Types of Shradh: हिंदू धर्म में श्राद्ध पितरों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा प्रकट करने का सबसे बड़ा साधन माना गया है. पितृपक्ष हो या अमावस्या, श्राद्ध के बिना पितरों की तृप्ति अधूरी रहती है. प्रायः लोग केवल एक-दो प्रकार के श्राद्ध ही जानते हैं, लेकिन शास्त्रों में श्राद्ध के 12 प्रकार बताए गए हैं. इन सबका उद्देश्य पितरों की आत्मा की शांति, मोक्ष और परिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति है. हर श्राद्ध अलग परिस्थिति, तिथि और भावना के साथ किया जाता है. आइए जानते हैं इन 12 प्रकार के श्राद्ध कब और क्यों किए जाते हैं.
Also Read This: Shardiya Navratri 2025: हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानें इसका महत्व और किसे होगा लाभ

12 प्रकार के श्राद्ध और उनका महत्व (Types of Shradh)
1. नित्य श्राद्ध – यह प्रतिदिन पितरों के लिए तर्पण और जल अर्पण के रूप में किया जाता है. गृहस्थ को रोज जल अर्पण करके पितरों की तृप्ति करनी चाहिए. यह सुबह स्नान के बाद किया जाता है.
2. नैमित्तिक श्राद्ध – जब किसी घर में कोई विशेष घटना जैसे जन्म, विवाह या संतान का संस्कार होता है, तब पितरों की कृपा हेतु यह श्राद्ध किया जाता है. इससे नए कार्य में बाधा दूर होती है.
3. काम्य श्राद्ध – किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति, जैसे संतान की प्राप्ति, धन, स्वास्थ्य या सफलता की इच्छा से किया जाता है. यह शुभ तिथियों पर ब्राह्मण भोज और पिंडदान के साथ किया जाता है.
4. वृत्त श्राद्ध – व्रत-उपवास के समय पितरों की तृप्ति हेतु किया जाता है. उदाहरण के लिए एकादशी या अन्य उपवास के अवसर पर. इस श्राद्ध का उद्देश्य आत्मसंयम और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करना होता है.
5. सापिंडन श्राद्ध – यह मृत्यु के बारहवें दिन या एक वर्ष पूर्ण होने पर किया जाता है. इसमें मृतक को पितरों की पंक्ति में सम्मिलित किया जाता है. इससे उनकी आत्मा को स्थायी शांति मिलती है.
6. पार्वण श्राद्ध – पितृपक्ष की अमावस्या को किया जाने वाला प्रमुख श्राद्ध. इसमें पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोजन शामिल है. इसे सबसे फलदायी माना गया है.
Also Read This: श्राद्ध पक्ष में महालक्ष्मी व्रत: घर में स्थायी सुख-समृद्धि और लक्ष्मी की कृपा पाने का अनोखा तरीका
7. गोश्ठी श्राद्ध – जब कई ब्राह्मण या परिवारजन मिलकर सामूहिक रूप से श्राद्ध करते हैं. इसे विशेष अवसरों पर किया जाता है ताकि पितरों को सामूहिक तृप्ति मिले.
8. शुद्ध्यर्थ श्राद्ध – किसी अपवित्रता, दोष या अशुभ घटना जैसे गर्भपात या अकाल मृत्यु के बाद घर की शुद्धि के लिए किया जाता है. इससे वातावरण पवित्र होता है और पितरों को शांति मिलती है.
9. काम्य पार्वण श्राद्ध – पितृपक्ष में विशेष फल प्राप्ति के लिए, जैसे संतान-सुख या व्यापार में उन्नति हेतु. इसे पार्वण श्राद्ध की तरह ही विधिवत किया जाता है.
10. अष्टका श्राद्ध – माघ मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर किया जाता है. इसे पितरों के लिए विशेष पुण्यकारी माना गया है.
11. यात्रार्थ श्राद्ध – किसी लंबी यात्रा या विदेश गमन से पूर्व पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है. माना जाता है इससे यात्रा सुरक्षित और सफल होती है.
12. सपिंडन श्राद्ध – मृत्यु के एक वर्ष बाद जब मृतक आत्मा को पूर्वजों की श्रेणी में जोड़ा जाता है. इसे करने से मृत आत्मा पितृगण में सम्मिलित होकर संतुष्ट होती है.
Also Read This: पितृ ऋण तीन पीढ़ियों तक क्यों रहता है साथ? श्राद्धपक्ष में जानिए मुक्ति के उपाय
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें