महाराष्ट्र में सियासत की गर्माहट ने सीएम उद्धव ठाकरे की कुर्सी हिला कर रख दी है. एकनाथ शिंदे की बगावत सरकार के हुक्मरानों के लिए लोहे के चने चबाने जैसा हो गया है, जिसे ना चबाया जा सकता है और ना उगला जा सकता है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि शिंदे के सियासी भंवर में उद्धव सरकार पूरी तरीके से फंस चुकी है. राजनीति के गलियारों में कयासों की बाढ़ आ गई है. जानकारों का मानना है कि सीएम की कुर्सी जाना तय है. हालांकि शिवसेना के पास सरकार बचाने के 2 विकल्प हैं, लेकिन ये विकल्प कितने काम आएंगे कुछ कहा नहीं जा सकता.

बता दें कि, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सरकार बचाने के लिए एकनाथ शिंदे को सीएम की कुर्सी तक सौंपनी चाही, लेकिन नाराजगी इतनी कि शिंदे ने ऑफर को ठुकरा दिया. वहीं सीएम उद्धव ठाकरे ने बुधवार शाम मुख्यमंत्री आवास छोड़कर मातोश्री (अपने घर) पहुंच गए हैं. ठाकरे ने फिलहाल सीएम पद नहीं छोड़ा है, लेकिन उन्होंने इशारा दिया कि बागी अगर सामने आकर बात करें तो वह इसके लिए भी तैयार हैं. इसके बावजूद शिवसेना में मची भगदड़ थम नहीं रही है, जिससे बागी हो चुके एकनाथ शिंदे गुट की ताकत बढ़ती जा रही है.

लड़खड़ाती सरकार को बचाने का पहला विकल्प

उद्धव ठाकरे के खिलाफ शिवसेना के विधायकों ने जिस तरह से मोर्चा खोला है, उससे तो ये साफ हो गया है कि उनकी कुर्सी जाना तय है. ऐसे में उनके सामने एक ही विकल्प बचता है कि वो एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का दांव चल दें. कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को यही सुझाव दिया है कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया जाए. ऐसे में उद्धव ठाकरे इस जबरदस्त सियासी संकट से सरकार और शिवसेना को बचाने के लिए क्या एकनाथ शिंदे को सीएम बनाने का कदम उठाएंगे. ऐसा होने पर यह हो सकता है कि महा विकास आघाडी और शिवसेना के सामने आया यह सियासी संकट खत्म हो जाए.

हालांकि, एकनाथ शिंदे ने बुधवार को ट्वीट कर शिवसेना के कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन को अप्राकृतिक बताया था और इससे बाहर निकलना जरूरी बताया था. उन्होंने कहा था कि शिवसेना कार्यकर्ताओं में एनसीपी-कांग्रेस के साथ सरकार बनाए जाने को लेकर भी नाराजगी है, क्योंकि उनकी विचारधारा पूरी तरह शिवसेना के विपरीत है.

सरकार को बचाने का दूसरा विकल्प

शिवसेना से बागी हुए एकनाथ शिंदे जिस तरह से कांग्रेस और एनसीपी से नाता तोड़ने को लेकर अड़े हुए हैं. इतना ही नहीं शिंदे के साथ पार्टी के तमाम विधायक और कई सांसद उनके समर्थन में हैं. ऐसे में उद्धव ठाकरे के सामने दूसरा विकल्प यह है कि कांग्रेस-एनसीपी के साथ गठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना लें. ऐसे में बीजेपी के साथ हाथ मिलाने पर सत्ता में जरूर बनेंगे रहेंगे. एकनाथ शिंदे लगातार बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का सुझाव दे रहे हैं.

वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि, अगर शिवसेना को भविष्य में महाराष्ट्र की सियासत में अपना दबदबा बनाए रखना है तो एनसीपी और कांग्रेस के साथ संभव नहीं है, ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों ही एक दूसरे के वैचारिक विरोधी रहे हैं. शिवसेना और बीजेपी दोनों ही हार्ड हिंदुत्व की राजनीति करती रही हैं, जिसके चलते 25 साल साथ रहे. ऐसे में उद्धव ठाकरे के लिए बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर सत्ता में बने रहने और पार्टी को बचाए रखने का विकल्प है.

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