संदीप अखिल, भोपाल। “जेहि विधि होइ नाथ हित मोरा।
करउँ सोइ मति मोहि न थोरा॥”
अर्थात् शासक को वही करना चाहिए जिससे जनता का भला हो। प्रशासन का प्रत्येक निर्णय निष्पक्ष और न्यायपूर्ण होना चाहिए।रामचरितमानस की यह चौपाई मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के व्यक्तित्व से काफ़ी मेल खाने वाला है। मध्य प्रदेश की राजनीति में वर्ष 2023 का बदलाव कई मायनों में अप्रत्याशित और महत्वपूर्ण था। विधानसभा चुनावों के बाद जब नए मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा चल रही थी तब शायद ही किसी ने कल्पना की हो कि यह जिम्मेदारी उज्जैन के एक जुझारू, शांत स्वभाव वाले दृढ़ इरादों के नेता डॉ. मोहन यादव के कंधों पर आ जाएगी। उनकी नियुक्ति पर कई तरह के विश्लेषण हुए कई आशंकाएं भी उठीं लेकिन दो वर्ष बाद तस्वीर साफ़ है। डॉ. यादव ने स्वयं को एक निर्णायक, स्पष्टवाद और परिणामकारी नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया है। दो साल पूरे होने पर उनका आक्रामक और आत्मविश्वास से भरा बयान कि “मैं जो बोलता हूं उसे पूरा करता ही हूं, चाहे मुझे दायरे क्यों न तोड़ने पड़ें” केवल एक राजनीतिक घोषणा नहीं बल्कि उनके दो साल के कामकाज का सार है।

मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. मोहन यादव ने अपनी प्राथमिकताओं को सर्वोपरि रखा, जिनमे थी—कृषि, सिंचाई, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून-व्यवस्था। इन क्षेत्रों में उनकी सरकार ने वास्तविक परिवर्तनकारी कदम उठाए।

प्रदेश की मोहन सरकार ने सिंचाई क्षमता 100 लाख हेक्टेयर तक ले जाने का टार्गेट तय किया है। जल संसाधन विभाग के अनुसार यह लक्ष्य 2028 तक और मजबूत होने की पूरी सम्भावना है। बुंदेलखंड जैसे पिछड़े क्षेत्र में सिंचाई विस्तार ने किसानों को नई उम्मीद दी है। डॉ. यादव का स्पष्ट कहना है कि “विकास के लिए कभी-कभी दायरे तोड़ने पड़ते हैं।” कृषि बजट दोगुना करना उनकी इसी दृष्टिकोण का हिस्सा है।

भोपाल में जल्द मेट्रो शुरू होने जा रही है। इंदौर में मेट्रो शुरू हो चुकी है। 2026 से प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में भी मेट्रोपॉलिटन सिस्टम लागू होगा। पीएम ई-बस सेवा के तहत सैकड़ों इलेक्ट्रिक बसें शुरू की जाएंगी।
डॉ. यादव ने पर्यटन, रेलवे और शहरी विकास विभागों में अपने पूर्व अनुभव को योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रभावी रूप से उपयोग किया है।

पिछली सरकारों द्वारा घोषणाओं में रहने वाला बुंदेलखंड, इस बार जमीन पर विकसित अंतरों के कारण चर्चा में है।छतरपुर मेडिकल कॉलेज समय से पहले तैयार करवाया गया। दमोह में कॉलेज भी खड़ा किया गया।
नौरादेही अभयारण्य परियोजना पर तेजी से काम—अप्रैल-मई में चीते छोड़े जाने की योजना। सागर में खाद कारखाने का पुनः संचालित होना सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। मुख्यमंत्री कहने से अधिक करके दिखाने की राजनीति पर जोर देते हैं।

पिछले कुछ समय में मप्र पुलिस पर उठे सवालों ने देशभर में बहस छेड़ी। सिवनी पुलिस डकैती हो या भोपाल में छात्र की हत्या, मुख्यमंत्री ने बिना हिचक कार्रवाई की। दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या की धाराएं लगाकर गिरफ्तारी – यह कदम प्रशासनिक कठोरता के उदाहरण है। इस चेतावनी के साथ मंत्री के रिश्तेदार पर भी कार्रवाई की गई कि “गलत करोगे तो भुगतना पड़ेगा।”कांग्रेस द्वारा पूर्णकालिक गृहमंत्री न होने के आरोपों पर उन्होंने दो-टूक जवाब दिया कि “कांग्रेस, जिनके शासनकाल में मंत्री मारे गए, वे हमें कानून-व्यवस्था का पाठ न पढ़ाएं।”

माओवादी समस्या पर मोहन यादव की सरकार ने विस्तृत काम किया है। मप्र के तीनों जिले नक्सल मुक्त घोषित हो चुके हैं।
यानी मप्र अब नक्सल मुक्त चंबल में डकैत समस्या का समाधान भी बड़ी उपलब्धि है।


लाड़ली बहना योजना से वित्तीय बोझ बढ़ने जैसे आरोपों पर सीएम का दावा है कि पिछले दो साल में सरकार ने केवल 72 हजार करोड़ का ही कर्ज लिया।इसमें 30 हजार करोड़ पुराने कर्ज का मूलधन चुकाने में लगे।आज भी  मध्यप्रदेश 3% की केंद्र की गाइडलाइन के भीतर ही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव का मानना है कि “लोन लेना एक निवेश है, इससे विकास रुकता नहीं, बढ़ता है।”

शिक्षा और स्वास्थ्य इन दोनों क्षेत्रों में भी ऐतिहासिक विस्तार देने वाला रहा मोहन सरकार का दो साल  

प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 25 से अधिक हो चुकी है।सरकारी अस्पतालों में सुपर स्पेशलिटी सुविधाओं का विस्तार हुआ है। राज्य में स्कूलों की संख्या भी दोगुनी हो गई है। इन उपलब्धियों के आधार पर सरकार का मानव विकास सूचकांक बेहतर से बेहतरीन होता चला जा रहा है। इन सब के अलावा डॉ. यादव का सबसे उल्लेखनीय कार्य धार्मिक पर्यटन को आर्थिक विकास का इंजन बनाना है। जिसका जीवंत प्रमाण है कि उज्जैन में 2024 में 7 करोड़ पर्यटक पहुंचे — 2023 के 5 लाख के मुकाबले लगभग 20 गुना अधिक।महाकाल महालोक बनने से पहले जहां 30–40 लाख पर्यटक आते थे जो अब करोड़ों में आ रहे हैं। प्रदेश में 12 “लोक” बनने जा रहे हैं जो MP को धार्मिक पर्यटन के ग्लोबल मैप पर स्थापित करेंगे।


रोजगार और औद्योगिक विकास के मामले में भी मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने उल्लेखनीय काम किया है  पिछले एक वर्ष में एक लाख सरकारी नौकरियां आबंटित की गईं। 2 लाख से अधिक युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ा गया। 7 लाख करोड़ का निवेश प्रदेश में आया। प्रदेश में औद्योगिक विकास दर का केंद्र से अधिक होना एक बड़ा संकेत है कि मध्य प्रदेश निवेशकों की पहली पसंद बन रहा है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव राजनीतिक चुनौतियाँ का पूरी कुशलता से सामना भी करते हैं और वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलने के लिए कैबिनेट में फेरबदल के लिए भी तत्पर रहते हैं।  आने वाले कई वर्षों तक राज्य को स्थिर और विकाशील सरकार देने की दिशा में इसे महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।दो वर्ष: विश्वास, स्थिरता और निर्णायक नेतृत्व दो साल के कार्यकाल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि: डॉ. मोहन यादव केवल नाम के मुख्यमंत्री नहीं,बल्कि फैसले लेने वाले, चुनौती स्वीकार करने वाले,और परिणाम देने वाले मुख्यमंत्री हैं। विकास, प्रशासनिक सुधार, कानून-व्यवस्था की सख्ती और जनता का भरोसा यही वो पूंजी है जो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने पिछले दो सालों में अर्जित की है। उनकी भाषा में आत्मविश्वास झलकता है, परंपराओं से अलग हटकर निर्णय लेने की शैली दिखती है, और कामकाज में गति है। डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां विकास की नई धाराएँ बह रही हैं, दो सालों में राज्य का प्रशासन अधिक जवाबदेह हुआ है, बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और धार्मिक पर्यटन ने प्रदेश की छवि को नई ऊंचाइयां दी हैं। राज्य में विकास की रफ़्तार को देखते हुए महसूस किया जा सकता है प्रदेश के लिए आने वाले तीन वर्ष निर्णायक होंगे।
डॉ. मोहन यादव उम्मीदों पर खरे उतरने के लिए प्रतिबद्ध हैं और मध्य प्रदेश एक नए विकास अध्याय की दहलीज पर खड़ा है।

संदीप अखिल
सलाहकार संपादक न्यूज़ 24 मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़

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