सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। बेमेतरा जिला के बेरला तहसील के ग्राम पिरदा स्थित बारूद फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट में घायल दो मजदूरों की हालत में सुधार के बाद मेकाहारा से डिस्चार्ज कर दिया गया है. इसके साथ ही मेकाहारा में उपचाररत मरीजों की संख्या घटकर चार रह गई है.

डॉ. भीमराव अंबेडकर हॉस्पिटल में भर्ती दो कर्मचारियों, चंदन कुमार और दिलीप ध्रुव को उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया. डिस्चार्ज कर्मचारियों में से एक मरीज़ के पैर में चोट है, और दूसरे मरीज़ की सिर पर हल्की चोट है. दोनों को उपचार के बाद डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. डिस्चार्ज के बाद अब हॉस्पिटल में चार मरीज़ भर्ती हैं जिनका इलाज जारी है.

डिस्चार्ज होने के बाद चंदन कुमार दिलीप दोनों ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत करते हुए बताया कि सुरक्षा का कोई ख्याल नहीं रखा जाता था, न ही कोई सुरक्षा किट दी जाती थी. सात-आठ लोग दूसरे प्लांट में थे ब्लास्ट बचने के लिए भाग रहे थे, ऐसे में ब्लास्ट के टुकड़ों से हम घायल हुए हैं. प्लांट में जिस जगह ब्लास्ट हुआ है, वहाँ भी 7-8 लोग काम कर रहे थे. जैसा धमाका हुआ है, उससे नहीं लगता है कि कोई बच पाया होगा.

नहीं होती हमारे साथी की मौत

मरीज़ों ने बताया कि जैसे हम घर से फ़ैक्ट्री जाते थे वैसा ही काम करते थे, सिर्फ़ हम कपड़ा बदलते थे. सेफ़्टी किट नहीं दिया जाता था. यदि सुरक्षा के लिए किट दिया जाता तो हम हॉस्पिटल नहीं पहुँचते हमारे साथी की मौत नहीं होती. मरीज़ के साथ पहुँचे उनके परिजन ने बताया कि सुबह जब बिस्तर में था, धमाका इतना तेज था कि पूरा गाँव हिल गया था, मैं बिस्तर में सो रहा था, ऊपर उछल गया था.

पेट में पल रहे बच्चे का क्या होता

डिस्चार्ज कर्मचारी की गर्भवती पत्नी ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में बताया कि जब ब्लास्ट की खबर कान पर पड़ी तो चारों तरफ अंधेरा हो गया था, कुछ समझ नहीं आ रहा था. कुछ समय बाद मेरे देवर का फोन आया कि भैया सुरक्षित हैं, थोड़ी सी चोट है, तब जाकर जान में जान आई. मैं अभी बहुत राहत महसूस कर रही हूं. मेरे एक बेटी पहले से है. दूसरा बच्चा गर्भ में है.

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