शब्बीर अहमद,भोपाल। मध्यप्रदेश में फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) संगठन से जुड़ी बड़ी खबर है. एमपी के अलग-अलग जिलों से गिरफ्तार 21 PFI सदस्यों में से 3 आरोपी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल मिले हैं. इन तीनों सदस्यों पर UAPA यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम लगा दिया गया है. अभी तक PFI के 7 सदस्यों पर UAPA एक्ट लग चुका है.
आतंकवाद विरोधी दस्ता (ATS) पीएफआई के सदस्यों से जुड़े मोबाइल, बैंक अकाउंट और जब्त सामान खंगालने पर कई बड़े खुलासे किए हैं. व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये युवाओं का ब्रेनवॉश करते थे. विदेशों से बड़े पैमाने पर आरोपियों के अकाउंट में टेरर फंडिंग का पैसा आया है. गिरफ्तार किए गए 21 सदस्यों पर शुरुआत में धारा 151 लगाई गई थी. आगे भी कई संदिग्ध लोगों की गिरफ्तारी होगी.
एमपी में 22 सितंबर को हुई थी पहली कार्रवाई
बता दें कि एनआईए ने 22 सितंबर को इंदौर से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का राज्य सरगना अब्दुल करीम, मोहमद खालिद, जावेद और उज्जैन से मोहम्मद जमील गिरफ्तार किया गया था. एनआईए ने कुछ किताबें और दस्तावेज भी जब्त किए थे. चारों आरोपियों पर UAPA एक्ट लगाया गया है. आईपीसी 21ए, 153ए, 120बी 13[1बी], 18 यूएपीए एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. यह कार्रवाई देश भर के 15 राज्य में PFI के 93 ठिकाने पर की गई थी, जहां 106 PFI से जुड़े आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है. एमपी से PFI के अब तक कुल 25 सदस्य गिरफ्तार किए गए हैं. जिसमें अभी तक 7 सदस्यों पर UAPA एक्ट लग चुका है.
जांच में हुए कई खुलासे
ATS की अबतक की पूछताछ में PFI सदस्यों ने कई खुलासे किए हैं. PFI के सदस्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए युवाओं को उकसा रहे थे. PFI के सदस्य प्रदेश में स्लीपर सेल तैयार करे थे. आपत्तिजनक साहित्य बांटने और देश विरोधी गतिविधियों को लोगों को भड़का रहे थे. प्रदेश के कई जिलों में PFI के दूसरे राज्यों के सदस्यों ने मीटिंग ली है. आरोपियों के पास से भारी मात्रा में तकनीकी उपकरण, देश विरोधी दस्तावेज और डिजिटल दस्तावेज बरामद हुए है. लोगों को भड़का कर इस्लामिक शरिया कानून कायम करना लक्ष्य था.
क्या होता है UAPA कानून ?
UAPA यानी Unlawful Activities (Prevention) Act यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम. इस कानून का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है. इसके तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या संदिग्ध लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, आतंकी गतिविधि के लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं. ऐसे मामलों में एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के पास काफी शक्तियां होती है. एनआईए महानिदेशक के पास तो यह अधिकार भी होता है कि जांच के दौरान वह संदिग्ध या आरोपी की संपत्ति भी कुर्की-जब्ती करवा सकते हैं.
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