चंडीगढ़. किसान आंदोलन नए मोड़ पर है. संगरूर में पंजाब- हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर 21 साल के युवा किसान शुभकरण की मौत के बाद आंदोलन का नेतृत्त्व सकते में है. कुछ नेता अस्वस्थ बताए जाते हैं. एमएसपी दिलाने के मुद्दे पर किसानों को भी जुटा लिया गया है मगर उनका नेतृत्व करने वालों के पास आगे की कोई रणनीति नहीं है.

किसान आंदोलन के मुद्दे पर किसान यूनियनों में शुरुआत से ही फूट पड़ी रही है. एक ओर इस बार आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर- राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेताओं ने पुलिस के साथ झड़प में युवा किसान की मौत हो जाने के बाद बुधवार को दिल्ली मार्च का ऐलान दो दिन के लिए टालकर कहा कि वे शुक्रवार शाम को अपना अगला कार्यक्रम तय करेंगे.

दूसरी ओर इस आंदोलन में हिस्सा न लेने वाले संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा की बैठक वीरवार को चंडीगढ़ में हुई. बैठक में नेताओं ने युवा किसान शुभकरण सिंह को श्रद्धांजलि दी और आरोप लगाया कि गोली मारकर उसकी जान ली गई है. इसके विरोध में शुक्रवार 23 फरवरी को देश के सभी राज्यों में हरियाणा के मुख्यमंत्री तथा गृह मंत्री के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री के पुतले फूंके जाएंगे और धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए जोर डाला जाएगा. इसके बाद 26 फरवरी को सारे देश में नेशनल और स्टेट हाईवे पर ट्रैक्टर परेड निकालकर काला दिवस मनाया जाएगा. 14 मार्च को दिल्ली में महापंचायत बुलाई गई है, जिसमें देश के अलग-अलग राज्यों से किसान संगठनों के कार्यकर्त्ता भाग लेंगे.

किसान यूनियनों में एकता न होने की बात खुद संयुक्त किसान मोर्चा भी मान रहा है. इसलिए मोर्चा से बाहर जा चुके किसान संगठनों से बात करने के लिए 6 सदस्यीय कमेटी बना दी गई है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं से पूछा गया कि क्या वे डल्लेवाल और पंधेर ग्रुप द्वारा जो आंदोलन शंभु और खनौरी बॉर्डर पर शुरू किया गया है, उसमें वह भाग लेंगे, तो नेताओं ने कहा कि आंदोलन कर रहे नेताओं की तरफ से बुलावा आने से पहले वे वहां नहीं जा सकते हैं. मोर्चे के कुछ नेताओं ने कहा कि पहले भी डल्लेवाल और पंधेर से एकता की बात शुरू की गई थी, लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ी.

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या किसान नेताओं ने जल्दबाजी में किसी कारण यह आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया? सवाल यह भी है कि पंजाब- हरियाणा सीमा पर बैठे हजारों किसानों को कैसे संभाला जाएगा? कुल मिलाकर किसान आंदोलन अब एक नए मोड़ पर है. आने वाले दिन आंदोलन की दिशा तय कर देंगे.