफिकेट की अनिवार्यता है लेकिन एक राइस मिल को अगर प्रोडक्शन सर्टिफिकेट नहीं दिया गया तो फिर पंजीयन कैसे हुआ. यह खाद्य विभाग की लापरवाही को उजागर करता है.

वहीं खाद्य विभाग के जिला अधिकारी विमल दुबे कहते है कि सब कुछ ठीक है, प्रोडक्शन सर्टिफिकेट को चेक करवाते है, उसके बाद बताएंगे.

मुंगेली में सरकारी औद्योगिक गाइड लाइन की धज्जियां कैसे उड़ाई जाती है, वो विभागों में नजर आई है वो भी राइस मिलर को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी कलम अधिकारी कैसे फंसाते है. साथ ही सरकार के सब्सिडी राशि को चूना लगाने जैसी आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने की आशंका है. मामले पर अगर निष्पक्ष जांच हो तो कई बड़े खुलासे होंगे.