अजय नीमा, उज्जैन। नवरात्रि की महाष्टमी पर उज्जैन में नगर पूजन किया गया। परंपरा अनुसार माता मंदिर में की गई महाआरती में कलेक्टर रोशन कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा शामिल हुए। दरअसल यहां चौबीस खंबा माता मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ हैं। माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे। इसी परंपरा का निर्वाह जिलाधीश की ओर से किया गया। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा ने माता को मदिरा का भोग लगाया और महाआरती की। नगर पूजा का प्रमुख कारण शहर में किसी भी प्रकार की कोई प्राकृतिक आपदा ना हो, साथ ही सुख समृद्धि व खुशाली बनी रहे।

दरअसल, उज्जैन में राजा विक्रमादित्य के समय से नगर पूजा की परंपरा चली आ रही है। आज इस परपंरा का निर्वाह उज्जैन के राजा अर्थात जिला कलेक्टर द्वारा किया जाता है। नवरात्रि पर महाष्टमी के दिन वर्ष में एक बार जिला प्रशासन द्वारा नगर पूजा की जाती है। इस पूजा में लगभग 27 किलोमीटर तक मदिरा की धार लगाई जाती है जो कि शहर के कई देवी मंदिरों में जाती है। इस महापूजा में जिला प्रशासन के साथ-साथ कई श्रद्धालु पैदल चलते हैं और सुबह प्रारंभ होकर यह यात्रा शाम तक समाप्त होती है।

ये भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2025: खैरी वाली माता की महिमा अपरंपार, तीन रूप में दर्शन देती हैं देवी, दतिया के महाराजा ने कराया था इस मंदिर का निर्माण

यहां से गुजरती हैं यात्रा

यह यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध चौबीस खंबा माता मंदिर से शुरू होकर नगर भ्रमण के बाद ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर पर शिखर ध्वज चढ़ाकर समाप्त होती है। इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है जिसमें नीचे छेद होता है, जिससे पूरी यात्रा के दौरान सड़क मार्ग व देवी मंदिरों में मदिरा की धार बहाई जाती है। हर बार महापूजा में जिला कलेक्टर के साथ प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी व बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं।

ये भी पढ़ें: शारदीय नवरात्रि 2025ः अंबे माता मंदिर में राष्ट्र और देवी भक्ति का अनूठा संगम, तिरंगा और धर्म ध्वज के साथ युवतियों ने किया गरबा, राष्ट्र सर्वोपरि का दिया संदेश

इसी परंपरा को निभाने के लिए महाअष्टमी के दिन मंगलावर की सुबह जिला प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी चौबीस खम्बा माता मंदिर पर पहुंचे और देवी महालया और महामाया की पूजा कर देवी को मदिरा चढ़ाई गई। यह महाष्टमी की महापूजा सुबह 8 बजे से ढोल नगाडों के साथ शुरू हुई। बाद में प्रशासनिक अमला तहसीलदार के नेतृत्व में नगर पूजा पर निकल पड़ा। महापूजा की यात्रा में कोटवार के हाथ में एक कलश रहता है, जिसके पैंदे में छेद किया हुआ होता है ताकि मदिरा की धार लगातार बहती रहै। देवी शक्तियों को चढ़ाई जाने वाली इस मदिरा को प्रसाद के रूप में बड़ी संख्या में श्रद्धालु ग्रहण भी करते हैं। मदिरा समेत इस यात्रा का पूरा खर्च प्रशासन उठाता है।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H