अजय नीमा, उज्जैन। धर्मनगरी उज्जैन में आगामी सिंहस्थ कुंभ 2028 की तैयारियों से पहले ही धार्मिक और प्रशासनिक गलियारों में बड़ी हलचल मच गई है। स्थानीय अखाड़ा परिषद को भंग कर दिए जाने के बाद, शैव और वैष्णव अखाड़ों के बीच धार्मिक विभाजन स्पष्ट रूप से सामने आ गया है, जिससे अखाड़ों की एकता टूट गई है।

स्थानीय परिषद के भंग होते ही, वैष्णव अखाड़ों ने तुरंत अपनी राहें अलग करते हुए रामेश्वरदास महाराज को अपना नया अध्यक्ष चुनकर खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया है। इस नाटकीय घटनाक्रम ने अखाड़ों के बीच की खाई को और भी गहरा कर दिया है।

इस पूरे घटनाक्रम पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज ने एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता आयोजित की। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब शैव अखाड़े सिंहस्थ कुंभ से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर पाएंगे; वे केवल अपने निजी स्थानों तक सीमित रहेंगे।

रवींद्र पुरी महाराज ने रामा दल को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि रामा दल का एक भी सदस्य सिंहस्थ की होने वाली बैठकों में शामिल नहीं हो पाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को सुचारु रखने के लिए सभी निर्णय साधु-संतों की सहमति और राष्ट्रीय नेतृत्व के माध्यम से ही लिए जाएंगे। कुल मिलाकर, रामा दल अखाड़े का सिंहस्थ की तैयारियों में किसी भी तरह के हस्तक्षेप पर रोक लगा दी गई है।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने एक बड़ा मुद्दा उठाते हुए कहा कि जितने भी वैष्णव संप्रदाय के महंतों ने अखाड़े की जमीन अपने निजी नामों से कर ली है, उनकी जांच के लिए जल्द ही पत्र लिखा जाएगा। पुरी महाराज का साफ कहना है कि अखाड़े की जमीन रजिस्टर्ड अखाड़े के नाम से ही होनी चाहिए, न कि किसी निजी महंत के नाम से। उन्होंने इस मामले में कार्रवाई की बात भी कही है।

इस विभाजन के बाद, रवींद्र पुरी महाराज ने प्रशासनिक स्तर पर भी बड़ी पहल करने की बात कही है। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उज्जैन कलेक्टर, और मेला अधिकारी से चर्चा करेंगे। इस चर्चा का मुख्य बिंदु यह होगा कि स्थानीय तौर पर किसी भी संत को सिंहस्थ से जुड़ी जानकारी न दी जाए। अगर सिंहस्थ से जुड़ी कोई जानकारी संतों को देनी है, तो वह केवल तेरह अखाड़ों के राष्ट्रीय नेतृत्व से ही साझा की जाए।

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