उज्जैन। मध्य प्रदेश का उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय अपने छात्र-छात्राओं के लिए एक प्रोत्साहित करने वाली पहल करने जा रहा है. विश्वविद्यालय ने रामचरित मानस पर पीएचडी करने वाले छात्र-छात्राओं को राम जन्म भूमि अयोध्या के साथ-साथ चित्रकूट और रामेश्वरम लेकर जाने का मन बनाया है. अयोध्या में चल रहे राम मंदिर निर्माण कार्य का भी छात्र अवलोकन करेंगे.

कुलपति अखिलेश पांडे ने बताया कि विश्वविद्यालय में छात्र रिसर्च कर रहे हैं, उन्हें एजुकेशन टूर के रूप में अयोध्या लेकर जाएंगे. ताकि वह चल रहे कामों के दोरान वहां लग रहे पत्थरों पर भी स्टूडेंट रिसर्च कर सकेंगे. अयोध्या ही नहीं छात्रों को चित्रकूट और रामसेतु भी लेकर जाया जाएगा. ताकि पत्थरों के बारे में भी छात्र जानकारी जुटा सकेंगे. ये व्यवस्था शासन के स्तर पर की जाएगी. ऐसे छात्रों को भी दर्शन के लिए भेजा जाएगा, जो रामचरित मानस पर टॉप करेगा. वर्तमान में विश्वविधालय में 30 स्टूडेंट है. जिनके लिए विश्वविद्यालय मन बना रहे है.

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रामचरित मानस पर पढ़ाई कर रहे छात्र भगवान राम के जीवन पर रिसर्च करते हैं. ऐसे में विक्रम विश्वविद्यालय के द्वारा छात्रों को उन स्थानों पर ले जाया जाएगा, जिन स्थान से भगवान राम का सीधा नाता रहा है. अयोध्या नगरी भगवान राम की जन्म स्थली रही है. वहां सालों साल विवाद के बाद अब भव्य राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है. अयोध्या जाने के लिए देश भर में राम भक्त ललाइत है.

इसके साथ ही चित्रकूट वह जगह है, जहां भगवान राम ने वनवास के दौरान आराम किया था या कहे कि चित्रकूट में ही वनवास के दौरान भगवान राम ठहरे थे. चित्रकूट एक पवित्र स्थल में शामिल है. पांच गांव का संगम यहां हुआ है. इस स्थान पर कार्वी, सीतापुर, कामता, कोहनी और नयागांव का संगम है. यही कारण है कि भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में चित्रकूट को भी प्रमुख माना जाता है.

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इसी तरह रामसेतु भी छात्रों को लेकर जाया जाएगा. इस स्थान का भी भगवान राम से जुड़ाव रहा है. श्रीलंका जाने के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने वानर सेना संग लंका पहुंचने के लिए मार्ग बनाया था. यह मार्ग भारत के रामेश्वरम से शुरू होकर श्रीलंका के मन्नार को जोड़ता है. समुद्र पर बने रामसेतु को दुनियाभर में एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है.

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