रायपुर। साय सरकार के 2 वर्षों में ही छत्तीसगढ़ में धरातल पर सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन दिखने लगा है। छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासनिक इतिहास में पिछले दो वर्ष एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में दर्ज हुए हैं। विष्णु देव साय के नेतृत्व में बनी राज्य सरकार ने अपने दो वर्ष पूरे होने पर जिस आत्मविश्वास के साथ जो काम किया वह जमीनी बदलावों के रूप में आज सामने है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की गारंटियों पर जनता ने जो भरोसा जताया, जिसे साय सरकार ने नीतियों, योजनाओं और प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से पूरा किया है।

सुशासन की बुनियाद : विश्वास से विकास तक साय सरकार का सफर
राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का मानना है कि “किसी भी सरकार की सफलता का पहला पैमाना जनता का विश्वास होता है।” साय सरकार ने शपथ के दूसरे ही दिन 18 लाख से अधिक जरूरतमंद परिवारों को प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति देकर यह संकेत दिया कि शासन की प्राथमिकता गरीब और वंचित वर्ग हैं। छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने सुशासन एवं अभिसरण विभाग की स्थापना करके 400 से अधिक प्रक्रियागत सुधार दर्ज करके, ई-ऑफिस, अटल मॉनिटरिंग पोर्टल और डिजिटल गवर्नेंस लाकर प्रशासन को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाया है।आज योजनाओं की निगरानी केवल फाइलों तक सीमित नहीं, बल्कि रियल-टाइम डेटा और फीडबैक के आधार पर हो रही है। इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा और योजनाओं का लाभ समय पर हितग्राहियों तक पहुँचा।
साय सरकार के प्रयास से ‘धान का कटोरा’ फिर से समृद्धि की ओर
छत्तीसगढ़ की आत्मा कृषि में बसती है। इसे समझते हुए छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने खेती को “लाभ का व्यवसाय” बनाने की दिशा में निर्णायक कदम उठाए।
• 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी
• प्रति एकड़ 21 क्विंटल तक समर्थन
• बकाया धान बोनस का भुगतान
• सिंचाई क्षमता का 21.76 लाख हेक्टेयर तक विस्तार
इन कदमों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह बढ़ा। सौर सुजला योजना ने आदिवासी और सीमांत किसानों को सिंचाई के लिए सोलर पंप उपलब्ध कराए जिससे कृषि लागत घटी और उत्पादन बढ़ा। धान उत्पादन में 7.8% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई जिसके परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ देश के शीर्ष कृषि राज्यों में शामिल हुआ।

महिला सशक्तिकरण से लिखी जा रही आर्थिक स्वतंत्रता की नई इबारत
प्रदेश की साय सरकार के दो वर्षों की सबसे प्रभावशाली उपलब्धियों में महतारी वंदन योजना प्रमुख है। लगभग 70 लाख माताओं-बहनों को प्रतिमाह 1000 रुपए की सहायता ने न केवल घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूती देकर महिलाओं के आत्मसम्मान और निर्णय-क्षमता को भी बढ़ाया। डीबीटी के माध्यम से 22 किस्तों में 14,306 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का सीधा हस्तांतरण पारदर्शिता का उदाहरण है। राज्य में बिहान योजना, स्वयं सहायता समूहों, कौशल प्रशिक्षण और महिला श्रम भागीदारी दर के 59.8% तक पहुँचने ने यह सिद्ध किया कि छत्तीसगढ़ में महिलाएँ अब विकास की भागीदार बन रही हैं।
साय सरकार ने दी आदिवासी और वनोपज संग्राहकों को सम्मान और सुरक्षा
जनजातीय समाज के लिए तेंदूपत्ता पारिश्रमिक को 4000 रुपए से बढ़ाकर 5500 रुपए करना एक ऐतिहासिक निर्णय रहा। इससे 13 लाख परिवारों को सीधा लाभ मिला। चरणपादुका योजना की पुनः शुरुआत ने वनोपज संग्राहकों के श्रम का सम्मान बढ़ाने का काम किया है।बस्तर और सरगुजा विकास प्राधिकरण की स्थापना के अलावा नियद नेल्ला नार योजना के अंतर्गत सुदूर गांवों में राशन, सड़क, बिजली, आधार, आयुष्मान कार्ड और आवास जैसी सुविधाओं की उपलब्धता ने आदिवासी क्षेत्रों में भरोसे का नया वातावरण बनाया।
नक्सल उन्मूलन के साथ मिल रहा बस्तर को सुरक्षा और विकास
छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने पिछले दो वर्षों में माओवाद के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ी हैं जिसमें 505 नक्सली न्यूट्रलाइज किए गए।2386 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और 1901 नक्सली गिरफ्तार हुए। यह आँकड़े केवल सुरक्षा बलों की सफलता नहीं बल्कि उस विकास मॉडल का प्रमाण हैं जिसमें सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और रोजगार सुरक्षा के साथ-साथ पहुँचते हैं। पुनः खुलने वाले स्कूल, इको-टूरिज्म, बस्तर पंडुम और बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन बस्तर को नई पहचान दे रहे हैं।

शिक्षा की गुणवत्ता में किया जा रहा सुधार
प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में “युक्तियुक्तकरण” ने शिक्षक संकट को दूर किया।राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन किया जा रहा । स्मार्ट क्लास और विद्या समीक्षा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है। हिंदी में एमबीबीएस की शुरुआत एक नई पहल है। राज्य में 11 मेडिकल कॉलेजों का विस्तार किया जा रहा है। इन पहलों ने शिक्षा को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया। 2001-02 में जहाँ शिक्षा सूचकांक 0.249 था, वहीं 2025 में यह बढ़कर 0.520 हो गया। महिला साक्षरता 70% के पार पहुँचना सामाजिक बदलाव का संकेत है।

अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने में मिल रही सफलता
स्वास्थ्य सूचकांक 0.672 तक पहुँचना, शिशु मृत्यु दर का 67 से घटकर 38 होना और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पीएचसी-सीएचसी की स्थापना यह दर्शाती है कि स्वास्थ्य सेवाएँ अब सुदूर अंचलों तक पहुँच रही हैं। जल जीवन मिशन के तहत 40 लाख से अधिक परिवारों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया गया जिससे रोगों में कमी और जीवन-स्तर में सुधार हुआ।
औद्योगिक विकास से खुल रहा निवेश और रोजगार का नया अध्याय
छत्तीसगढ़ की साय सरकार की नई औद्योगिक नीति ने राज्य में निवेशकों का भरोसा बढ़ाया। प्रदेश के 7.83 लाख करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव मिल चुका है। लॉजिस्टिक पार्क, एयर कार्गो सुविधा, औद्योगिक पार्कों की स्थापना इस्पात, सीमेंट और बिजली उत्पादन में भी छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य बन चुका है।प्रदेश में बेरोजगारी दर घटकर 2.4% हो गया यह परिवर्तन विकास का प्रत्यक्ष परिणाम है।
छत्तीसगढ़ में हो रहा अधोसंरचना और कनेक्टिविटी से समृद्धि
राज्य की डबल इंजन सरकार के सहयोग से सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। 47,000 करोड़ रुपए से अधिक की रेल परियोजनाएँ आरंभ की गई है। 37 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएँ और अंबिकापुर एयरपोर्ट का शुभारंभ किया गया है। राज्य में ग्रामीण सड़कों की लंबाई 1.6 लाख किमी तक पहुँचना यह दर्शाता है कि विकास अब शहरों तक ही सीमित नहीं है।

संस्कृति और विरासत की पहचान को बचाते हुए किया जा रहा विकास
छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने विकास को संस्कृति से जोड़ने का शानदार प्रयास किया है जिसमें उन्हें आशानुरूप सफलता भी मिल रही है इसके अलावा श्रीरामलला अयोध्या धाम दर्शन योजना और मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का क्रियान्वयन किया गया। राजिम कुंभ कल्प, बस्तर दशहरा का विस्तार,लोक कलाकारों की पेंशन वृद्धि और चित्रोत्पला फिल्म सिटी की दिशा में पहल से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊर्जा मिली।
राज्य की प्रगति का प्रमाण बन रहा आर्थिक संकेतक
छत्तीसगढ़ का बजट 2001-02 के 3,999 करोड़ रुपए से बढ़कर 2025-26 में 1.65 लाख करोड़ रुपए हो गया, जीएसडीपी का 25,845 करोड़ रुपए से 3.21 लाख करोड़ हो गया। राज्य में जीएसटी संग्रह में 15% वृद्धि यह दर्शाती है कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। राज्य की साय सरकार के दो वर्षों का लेखा-जोखा बताता है कि यह कार्यकाल केवल योजनाओं का नहीं, बल्कि एक स्पष्ट दृष्टि का प्रतीक है। “अंजोर विजन 2047” के साथ विकसित छत्तीसगढ़ का लक्ष्य रखा गया है—जहाँ विकास, सुरक्षा और सुशासन साथ-साथ चलें। जनता के जीवन में दिख रहा बदलाव इस बात का प्रमाण है कि यदि नीतियाँ ज़मीनी हकीकत से जुड़ी हों तो परिवर्तन संभव है। आने वाले वर्षों में यही गति छतीसगढ़ को देश के अग्रणी राज्यों की पंक्ति में स्थापित करेगी।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


