Punjab Election 2024: अमृतसर. पंजाब की दो महिलाएं वीवीआईपी रही हैं. पंजाब की राजनीति में इन महिलाओं का काफी दखल रहा है. इनके एक कदम और एक बयान से राज्य और केंद्र की नीतियां बदलती रही हैं. एक समय इनके पतियों का होल्ड पूरे राज्य पर होता था और ये खुद केंद्र में कोई महत्वपूर्ण प्रोफाइल वाली कैबिनेट मंत्री होती थीं पर आज कल इन महिलाओं के सितारे गर्दिश में हैं.

दोनों के पति सत्ता में नहीं हैं इसलिए इनके पास सार्वजनिक जीवन में कोई महत्वपूर्ण प्रोफाइल नहीं है. दोनों कई बार सांसद रह चुकी हैं पर इस बार संसद पहुंचने के भी लाले पड़ गए हैं. जी हां बात हो रही है पूर्व कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर और पूर्व कैबिनेट मंत्री परिनीत कौर की.(Punjab Election 2024)


हरिसिमरत कौर प्रदेश के 2 बार डिप्टी सीएम रहे सुखबीर बादल की पत्री हैं तो परिणीत कौर प्रदेश के 2 बार सीएम रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं. दोनों को इस बार अपने संसदीय क्षेत्रों में अपनी पार्टी के अंतर्विरोधों के साथ विपक्ष की पार्टियों से भी जबरदस्त लोहा लेना पड़ रहा है. इन दोनों महिलाओं में एक बात और भी कॉमन है वो है बीजेपी से संबंधों का. हरसिमरत कौर और बीजेपी का वास्ता करीब 23 वर्षों का है पर अब दोनों के बीच दूरियां हो चुकी हैं. दूसरी ओर परिणीत कौर बीजेपी का बहुत दूर का रिश्ता रहा है पर अब दोनों साथ हैं. बेहद टफ फाइट में फंसी इन बेगमों के संसदीय क्षेत्रों का हाल जानने की कोशिश करते हैं.(Punjab Election 2024)


पटियाला लोकसभा सीट पर पांचदी बार कब्जा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहीं परिणीत कौर के लिए यहां की लड़ाई अपजा घर बचाने की है. यह संसदीय सीट परिणीत और उनके पति पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्ववर्ती पटियाला शाही परिवार के मुखिया कैप्टन अमरिंदर सिंह का लबे समय से गढ़ रहा है. परिनीत कौर पटियाला से कांग्रेस की सांसद हैं, लेकिन इस चुनाव में यह भाजपा के टिकट पर उतरी हैं. वो इस सीट से 4 बार कांग्रेस के लिए सांसद चुनी जा चुकी हैं. उनके पति कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में कांग्रेस के पर्याय के रूप में देखे जाते रहे हैं. सितंबर 2021 में सीएम पद से हटाए जाने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी. फिर उन्होंने अपनी पार्टी बनाई पर विधानसभा चुनावों में सफलता न मिलने के चलते बाद में भाजपा में विलय कर दिया. इस बीच स्वास्थ्य कारणों से कैप्टन अमरिंदर अपनी पनी के प्रचार के लिए भी बाहर नहीं निकले हैं. यहां तक की पीएम नरेंद्र मोदी की पटियाला में हुई सभा में भी यो शामिल नहीं हुए. (Punjab Election 2024)


बठिंडा से बौथी बार चुनाव मैदान में उत्तरी हरसिमरत के लिए इस बार राह आसान नहीं हैं. अकाली राजनीति के पितामह पुरुष प्रकाश सिंह बादल की अनुपस्थिति में पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहा है. जाहिर है कि यह चुनाव अकाली दल का अस्तित्व बचाने का भी सवाल है. 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिच की बेअदबी के कारण पंजाब की सत्ता के हाशिये पर गई पार्टी को तो अपना वर्चस्व बहाल करना ही है. शायद यही कारण है कि पार्टी पंथिक मुझे पर खुलकर खेलने के मूड में है. ऑपरेशन ब्लू स्टार की 40वी एनिवर्सरी पर पार्टी पंजाब की जनता को कांग्रेस से सावधान कर रही है. सुखबीर बादल पर अपनी पार्टी को फिर रिवाइव करने की जितनी जिम्मेदारी है उतनी ही उन पर अपनी पत्नी हरसिमरत कौर बादल की सीट को भी बचाने का भी दबाव है. सुखबीर खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं इसलिए बठिंडा की हार भी उन्ही की हार मानी जाएगी.

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